ग्वालियर। गोवंश की चिंता करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कुछ दिन पूर्व यह संकल्प मंच से दोहराया था कि पूरे प्रदेश में जहां कहीं भी गोचर चरनोई भूमि पर भूमाफियाओं का कब्जा है उसे मुक्त कराया जाएगा मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद ऐसा लग रह रहा था कि राजस्व विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ जाएगी और पूरे प्रदेश में चरनोई भूमि मुक्त करने का एक अभियान ठीक उसी तरह चल पड़ेगा जिस तरह कमलनाथ सरकार के समय एंटी भू माफिया अभियान चला था और प्रदेश के बड़े-बड़े भूमाफियाओं के विरुद्ध जबरदस्त ऐतिहासिक कार्यवाही हुई थी।
चरनोई की भूमि पर काट दी कॉलोनी
लेकिन वर्तमान में हकीकत बिल्कुल उलट है मुख्यमंत्री डॉ यादव के इस संकल्प के बावजूद ग्वालियर जिला के राजस्व अधिकारी किस तरह चरनोई भूमि को खुर्द बुद्ध करने वाले भू माफियाओं पर मेहरबान है इसका उदाहरण है पुरानी छावनी स्थित सर्वे क्रमांक 131/1 जिसका रकवा 2.022 हेक्टेयर है, जिस पर भूमाफिया द्वारा कॉलोनी बना दी गई है और सर्वे क्रमांक 131/2 जिसका रीवा 0.688 है और जो साडा के नाम से दर्ज है। जबकि गांव पुरानी छावनी का सर्वे नंबर 131 मिसिल बंदोबस्त 1940 41 के खाना नंबर 29 में चरनोई गैर मुमकिन दर्ज है। यही भूमि मिसल बंदोबस्त 1950 51 में खाना नंबर 23 में चरनोई गैर मुमकिन दर्ज है। बाद के दस्तावेजों में यह भूमि निजी दर्ज कर दी गई है जिसके आधार पर 2019 में इस पर नजूल एनओसी भी जारी कर दी गई। जिसके आधार पर इस चरनोई भूमि पर भू माफिया द्वारा कॉलोनी बसा दी गई।
जांच के खेल में लटका मामला
इस मामले की शिकायतकर्ता समाजसेवी अबोध तोमर द्वारा काफी लंबे समय से की जा रही है लेकिन उनकी शिकायत को हमेशा ठंडे बस्तेें डाल दिया जाता है। इस संबंध में जब देशबंधु संवाददाता ने तहसीलदार राघवेंद्र कुशवाहा से जानकारी चाहिए तो उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट तैयार हो गई है बस कुछ ही दिनों में संबंधित एसडीएम को जांच सौंप दी जाएगी इस मामले मे देशबंधु संवाददाता ने एसडीएम अतुल सिंह से पहले ही उनके कार्यालय में चर्चा की थी लेकिन उनके गोल-गोल जवाब से लगता है कि वह इस संवेदनशील मामले में गंभीर नहीं है।
मुख्यमंत्री के संकल्प की उड़ रही धज्जियाँ
जहां प्रदेश के मुखिया चरनोई की भूमि को अतिक्रमण मुक्त करना चाहते हैं। वही ग्वालियर के राजस्व अधिकारियों का ऐसा रवैया की मात्रा एक सर्वे नंबर की जांच में सालों निकल जाएं तो फिर इसे क्या समझा जाए? ग्वालियर की नवागत कलेक्टर रुचिका चौहान से देशबंधु संवाददाता ने पहली प्रेस वार्ता के दौरान ही कहा था कि प्रशासन मुख्यमंत्री के आदेशों को अमल में लाने के लिए गंभीर दिखाई नहीं दे रहा है अब जिस तरीके से चरनोई की भूमि मुक्त कराने का मुख्यमंत्री का आदेश हवा में झूल रहा है। उससे अंदाजा लगाया जा सकता है की राजस्व अधिकारी मुख्यमंत्री के आदेश को लेकर भी गंभीर नहीं है या कहें की भू माफियाओं से उनका कोई ऐसा नाता है जो मुख्यमंत्री के आदेश को भी बना बना देता है। ऐसे ढुलमुल रवैया को देखकर लगता है की मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को कांग्रेस शासन के मुख्यमंत्री कमलनाथ की तरह सख्त होना पड़ेगा तभी यह अधिकारी उनके आदेशों को गंभीरता से लेंगे!