गजेन्द्र इंगले
ग्वालियर: मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन परियोजना अन्तर्गत आज शासकीय विज्ञान महाविद्यालय के भूविज्ञान विभाग द्वारा स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ के तत्वावधान में रत्न विज्ञान पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. रत्नों की पहचानः भ्रांतियां एवं निवारण' विषय पर आयोजित इस कार्यशाला में महाविद्यालय प्राचार्य डाॅ सरिता श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण द्वारा अतिथियों का स्वागत किया.
कार्यशाला के आयोजक, भूविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ सुयश कुमार के विषय प्रवर्तन उद्बोधन पश्चात, मुख्य अतिथि प्रख्यात हीरा विशेषज्ञ डॉ ए एन सिंह, निदेशक, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, भारत सरकार (रिटा.) ने रत्नों की वैज्ञानिक पहिचान में उपयोगी यन्त्रों, एवं इस क्षेत्र में व्याप्त धोखाधडी़ के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने रत्नों के चिकित्सीय गुणों, उनके उपरत्नों एवं इनके बारे में फैली भ्रांतियों पर भी प्रकाश डाला.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, जीवाजी विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डाॅ यूसी सिंह ने छात्रों को इस क्षेत्र में उपलब्ध कैरियर अवसरों की जानकारी प्रदान की. उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों द्वारा रत्नों के प्रभावों पर रोचक जानकारियां भी साझा कीं।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रख्यात रत्न विज्ञानी एवं ज्वेलरी डिजा़यनर डाॅ ईशान मिश्रा ने हीरे के गुणों, प्राकृतिक एवं कृत्रिम हीरों के विभेद, उनकी पहिचान के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि यदि कोई प्राकृतिक हीरे से सम्बन्धित धोखाधडी़ करता है तो किस प्रकार उसके विरुद्ध कार्यवाही की जा सकती है।
द्वितीय तकनीकी सत्र में छात्रों एवं प्राध्यापकों ने विशेषज्ञों द्वारा लाए गए हीरे सहित विभिन्न बहुमूल्य रत्नों को देखा एवं परखा. उन्होंने रत्नों की पहिचान में उपयोगी यंत्रों के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। कार्यक्रम का संचालन विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ प्रभारी एवं आयोजक डाॅ नीलम भटनागर एवं आभार प्रदर्शन सहायक प्राध्यापक श्री अल्ताफ हुसैन द्वारा किया गया. बडी़ संख्या में प्राध्यापक, छात्र छात्राएं एवं स्टाफ उपस्थित रहे