टीवी देखने की अब हिम्मत नहीं है, अख़बार ही नहीं पढ़े जाते! गोदी मीडिया ने घृणा कहीं और फैलाने की कोशिश की थी मगर वह सबसे ज्यादा खुद उसके खिलाफ फैल गई
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