गजेन्द्र इंगले
ग्वालियर: शहर के चर्चित कॉलेज संचालक के बेटे की हत्या की खबर से शहर में सनसनी फेल गई। बहुत समय तक तो पुलिस ने भी हत्या पर विश्वास नहीं किया। लेकिन जब हत्या आरोपी के बाद अधजली लाश भी मिल गई तब जाकर पूरे मामले का खुलासा हुआ। ग्वालियर के सिटी सेंटर के एक पॉश मल्टी में रहने वाले प्रशांत सिंह परमार कई निजी कॉलेजों के संचालक हैं।
उनका बेटा अभय सिंह परमार (23) उर्फ प्रखर पिता के कामकाज में उनकी मदद करता था। प्रशांत सिंह ने बताया कि मंगलवार दोपहर करन वर्मा बेटे को बुलाकर ले गया था। दोनों कार से निकले थे। करन वर्मा नगर निगम में कम्प्यूटर ऑपरेटर है। रात तक नहीं लौटा, तो फोन किया। दोनों के मोबाइल भी स्विच ऑफ मिले।
देर रात उसकी कार नगर निगम ऑफिस के पास खड़ी मिली। इसके बाद परिवार वाले रात करीब 12 बजे विश्वविद्यालय थाना पहुंचे। उन्होंने करन वर्मा पर संदेह जताया। पुलिस ने रात में ही करन को हिरासत में ले लिया। प्रशांत परमार की माने तो करन वर्मा कभी उन्ही के कॉलेज का छात्र रहा है। करीब एक साल पहले नगर निगम में उससे मुलाकात हुई थी। वहां उसकी नौकरी लग गई थी।
प्रशांत ने डीडी नगर में कॉलेज भवन के निर्माण की अनुमति की सेटिंग के लिए 8 लाख रुपए करण को दिए थे। प्रखर पैसे लेकर गया उसने करन को पैसे दे दिए लेकिन रसीद नहीं ली। रसीद के लिए करन टालता रहा। इसके अलावा भी करण ने डेढ़ लाख रुपए उधार लिए थे।
आरोपी करन ने पुलिस को बताया है कि वह दोपहर में प्रखर को बुलाकर ले गया, वहां से दो साथियों के साथ कार से निकला। कलेक्ट्रेट के पीछे न्यू पंचायत भवन के पास पीछे से कार में ही सीट पर बैठे अभय का गला रस्सी से कस दिया। इसी समय, ड्राइविंग सीट पर बैठे मोनू नाम के साथी ने उसे गोली मार दी। इसके बाद शव को ठिकाने लगाया है। यहां यह बात हैरत वाली है कि आरोपी को ही शव के बारे में पता नहीं था कि शव कहा फेंका है। यही शव झांसी के पास अधजली हालत में मिला।
प्रशांत का कहना है कि रात को ही कार में खून देखकर उन्होंने अनहोनी की आशंका जताई थी, लेकिन पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई। रात में पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर त्वरित कार्यवाही से पल्ला झाड़ लिया।
हत्या के इस मामले में पुलिस की गम्भीर लापरवाही सामने आई है। रात में ही शिकायत मिलने पर पुलिस ने मामले को गम्भीरता से नहीं लिया। जबकि परिवार जन पुलिस से किसी अनहोनी की आशंका जता चुके थे। घटना के बाद मोबाइल के जरिये जब पुलिस करण तक पहुंची तब करण के अपराध स्वीकारने पर भी पुलिस इसे हत्या नहीं मान रही थी।