गजेन्द्र इंगले
ग्वालियर - मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ग्वालियर डॉ मनीष शर्मा ने 8 निजी अस्पतालों के पंजीयन निरस्त किये है। हमेशा निजी अस्पतालों पर मेहरबान रहने वाले साहब अचानक सक्रिय कैसे हो गए इस बात पर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। शहर में ऐसे कई निजी अस्पताल हैं जहां न ट्रेंड स्टाफ है न ही पर्याप्त सुविधाएं फर भी स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे यह अस्पताल इतनी दबंगई से चल रहे हैं कि इन्हें कोई दिव्य संरक्षण प्राप्त हो। कोरोना के बाद तो शहर में कुकरमुत्तों की तरह जगह जगह अस्पताल दिखाई देने लगे हैं। लेकिन इनमें से कई को नियमों को ताक पर रख कर पंजीयन दिया गया है। अब अचानक कुछ अस्पतालों पर कार्यवाही की बात गले नहीं उतर रही है।
स्वास्थ्य विभाग ने जारी प्रेस नोट में बताया कि कार्यालय द्वारा प्रायवेट अस्पतालो में मरीजो को दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओ एवं व्यवस्थाओ के निरीक्षण हेतु एक टीम गठित की गई थी टीम को प्रायवेट अस्पतालो के निरीक्षण हेतु भेजा गया था टीम के निरीक्षण के दौरान पाया गया कि अस्पताल द्वारा पंजीयन के समय दिये गये पते पर संचालित नही किये जा रहे है इस संबंध में अस्पताल संचालको को नोटिस जारी किये गये थे तथा सम्बधित अस्पताल को दिये गये नोटिस के संम्बध में नोटिस जारी करने के दिनांक से एक माह का जवाव प्रस्तुत करने हेतु निर्देषित किया गया था किन्तु एक माह का समय बीत जाने के बाद भी अस्पताल संचालको द्वारा अपना जवाव प्रस्तुत नही किया गया इस पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने निम्नलिखित अस्पतालो के पंजीयन निस्त किये गए।
इन अस्पतालों पर हुई कार्यवाही
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स्वास्तिक हॉस्पीटल पारस विहार कॉलोनी झॉसी रोड ग्वालियर।
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यषस्वी हॉस्पीटल शारदा अपार्टमेंट लक्कड खाना पुल ग्वालियर।
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दि स्टार हॉस्पीटल हॉस्पीटल रोड ग्वालियर।
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मॉ शीतला मल्टीस्पेषिलिटी हॉस्पीटल माधव डिस्पेसरी के सामने लष्कर ग्वालियर।
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फेमिली केयर हॉस्पीटल भूतेष्वर रोड षिन्दे की छावनी ग्वालियर।
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डी एस मेमोरियल हॉस्पीटल ग्राम बरूआ पिछोर सिथोली रेलवे स्टेषन के पीछे ग्वालियर।
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नेेचर हॉस्पीटल पिपरोली षिवपुरी लिंक रोड ग्वालियर।
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ददरौआ धाम मल्टीस्पेषिलिटी हॉस्पीटल शंकर कॉलोनी गौषाला पहाडिया ग्वालियर।
कुछ वर्ष पूर्व कोरोना के समय भी मरीजों के इलाज में लापरवाही के चलते कुछ अस्पतालों के पंजीयन निरस्त किये गए थे। लेकिन दूसरे ही दिन उसी स्थान पर नाम बदल कर उसी मैनेजमेंट को अस्पताल का पंजीयन दे दिया गया था।
उस समय भी सीएमएचओ की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े हुये थे। शहर में कई अस्पतालों में चिकित्सक है ही नहीं फिर भी बोर्ड पर मल्टी स्पेशिलिटी लिख कर मरीजों को गुमराह किया जाता है। जनरल प्रेक्टिशनर भी स्वयबक नाम के आगे हृदय रिग यकृत रोग विशेषज्ञ लिख कर प्रचार कर रहे हैं।
अस्पतालों में फायर सेफ्टी व अन्य सुरक्षा इंतजाम पुख्ता नहीं है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की कृपा से सब चल रहे हैं। अब इन 8 अस्पतालों से क्या गुस्ताखी हुई कि इन पर यह गाज गिरी यह बड़ा प्रश्न है?