• सरकार के इस निर्माण विभाग ने ही लगाया सरकार को करोड़ों का चूना

    सरकार के अपने विभाग ही जब सरकार को राजस्व का नुकसान कराने लगे तो आप इसे क्या कहेंगे

    Share:

    facebook
    twitter
    google plus
    भोपाल। सरकार के अपने विभाग ही जब सरकार को राजस्व का नुकसान कराने लगे तो आप इसे क्या कहेंगे? मामला केंद्रीय लोक निर्माण विभाग से जुड़ा हुआ है और मामला इतना गंभीर है जिसमें यह तथ्य निकलकर सामने आए हैं कि विभाग और ठेकेदारों की मिली भगत से एक ऐसा कारनामा किया गया है जिसे शासन को राजस्व के रूप में मिलने वाले करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है।
     
    आरटीआई फाउंडेशन के अध्यक्ष संजय दीक्षित के मुताबिक केंद्र सरकार के अधीन‌ आने वाले केंद्रीय लोक निर्माण विभाग द्वारा किए गए निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। ग्वालियर चम्बल अंचल में होने वाले 2 हज़ार करोड़ के निर्माण कार्यों में गौण खनिज रॉयल्टी ही नहीं ली गई और अधिकारियों और कंस्ट्रक्शन कंपनी की मिलीभगत से हजारों करोड़ के बिल पास कर दिए गए। इस तरह से केंद्र सरकार को 50 से 100 करोड़ का नुक़सान हुआ है। 
     
    इतने गंभीर मामले में सीपीडब्ल्यूडी विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों का पक्ष जानने देशबंधु संवाददाता जब उनके कार्यालय पहुंचे तो वहां पर किसी भी व्यक्ति ने इस मामले में जवाब देने से इनकार कर दिया वहां उपस्थित असिस्टेंट इंजीनियर अर्पित गुप्ता इस मामले से बचते हुए इधर-उधर भागते हुए नजर आए ना तो उन्होंने खुद ही इस मामले में कुछ कहा और ना ही कार्यपालन यंत्री का मोबाइल नंबर उपलब्ध कराया।
     
    विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा गौण खनिज रॉयल्टी की जानकारी देने के लिए पत्र भी दिया जा चुका है लेकिन विभाग में हुए एक बड़े भ्रष्टाचार की पोल खुलने के डर से अब तक कोई भी जवाब नहीं आया है। केंद्र सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत काफी सख्ती दिखाई जा रही है, लेकिन ये सख्ती केवल दिखावा बन कर रह गई है। जहां एक और केंद्र सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के नीति के बड़े-बड़े दावे करती है वहीं केंद्र सरकार का यह लोक निर्माण विभाग सरकार को ही राजस्व का नुकसान पहुंचा रहा है और जिम्मेदार कोई भी जवाब देने से बचते नजर आ रहे हैं।
     
     बड़ा सवाल यह है कि आरटीआई के माध्यम से केंद्रीय लोक निर्माण विभाग कि भ्रष्टाचार कि यह हकीकत जो सामने उजागर हुई है यह क्या केवल इस ही विभाग तक सीमित है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार के ऐसे कई निर्माण विभाग कार्य कर रहे हैं जो गौर खनिज का उपयोग निर्माण कार्य में करते हैं इनके बिना निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता क्या यह अन्य विभाग भी इन गोद खनिज की रॉयल्टी सरकार को देने के बाद ही उपयोग करते हैं या अन्य विभागों में भी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की यही गड़बड़ झाला चल रही है यदि इन सभी विभागों के निर्माण कार्य की कुल राशि और उसमें गौर खनिज पर वे राशि और गौर खनिज की रॉयल्टी की बात करें तो सरकार को यह नुकसान और वह खरगोन का हो सकता है अब देखना होगा कि इतने बड़े गड़बड़ झाले पर आगे क्या कार्यवाही होती है?
     
    संजय दीक्षित, एडवोकेट एवं अध्यक्ष आरटीआई फाउंडेशन मध्यप्रदेश का रिकॉर्ड बयान देशबंधु के पास उपलब्ध है।  

    Share:

    facebook
    twitter
    google plus

बड़ी ख़बरें

अपनी राय दें