• राज्य जीएसटी ने 8 फर्म पर कराया एटीएस में मामला दर्ज, टेरर फंडिंग की आशंका

    यदि इन फर्म का टेरर कनेक्शन निकलता है तो यह राज्य जीएसटी विभाग की बड़ी सफलता होगी। जीएसटी विभाग राजस्व वसूली कर देश के विकास में तो योगदान देता ही रहा है। अब टेरर फंडिंग की संदिग्ध गतिविधियों को पकड़कर देश की सुरक्षा से जुड़े गम्भीर मामले में भी विभाग ने एक अहम खुलासा किया है।

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    गजेन्द्र इंगले
     
    भोपाल/ ग्वालियर: मध्यप्रदेश राज्य जीएसटी प्रदेश के आठ डीलर्स के खिलाफ एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) में मामला दर्ज कराया है। विभाग ने ये कदम टेरर फंडिंग की आशंका में उठाया। जीएसटी विभाग ने हजारों फर्मों का डेटा विश्लेषण कराया। लगभग 6 हजार फर्मों के सन्दिग्ध पाए जाने पर उनमें से 900  फर्म का भौतिक सत्यापन कराया। इनमें से 350 फर्म के जीएसटी पंजीयन रद्द किए गए। जब यह फर्म संदिग्ध नजर आए तो इनकी जानकारी एंटी टेरर स्क्वाड को दी गई। 
     
    जिन आठ फर्म की जानकारी सन्दिग्ध मानकर राज्य जीएसटी ने इंक़े नाम एटीएस को दिए हैं, इनमें 5 फर्म इंदौर की, दो भोपाल की और एक ग्वालियर की है। संदिग्धों ने नाम-पते के दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर जीएसटी पंजीयन हासिल किया। विभाग को आशंका है कि वे सर्कुलर ट्रेडिंग कर रहे थे। सुरक्षा के मद्देनजर विभाग ने इन फर्मों के नाम गोपनीय रखे हैं। लेकिन यह बहुत ही संवेदनशील मामला है। यदि इन फर्म का टेरर कनेक्शन निकलता है तो यह राज्य जीएसटी विभाग की बड़ी सफलता होगी। जीएसटी विभाग राजस्व वसूली कर देश के विकास में तो योगदान देता ही रहा है। अब टेरर फंडिंग की संदिग्ध गतिविधियों को पकड़कर देश की सुरक्षा से जुड़े गम्भीर मामले में भी विभाग ने एक अहम खुलासा किया है।
     
    राज्य जीएसटी आयुक्त लोकेश जाटव ने देशबन्धु को फ़ोन पर बताया कि डेटा विश्लेषण के आधार पर कई फर्म की गतिविधि सन्दिग्ध पाई गई। ऐसी 350 फर्म के जीएसटी पंजीयन निरस्त किये गए। विभाग पिछले एक माह से गलत ढंग से टैक्स क्रेडिट लेने वाले व्यापारियों की पहचान कर रहा था। जिन व्यापारियों ने गलत ढंग से ली गई क्रेडिट रिवर्स नहीं की, उनके खिलाफ छापामार कार्रवाई प्रारंभ की। इस दौरान इन फर्मों के बारे में जानकारी हुई। आशंका जताई गई कि इन फर्मों के पास लाखों रुपए की आईटीसी थी।
     
     
    लेकिन फर्मों ने पंजीयन लेने के लिए दस्तावेजों से छेड़छाड़ की है। ये कंपनियां बोगस बिल जनरेट करती हैं, हकीकत में कोई क्रय विक्रय नहीं करती हैं। इसके जरिए वे आईटीसी भी एकत्र कर लेती हैं। फिर यह आईटीसी किसी फर्म को ट्रांसफर करके उसके जरिए नकद राशि ले लेती हैं। सर्कुलर ट्रेडिंग की आशंका के चलते इन फर्म का मामला एटीएस को दिया गया है। 

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