ग्वालियर। अपनी गड़बड़ झाला शैली और लगातार प्रकाशित हो रही खबरों के चलते स्वास्थ्य विभाग हरकत में तो आया लेकिन इस हरकत की हलचल केवल गली मोहल्ले में चल रही छोटी-मोटी क्लीनिक तक ही पहुंची है। हाल ही में सीएमएचओ ने 9 ऐसे ही क्लीनिक पर कार्रवाई की है और उसकी लाग लपेट की खबर अपने मीडिया व्हाट्सएप ग्रुप में प्रसारित कर वाह वाही लूटने का प्रयास किया है। जबकि नियमों को तक पर चल रहे बड़े 3 स्टार अस्पतालों को पूरी तरह अपनी कार्रवाई की हलचल से दूर रखा है। लिए पहले देखिए की स्वास्थ्य विभाग ने क्या खबर प्रसारित की है।

ग्वालियर- कलेक्टर ग्वालियर श्री रूचिका चौहान के निर्देशानुसार आमजन को स्वास्थ्य सेवायें उत्कृष्ठ स्तर की मिलें इस हेतु दिनांक 01.4.2024 एवं 02.04.2024 को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला ग्वालियर के द्वारा गठित निरीक्षण दल द्वारा नदीपार टाल मुरार, नितिन नगर बजरिया थाटीपुर एवं सिरोल चैराहे के आसपास की क्लीनिको का आकस्मिक निरीक्षण किया गया जिसमें 08 क्लीनिक अपंजीकृत पायी गई जिनको निरीक्षण दल द्वारा मौके पर बंद कराया गया उक्त क्लीनिक संचालको को नोटिस जारी कर 03 दिवस में अद्योहस्ताक्षरकर्ता के समक्ष जवाब प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया। जवाब संतोषजनक न मिलने पर नियमानुसार कार्यवाही की चेतावनी दी गई।
इन क्लीनिको को दिनांक 01.04.2024 को कराया गया बंद-
- राज चिकित्सालय बजरिया थाटीपुर ग्वालियर।
- शुभम् क्लीनिक सिरोल चैराहा ग्वालियर।
- अजय दवाखाना सिरोल रोड ग्वालियर।
- बंगाली क्लीनिक सिरोल रोड ग्वालियर।
- शिवाय क्लीनिक सिरोल रोड ग्वालियर।
- बालीजी क्लीनिक हुरावली चैराहा मुरार ग्वालियर।
इन क्लीनिको को दिनांक 02.04.2024 को कराया गया बंद-
- संकट मोचन औषधालय नदीपार टाल मुरार ग्वालियर। 2-समता क्लीनिक नदीपार टाल मुरार ग्वालियर।
- बंगाली क्लीनिक नदीपार टाल मुरार ग्वालियर
कुर्सी तोड़ मेहनत करने वाले स्वास्थ्य विभाग ने कुर्सी से उठकर यह छोटे-मोटे क्लीनिक पर कार्यवाही की जो खानापूर्ति की है इसका कारण यह है कि स्वास्थ्य विभाग के निष्क्रिय रवैया की खबरें लगातार प्रकाशित हो रही है इन खबरों से स्वास्थ्य विभाग की छवि धूमिल हो रही है जिसे सुधारने के लिए यह छोटे-मोटे क्लिनिक पर अपना डंडा चला स्वास्थ्य विभाग वह वाही लूटने चाहता है आपको बता दें की शहर में कोरोना के बाद कई 3 स्टार अस्पताल कुकुरमुत्ता की तरह उग आए हैं इन अस्पतालों में ना तो डॉक्टर उपलब्ध हैं ना ही अन्य मेडिकल स्टाफ नियम अनुसार शिक्षित है लेकिन स्वास्थ्य विभाग को इन बड़े मछलियों की बदबू महसूस तक नहीं होती अब स्वास्थ्य विभाग जो कार्रवाई कर रहा है उसे खानापूर्ति ना कहें तो क्या कहें?