• पैडीविडर यंत्र किसानों को बांटने के बजाय कबाड़ में

    कृषि विभाग के अधिकारी जब गाँव नहीं पहुच पाते तो कृषको को अनुदान में मिलने वाली खाद बीज यंत्रों का पहुच पाना कहा तक सही है

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    राजिम/छुरा। कृषि विभाग के अधिकारी जब गाँव नहीं पहुच पाते तो कृषको को अनुदान में मिलने वाली खाद बीज यंत्रों का पहुच पाना कहा तक सही है। गरियाबंद जिले के छुरा विकास खण्ड के कृषि विभाग का किसानों के साथ न जाने किस बात की दुश्मनी है।

    शासन से किसानों को वैज्ञानिक जैविक खेती की ओर प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपए का बजट पास होता है आज गरियाबंद कृषि विभाग कागजी विभाग बन कर रह गया है यहां कृषकों को चंद योजनाओं का लाभ चंद किसानों को शायद मिल पाता होगा बाकी सब अनुदान वाली योजनाओं को विभागीय अधिकारियों द्वारा चट कर दिया जाता है

    कृषि विभाग गरियाबंद जिले के छुरा और गरियाबंद विकास खण्ड में तो सिर्फ योजनाओं का बंदरबांट किया जाता है किसानो को हितग्राही मूलक योजना का लाभ मिलना टेडी खीर के समान है आज किसान आक्रोशित है कि हरित क्रांति विस्तार योजनान्तर्गत हस्त चलित कृषि यंत्र अंबिका पैडीविडर वर्ष 2016-17 में मिला ही नहीं है ओर अधिकारी सूचना के अधिकार के तहत वितरण की सूची बाटं रहे हैं पहले अधिकारी तस्दीक तो करे कि किस अधिकारी ने किस किसान को बांटा है कब वितरण हुआ है।

    हमारे गांव में कृषि विभाग के कर्मचारी भी नहीं आते तो कंहा से समान बटेगा साहब लोग झूठी जानकारी दे रहे हैं। ग्राम अमलोर के ग्रामीण किसान गोविंद, गोकुल, विशाल, शिवकुमार, आनंद राम, तिलक गुलेन्द सोनसाय पुसव चमन नवधर हेमलाल रामेश्वर पंचूराम पुराण जहुर सिंग दशरथ रामजी दशरथ मखियार बालाराम सहित सैंतीस कृषकों ने बताया कि पैडीविडर है क्या हम लोग देखे नही है

    मिलने की बात तो दूर यंहा शासन की योजनाओं के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं दी जाति गांव में एक कृषक मित्र है पीलादाऊ वही बता पायेगा किसको मिला हे कि नही।  क्यों कि कोई भी धान बीज आता है तो वितरण वही करता है पिछले समय धान बीज दिया था बदले में दो-दो सौ रुपए सभी किसान से लिया था।

    दवाई खाद कब आता है तो पता नहीं अपने घर पर रखता है वही गांव में घूमता है जो शराब का बाटल देता है या पैसा उसी को दवाई वगैरह बांटता है ये हाल है आप लोग उसी के पास जाओ और पूछो पैडीविडर किसको दिया हे।  शराब दोगे तो जरुर कुछ न कुछ कृषि विभाग का कोई समान मिलेगा।

    जब हम कृषि मित्र से मिले तो उन्होंने अपने घर बाडी मे ले जाकर दिखाया जो किसानों के लिए यंत्र आया था वह आज किसानों को बटने के बजाय कबाड़ में पडां हुआ है क्योंकि किस किसानों को देना है साहब जी ने बताया ही नही न साहब कभी आये है गांव में।

    इस तरह से कृषि विभाग का योजना चलकर किसानों तक पहुंचने के बजाय सालो साल कबांड में रहकर कबाडियों की दुकान में कबाड़ का भाव बिक जाता है वही दूसरी ओर कागज मे योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचने की जानकारी शासन-प्रशासन को दे कर बेवकूफ बनाया जाता है।

    दो साल से हरित क्रांति योजना किसानों तक नहीं पहुंच पाया है। काश सूचना का अधिकार के तहत जानकारी नहीं लिया जाता ओर किसानों तक यंत्र वितरण के संबंध में पूछताछ नहीं किया जाता तो आज किसानो के दुश्मन कृषि अधिकारी कृषक हितैषी बने बैठे रहते।

    इस आदिवासी ब्लाक के कृषको का दुर्भाग्य कंहा जाय या यंहा नौकरी करने वाले शासकीय सेवकों का भाग्य कंहा जाय जो अपने करत्तव्यों का निर्वहन करने के बजाय किसान मजदूर का शोषण करने में लगे हुये है।

    ग्राम अमलोर के किसानो ने कहा कि कृषि विभाग के अधिकारी हमारे गांव में आ कर बतायें कि किस किसान का भला किस योजना मै हुआ है उस अधिकारी को गांव के किसान बतायेंगे किसान आज भी अपने फटेहाल जिंदगी जी रहे हैं किसानों के नाम पर अधिकारी मलाई छान रहे है।
     

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