• आज का वोटर

    बानो आज सुबह भी देर से आई

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    - रईस सिद्दीक़ी

    बानो आज सुबह भी देर से आई।
    समीना बड़ बड़ाते  हुए बोलीं  -
    क्या बात है, आज कल  तुम दो- तीन महीने से जब दिल चाहता है , लेट हो जाती हो।
    बानो  बोली -

    बाजी ,  आज कल चनाव होने वाले हैं। नेताओं के जलसे  जुलूस होते रहते हैं। बाहर से भी नेता आते- जाते रहते हैं। उन्हें हम जैसे लोगों की ज़रुरत पड़ती रहती है। आज कल हम लोगों की माँग  बढ़ गई है.

    समीना ने हैरत से पूछा -
    उनको तुम लोगों की क्या ज़रुरत पड़ती है ?
    बाजी  , हम लोग बड़े काम के हैं इन नेताओं के लिए-
    बानो ने अपनी अहमियत जताई।
    वो  कैसे ?--समीना की जिज्ञासा  जागी।

    बाजी , जब कोई नेता आता है ,तब हम झंडा लेकर सड़क किनारे खड़े होकर नारा  लगाते  हैं। जय जय करते हैं। जब वो   मैदान में भाषन देते हैं ,तब हम झंडा पकड़े रहते हैं। या भीड़ में बैठ कर  नेता जी का नाम लेकर नारा लगाते  रहते हैं।
    बानो ने अपना काम बताया।

    इससे तुमको क्या फ़ायदा  होता है  ? समीना ने पूछा।
    बाजी, हमें कभी तीन सौ ,कभी चार सौ ,और कभी पांच सौ रुपये  मिल जाते  हैं. जब देर हो जाती है तो पूड़ी सब्ज़ी और हलवा भी खाने को मिलता है।

     बानो  ने इस काम के फ़ायदे  गिनाए ।
    उन्हें मालूम रहता है कि  तुम्हारा नाम बानो है ?
     समीना ने इशारों में जानना चाहा।
    बानो ने इतरा कर बताया -
    हाँ , बाजी, वो सब जानते हैं।  उन्हें तो सबको बताना होता है कि  हम कौन हैं। तो इसका मतलब तुम उन्ही लोगों को वोट दोगी जो तुम लोगों को पसे देते हैं !

    समीना ने उसके दिल की बात जाननी  चाही।
    बानो  ने बड़े विश्वास से आँखें मटकाते  हुए  कहा-
    नहीं बाजी , हम बेकूफ़  थोड़ी हैं। हम समझदार  हैं।

    हम अपना वोट उसको देंगे जो घमंडी न हो। जो हम ग़रीबों का ख्याल रखे। जो हम सब का सच-मुच   ख्याल रखे। सिफ़र्  नारा  न लगाए। सिरफ़  भाषन न दे। कुछ काम भी करे।
    भाषन और वादा  सुनते सुनते भेजा पक गया है !

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