• खेती में रोजगार के अवसर

    खेती में व्यावसायिक कॅरियर बनाने के लिए इस विषय में कम से कम स्नातक उपाधि प्राप्त करनी चाहिए, जिसे संक्षेप में बी.एससी (कृषि) कहा जाता है

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    खेती में व्यावसायिक कॅरियर बनाने के लिए इस विषय में कम से कम स्नातक उपाधि प्राप्त करनी चाहिए, जिसे संक्षेप में बी.एससी (कृषि) कहा जाता है। जिन लोगों ने 10+2 स्तर पर विज्ञान या कृषि एक विषय के रूप में लिया हो, वे बी.एससी (कृषि) पाठ्यक्रम में प्रवेश के पात्र समझे जाते हैं। देश में लगभग सभी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों में एक कृषि विभाग होता है, जो उस विषय में स्नातक और उच्च स्तरीय पाठ्यक्रमों का संचालन करता है। स्नातक पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय से सम्बद्ध अनेक कॉलेजों में भी उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा विशेष कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना भी की गई है। कुछ जाने माने कृषि विश्वविद्यालय इस प्रकार हैं-

    * गोविंद वल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंत नगर,
    * तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय कोयम्बटूर,
    * कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़, राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर, ओडिशा
    * कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर,
    * चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार
    * पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना,
    * चन्द्रशेखर आजाद कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर,
    * जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर,
    * नरेंद्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फैजाबाद
    * राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा समस्तीपुर

    ये विश्वविद्यालय कृषि में सामान्य और विशेषज्ञतापूर्ण पाठ्यक्रमों का संचालन करते हैं। इसके अतिरिक्त कई ऐसे संस्थान हैं, जहां पर ज्यादातर विशेषज्ञतापूर्ण विषयों का अध्ययन और अनुसंधान कराया जाता है। इन संस्थानों के उदाहरणों में केंद्रीय मत्स्य उद्योग शिक्षा संस्थान, मुम्बई और राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा शामिल हैं। ये दोनों ही समकक्ष विश्वविद्यालय हैं।
    इच्छुक उम्मीदवार कृषि अर्थशास्त्र और कृषि इंजीनियरी जैसे पाठ्यक्रमों में भी प्रवेश ले सकते हैं। 

    रोजगार के अवसर

    जो लोग ये सोचते हों, कि खेती का अध्ययन केवल भूस्वामियों और खेती की पृष्ठभूमि वाले परिवारों के लिए है, उन्हें इस पर फिर से विचार करना चाहिए। खेती का प्रभाव अत्यंत व्यापक है और यह प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कई तरह से अर्थव्यवस्था और समाज से सम्बद्ध है। वास्तव में कृषि में शिक्षा से बहुमुखी रोजगार के अवसर मिलते हैं, जो स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर उपलब्ध है। इनमें से कुछ का ब्यौरा नीचे दिया गया है-

    प्रत्यक्ष खेती

     खेती हमारी करीब 60 प्रतिशत आबादी के लिए आजीविका का साधन है। परंतु, अनेक ऐसे लोग हैं, जिन्होंने खेती को किसी भी अन्य व्यापार की तरह एक वाणिज्यिक गतिविधि के रूप में अपनाया है। बड़े फार्म रखने वाले व्यक्तियों और कंपनियों को फार्म मैनेजरों की आवश्यकता पड़ती है। खेती स्वयं की भूमि पर और पट्टे पर धारित भूमि पर की जा सकती है। कुछ मामलों में सरकार भी खेती व्यापार में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है। परियोजना की व्यवहार्यता और प्रोमोटरों की साख के आधार पर बीज, उर्वरक, उपकरण आदि कृषि निवेशों के लिए बैंक से ऋण प्राप्त किए जा सकते हैं। अनुबंध खेती ऐसे कृषि उद्यमों में से एक हो सकती है। उच्च प्रौद्योगिकी खेती एक अन्य क्षेत्र है, जिसमें टेक्नोलोजी और अधिक पैदावार देने वाले बीजों के इस्तेमाल के साथ अधिक उत्पादकता सुनिश्चित की जा सकती है।

    अनुसंधान

    खेती अनुसंधानोन्मुखी विषय है। खेती से नई प्रवृत्तियों, उभरती हुई आवश्यकताओं और कृषि के क्षेत्र में सर्वोत्तम पद्धतियों की जानकारी प्राप्त की जाए। खेती में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए हमारे देश में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एक शीर्ष निकाय है। इस परिषद के अंतर्गत करीब 100 अनुसंधान संस्थान हैं, जिनमें सभी प्रमुख फसलों और अन्य कृषि विषयों के लिए अनुसंधान केंद्र शामिल हैं। कुछ अनुसंधान केंद्रों के नाम नीचे दिए गए हैं:-

    * केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, नागपुर
    * भारतीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, रांची
    * केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान,  शिमला
    * केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी संस्थान, लखनऊ
    * केंद्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद
    * भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ
    * भारतीय जल प्रबंधन संस्थान, भुवनेश्वर
    * राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र, पुणे
    * भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली
    * भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, रांची

