• जल संरक्षण के उपाय

    स्वच्छ एवं सुरक्षित जल अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है। गंदा व प्रदूषित जल बीमारियां फैला सकता है। सभी प्रकार की घरेलु आवश्यकताओं के आधार पर सामान्यतया प्रतिदिन एक आदमी को 40 लीटर पानी की आवश्यकता होती है किन्तु अकाल जैसी स्थिति में दैनिक उपयोग के लिए प्रति व्यक्ति कम से कम 15 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।

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    स्वच्छ एवं सुरक्षित जल अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है। गंदा व प्रदूषित जल बीमारियां फैला सकता है। सभी प्रकार की घरेलु आवश्यकताओं के आधार पर सामान्यतया प्रतिदिन एक आदमी को 40 लीटर पानी की आवश्यकता होती है किन्तु अकाल जैसी स्थिति में दैनिक उपयोग के लिए प्रति व्यक्ति कम से कम 15 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
    सुरक्षित पानी का संकट क्यों ?
    वर्षा की कमी
    वर्षा-जल के संरक्षण की कमी
    द्यसिंचाई/तराई में अधिक उपयोग
    भूजल का पुनर्भरण कम व दोहन अधिक

    गर्मियों के कम से कम 5 महिनों के लिए सुरक्षित पानी हमेशा उपलब्ध रहना चाहिए। इसके लिए घरेलू एवं सामुदायिक स्तर पर कई उपाए सम्भव हैं जैसे बरसात का पानी इक_ïा करना आदि।
    घरेलू स्तर पर उपाय
    वर्षा के पानी का संग्रह अपनी वर्ष भर की आवश्यकता के लिए हम वर्षा के जल को व्यर्थ में बहने देतें है। पानी की इस कमी को हम अपने प्रयासों से काफी हद तक पूरी कर सकते है जैसे  छत से बरसात के पानी को व्यर्थ न बहने दें। वर्षा काल में छतों की सफाई करें तथा छत के ढलान वाली ओर पाइप लगाकर यह पानी टांके/कुण्ड में सग्रह करें। छत पक्की न हो तो खेत या खुले मैदान में टांका बनवाकर पानी इक_ा करें। यदि टांका बनाना सम्भव न हो तो मुर्गाजाली टांका या प्लास्टिक टैक इस्तेमाल करें। बून्द-बून्द कीमती है। जल का अपव्यय ना करें। जल प्रकृति की अनमोल धरोहर है। यदि जल व्यर्थ बहेगा तो आने वाले समय में पानी की कमी एक गहन संकट बन जाएगी। समझदारी से जल का उपयोंग करें तो जल की उपलब्धता लम्बे समय तक बनी रहेगी।
    पानी व्यर्थ न बहने दें
     आप स्वयं पानी बचाएं एवं अपने आस पास के लोंगो को भी इसके लिए प्रेरित करें। उन्नत तकनीक का सस्ता स्वच्छ शौचालय (वीआईपी) उपयोग में लें जिससे पानी की बहुत कम आवश्यकता पड़ती है। जहां तक सम्भव हो नहाने-धोने के पानी को सब्जी की क्यारियों या पेड़ पौधों के लिए इस्तेमाल करें।
    पानी की गुणवत्ता घरेलू स्तर पर बनाए रखें
    पानी में प्रदूषण कई कारणों से सम्भव है। वर्ष में एक बार पानी की नमूने की जांच के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (क्क॥श्वष्ठ) में ले जाएं एवं सुनिश्चित करें कि पानी मनुष्य के लिए सुरक्षित है। जल में अधिक फ्लोराइड हो तो एक्टीवेटेड एलुमिना फिल्टर/नालगोंडा तकनीक का उपयोग किया जाता है। अधिक जानकारी के लिए यूनिसेफ/ जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग  या क्षेत्र में कार्यरत स्वयं सेवी संगठन से सम्पर्क करें।
    जल में जीवाणु का नाश करने के लिए 15 लीटर में 2 क्लोरीन की गोलियां (500 मिलीग्राम) या हर 1000 लीटर पानी  में 3 ग्राम ब्लीचिंग पावडर का घोल बनाकर डाले एवं आधे घंटे बाद उपयोग में लें। क्लोरीन की गोलियां नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र एवं ब्लीचिंग पावडर जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग एवं स्वास्थ्य केन्द्र में उपलब्ध रहता है। जल संग्रहण के लिए बनाए गए टांकों को साफ रखें।
    सामुदायिक / ग्राम स्तर पर उपाय
