रिसर्चरों ने उस जीन का पता लगा लिया है जो गर्भावस्था में धूम्रपान करने से जुड़ी है. यह भी पता चला है कि गर्भवती स्त्री के धूम्रपान का असर कोख में पलने वाली लड़की से ज्यादा लड़के पर होता है.
गर्भवती महिलाओं के धूम्रपान का उनके बच्चे पर होने वाला असर इतना अधिक है कि अगर उनकी संतान खुद भी धूम्रपान करने लगे तो उसकी युवावस्था में ही मौत हो सकती है.
एबरदीन यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों की एक टीम ने ब्रिटेन के 5 लाख से ज्यादा लोगों पर रिसर्च करके इस बारे में जानकारी हासिल की है. रिसर्चर ये पता लगाना चाहते थे कि गर्भावस्था में धूम्रपान का कोख में पलने वाले बच्चे पर क्या असर होता है और यह असर बच्चों के वयस्क होने तक कैसे जारी रहता है.
रिसर्च टीम का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर पॉल फाउलर यूनिवर्सिटी में ट्रांसनेशनल मेडिकल साइंसेज के चेयरैमन हैं. उन्होंने मां और उनके वयस्क बच्चों के बीच जेनेटिक संबंधों का इस्तेमाल कर गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान के असर का व्यापक विश्लेषण किया है. पहली बार इतने बड़े स्तर पर इस विषय में रिसर्च की गई है.
गर्भावस्था में धूम्रपान से घटती है बच्चे की उम्र
रिसर्चरों ने जीन के कई प्रारूप की पहचान की है जो मातृत्व के दौरान धूम्रपान की संभावना को बढ़ा देते हैं. लोगों को धूम्रपान से रोकने के लिए होने वाले खास इलाजों को तैयार करने में इस रिसर्च के नतीजे उपयोगी होंगे. स्कॉटलैंड, इंग्लैंड और वेल्स के 22 सेंटरों से 5 लाख से ज्यादा लोगों के आंकड़े इस रिसर्च के लिए जुटाए गए. इनके जरिए टीम ने ये पड़ताल की है कि गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान से कौन से जेनेटिक, बायोकेमिकल और सामाजिक और आबादी से जुड़े कारक जुड़े होते हैं.
उन्होंने देखा कि हर चरण में नर भ्रूण और वयस्क बेटे मां के धूम्रपान से महिलाओं की तुलना में ज्यादा प्रभावित होते हैं. उन्होंने नर भ्रूण के लीवर में कई जीनों के स्तर में बदलाव को 17 हफ्तों की गर्भावस्था से लेकर वयस्क पुरुषों तक देखा जो उनकी जीवन प्रत्याशा को घटाती है. टीम को पता चला कि अगर वयस्क पुरुष धूम्रपान छोड़ दें या फिर बिल्कुल ना करें तो वे इस जोखिम का सामना कर सकते हैं. युवावस्था में मौत की आशंका उन लोगों में कम हो गई जिन्होंने कभी सिगरेट नहीं पी.
कैंसर और डायबिटिज का खतरा
रिसर्च में यह भी पता चला है कि पुरुषों में वयस्क होने के बाद कैंसर और दो तरह के डायबिटिज होने की आशंका भी महिलाओं की तुलना में ज्यादा होती है. महिलाओं में मां के धूम्रपान के असर से पाचन और प्रजनन के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं की ज्यादा आशंका रहती है.
मिहाइल मिहोव ने यह रिसर्च अपनी पीएचडी रिसर्च के लिए की थी. उनका कहना है, "गर्भावस्था के दौरान मातृत्व धूम्रपान बच्चों के लिए कई समस्याओं का कारण बनता है. हालांकि पहले इस बात की जानकारी नहीं थी कोख में कौन सी प्रक्रिया पर मातृत्व धूम्रपान का असर होता है और बाद में वो कैसे स्वास्थ्य को कमजोर करते हैं."
मिहोव ने यह भी कहा, "पहली बार हम ऐसे जीन प्रारूपों की पहचान करने में सफल हुए हैं जो मां में धूम्रपान की आशंका बढ़ाते हैं या फिर उनमें इसकी लत लगा देते हैं, यहां तक कि गर्भावस्था में भी."
जर्मनी के हेल्थ एंड मेडिकल यूनिवर्सिटी, पोट्सडाम में एपिडेमियोलॉजी और बायोस्टैटिक्स के प्रोफेसर फेलिक्स ग्रासमन भी इस रिसर्च का नेतृत्व करने वालों में शामिल थे. उनका कहना है, "ज्यादातर रिसर्च बहुत कम लोगों पर ही हुई हैं इसलिए उनके आंकड़ों में इतना दम नहीं था कि दुर्लभ संयोग को सामने ला सकें." ग्रासमन ने कहा, "इस रिसर्च में हमने यूके बायोबैंक का इस्तेमाल किया जिसके पास 5 लाख से ज्यादा लोगों के जेनेटिक, बायो केमेस्ट्री और मेडिकल डाटा मौजूद हैं, इस तरह से यह गर्भावस्था में मातृत्व धूम्रपान के असर पर किए गए सबसे बड़े रिसर्चों में एक है."
एक्शन ऑन स्मोकिंग एंड हेल्थ स्कॉटलैंड की मुख्य कार्यकारी अधिकारी शीला डुफी ने रिसर्च के नतीजों का स्वागत करते हुए कहा, "यह मां-बाप और समुदायों को गर्भावस्था के दौरान तंबाकू के संपर्क से ना सिर्फ मां और बच्चे को होने वाले नुकसान बल्कि यह भी दिखाता है कि बच्चे के बड़े होने पर भी यह गंभीर नुकसान जारी रहता है."