    इसके अतिरिक्त विश्वभर में बड़ी संख्या में कृषि अनुसंधान संस्थान हैं। इस प्रकार आप वैश्विक आधार पर अनुसंधान के अवसर प्राप्त कर सकते हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही स्तरों पर अनुसंधान के लिए बड़ी संख्या में छात्रवृत्तियां भी प्रदान की जाती हैं।

    बैंकिंग क्षेत्र

    हमारे देश में सार्वजनिक क्षेत्र के अधिसंख्य बैंकों की शाखाएं ग्रामीण और अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं। सरकार ने कृषि और अनुषंगी गतिविधियों के वित्त पोषण के लिए बैंकों को विशेष लक्ष्य प्रदान किए हैं। कृषि आधारित कार्यक्रमों सहित सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न कार्यक्रम बैंकों के जरिए कार्यान्वित किए जाते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों में कृषि लिपिकों और अधिकारियों के पद होते हैं। ऐसे पदों के लिए बी.एससी कृषि, बी.वी.एससी आदि योग्यताएं रखने वाले उम्मीदवारों को पात्र समझा जाता है। कुछ बैंकों में ऐसे अधिकारियों को ग्रामीण विकास अधिकारी जैसे पदनाम दिए गए हैं।  राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) समूह 'ख' अधिकारियों के रूप में ऐसे योग्य लोगों की भर्ती करता है। तत्संबंधी रिक्तियां लगभग हर वर्ष विज्ञापित की जाती हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कृषि अधिकारी के रूप में भर्ती होने वाले व्यक्ति इसी पद पर निरंतर काम करने अथवा सामान्य बैंकिंग अधिकारी के रूप में परिवर्तित होने का विकल्प अपना सकते हैं, जो सेवा में अपेक्षित वर्षों की संख्या पूरी करने के बाद प्रदान किया जाता है। कृषि स्नातक सामान्य लिपिकों और परिवीक्षाधीन अधिकारियों के रूप में भी आवेदन के पात्र समझे जाते हैं।

    वैज्ञानिक के रूप में

    कृषि एक वैज्ञानिक विषय है। अत: सरकारी और निजी क्षेत्र के संगठनों में कृषि वैज्ञानिक के रूप में काम करने के अवसर उपलब्ध होते हैं। सरकार ने कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड की स्थापना की है, ताकि सरकारी प्रयोगशालाओं और संस्थानों में वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिकों की भर्ती प्रक्रिया को केंद्रीकृत किया जा सके। निजी क्षेत्र की कंपनियां भी कृषि वैज्ञानिकों के रूप में रोजगार के अवसर प्रदान करती हैं. उर्वरकों, कीटनाशकों, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि उपकरणों आदि के व्यापार में लगी कंपनियों में आपके लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं।

    अखिल भारतीय सेवाएं

    अखिल भारतीय सेवाओं के लिए आवेदन करने हेतु स्नातक उपाधि अपेक्षित है। ये स्नातक उपाधि कृषि में भी हो सकती है. परंतु, कृषि स्नातकों के लिए अतिरिक्त अवसर उपलब्ध होते हैं क्योंकि वे भारतीय वन सेवा (आईएफएस) परीक्षा में भी बैठ सकते हैं। यह परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा हर वर्ष आयोजित की जाती है। इस परीक्षा में क्वालिफाई करने वाले उम्मीदवारों को व्यापक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है और उसके बाद डिविजनल वन अधिकारी (डीएफओ) आदि के रूप में नियुक्त किया जाता है। यह एक अखिल भारतीय सेवा है और अत्यंत प्रतिष्ठित समझी जाती है।

    शिक्षण

    बड़ी संख्या में ऐसे संस्थान हैं, जो खेती में शिक्षा प्रदान करते हैं। खेती में शिक्षण के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए इन संस्थानों में रोजगार के प्रचुर अवसर उपलब्ध हैं। आप स्नातक, स्नातकोत्तर और/अथवा डॉक्टरल विद्यार्थियों को पढ़ाने का विकल्प चुन सकते हैं। शिक्षण व्यवसाय के लिए आपको कृषि में स्नातकोत्तर उपाधि यानी एम.एससी कृषि होना चाहिए। अनुसंधान की योग्यता रखने वाले उम्मीदवारों को शिक्षण और अनुसंधान संबंधी पदों के लिए निश्चित वरीयता दी जाती है।
    खेती में शिक्षा से खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता, पर्यावरण संरक्षण और अनेक ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं।
    उच्चतर योग्यताएं और बहुमूल्य कार्य अनुभव रखने वाले व्यक्तियों को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय निकायों में भी रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं। इन निकायों में खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), सार्क कृषि केंद्र, बांग्लादेश, सेंटर फार इंटरनेशनल फोरेस्टरी रिसर्च, इंडोनेशिया, इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रापिकल एग्रीकल्चर, तंजानिया, यूएस एड आदि शामिल हैं। खेती में रोजगार के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड आदि की वेबसाइटों पर उपयोगी जानकारी उपलब्ध है।

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