    पानी की आपूर्ति प्राय: नलों , हैण्डपम्पों, तालाबों, कुओं, आदि से करते हैं। इन स्रोतों से पानी का उपयोग सही व स्वच्छ तरीके से हो इसके लिए आवश्यक है कि ग्राम स्तर पर सभी लोग मिलकर एक समिति का गठन करें। यह समिति समय-समय पर बैठक करे तथा इस विषय पर विचार-विमर्श के कि गांव की जनसंख्या के अनुसार कुल कितने पानी की आवश्यकता है। यह आवश्यकता किन स्रोतों से पुरी हो सकती है। गांव सुरक्षित पानी की आवश्यकताओं के अनुसार पेयजल एवं  खाना पकाने के लिए अपने क्षेत्र में उपलब्ध जल स्रोतों की पहचान करें। इन जल स्रोतों का उपयोग केवल पीने व खाना पकाने के लिए ही करें। अन्य आवश्यकताओं के लिए शेष जल स्त्रोतों को परखें। जल के उपयोग पर निगाह रखे व आवश्यक कार्यवाही करें। समिति समय-समय पर सामूहिक स्तर पर धन एकत्र करे जिससे हैण्डपम्प की मरम्मत, कुएं/तालाब को गहरा करवाना, आवश्यकता होने पर टैंकरों से पानी मंगवाना, टांका बनवाना इत्यादि कार्य किए जा सकें। वर्षा के पानी का संग्रहण एवं जल से भूजल पुनर्भरण करें। एक 250 वर्ग मीटर का जल संग्रहण क्षेत्र 50 सेमी बरसात होने पर भी 100,000 लीटर से ज्यादा पानी एकत्रित कर सकता है, जो 120 लोगों की पीने व खाना पकाने के पानी की आवश्यकता 5 महिनों तक पूरी कर सकता है।
    पुराने कुओं व बोरवेल/नल कूपों के भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक बरसात के पानी को काम में  ले, ध्यान रखें कि बरसात के इस पानी में कोई गन्दगी ना मिलने पाए।
    सामुदायिक इमारतों जैसे प्राथमिक/माध्यमिक विद्यालयों की छत आदि का बरसाती पानी सामुदायिक टाकों को  भरने में उपयोग में लें। जहां भी ढाल उपलब्ध हो उस स्थान पर थोड़ा गहरा गड्डा या खाई खोदें ताकि पानी हवा में उडऩे के बजाए भूजल स्तर को बढ़ाए।  अधिक संख्या में बांध या एनिकट बनाएं। इससे जल स्तर तो ऊपर बढ़ेगा ही साथ में आपके पशुओं व फसल के लिए भी अतिरिक्त जल उपलब्ध रहेगा। कन्टूरबंडिंग, खुरा लगाना एवं कन्टूर जताई करने से वर्षा के जल से जमीन में नमी बनी रहती है तथा खेती में कम पानी की आवश्यकता पड़ती है।
    हैण्डपम्प / कुएं के पानी का संरक्षण करें
    हैण्डपम्प सुरक्षित जल का सामान्यता उपलब्ध स्रोत है। इसका रखरखाव करें। गांव के मिस्त्री से हमेशा सम्पर्क रखें व देखें कि आवश्यक स्पेयर पार्ट्स व मरम्मत के औजार उपलब्ध हैं। हैण्डपम्प से कम से कम 15 मीटर दूर तक कचरा/मल मूत्र का निस्तारण ना करें। हैण्डपम्प के बहते पानी को बागवानी आदि के काम मे लावें व उसके आस पास पानी जमा न होने देवें। वर्षा के जल से भूजल का पुनर्भरण आपके हैण्डपम्प/कुएं में पानी की उपलब्धता बनाये रखेगा। कुएं में जल का पुनर्भरण आप कूएं के पास एक सोख्ता गढ्ढा खोदकर कर सकते है। कुएं एवं सोख्ते गढ्ढे को हमेशा ढक कर रखें। कुएं निजी हो या सार्वजनिक इनके पानी की समय समय पर जांच करवानी चाहिए तथा कुएं के पानी को जीवाणु रहित करने के लिए कुएं में ब्लीचिंग पावडर का घोल डालना चाहिए, उसके लिए आवश्यक हो तो विभाग से सम्पर्क कर परामर्श लेना चाहिए। समय-समय पर कुओं की सफाई भी करें तथा कुओं को ढक कर रखे। हैण्डपम्प लगाने के लिए बोरवैल की गहराई पर खास ध्यान रखें। जिन गावों में बाढ़ का खतरा रहता है वहां ऊंचे सुरक्षित स्थल पर एक हैण्डपम्प होना चाहिए ताकि पीने का पानी उपलब्ध रहे।
    तालाब व जोहड़ के जल का संरक्षण करें  जलग्रहण क्षेत्र में अतिक्रमण न होने दे। यदि अतिक्रमण हो तो सलाह कर हटा दें। जब भी सम्भव हो तालाब व जोहड़ को गहरा करते रहें ताकि पानी को अधिक मात्रा में संगृहित किया जा सके। जिन तालाबों का पानी पीने के काम आता हो उनकी पशुओं एवं अन्य संक्रमणों से रक्षा करें। तालाब व जोहड़ के निकट शौच न करें। बरसात के मौसम के बाद में जल के जीवाणु परीक्षण करवाएं। गांव में नए तालाब व जोहड़ समुचित कैचमेंट के साथ हैण्डपम्प के नजदीक बनाएं ताकि बरसात के पानी से भूजल का स्तर बना रहे एवं आपका हैण्डपम्प लम्बे समय तक आपको साफ पानी देता रहे।
    पानी की गुणवत्ता
    पानी में प्रदूषण न हो इसके लिए सामुदायिक स्तर पर उपाए करने चाहिए। हैण्डपम्प से जल निकास के लिए पुख्ता नालियां बनाएं एवं उसके पास गन्दगी न होने दें। खुले कुएं के पानी को ब्लीचिंग पावडर डालकर नियमित रुप से जीवाणु रहित कर पानी को काम में लें। प्राइवेट टैंकरों द्वारा वितरित जल में वितरण से आधा घंटा पूर्व टैंकर की क्षमता के अनुसार ब्लीचिंग पावडर का घोल बनाकर डालें। जल संग्रह की टंकी के आस पास स्वच्छ वातावरण रखें। एक अनुभवी पानी के ठेकेदार की पहचान करके रखें जो जरुरत के समय सामुदायिक टांके व अन्य टैंक में आपके लिए तुरन्त पानी की व्यवस्था कर सके।
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