• मध्य प्रदेश बना कर्ज प्रदेश, प्रति व्यक्ति कर्ज 47000 रुपये

    मध्य प्रदेश सरकार कुछ ऐसी योजनाएं चला रही है जिसके चलते उसे लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है

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    भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार कुछ ऐसी योजनाएं चला रही है जिसके चलते उसे लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले भी मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लगातार कर्ज लेने की सूचनाएं चर्चा में थी।  चुनाव के बाद मुख्यमंत्री जरूर बदले हैं लेकिन कर्ज लेने का सिलसिला थमा नहीं है। 27 मार्च को सरकार तीन अलग-अलग तरीकों से 5000 करोड़ रुपए का कर्ज लेने वाली है जिसके चलते प्रदेश के हर नागरिक पर कर्ज का बोझ बढ़ जाएगा।

     
    आपको बता दें कि पिछले चुनाव से पहले शिवराज सिंह सरकार ने लाडली बहना योजना शुरू की थी और प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव सरकार भी इस योजना को जारी रखे हुए हैं जो अब हाथी पालने जैसा साबित हो रही है। इसके साथ ही सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स को भी बड़ा हुआ महंगाई भत्ता 4% देना है। इन सब बड़े हुए खर्चों को उठाने के लिए प्रदेश सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश सरकार इस वित्तीय वर्ष में 42500 करोड़ का कर्ज़ पहले ही ले चुकी है। इस वित्त वर्ष में प्रदेश सरकार पर कुल कर्ज लगभग 3.85 लाख करोड़ पहुंच गया है।
     
    बढ़ते कर्ज के सवाल पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने सफाई देते हुए कहा है की कर्ज लेना कोई बुरी बात नहीं है। कर्ज नियम कानून के अनुसार ही लेते हैं और वापस भी करते हैं रिजर्व बैंक के एफआरबीएम के आधार पर ही प्रदेश सरकार की लिमिट के अनुसार कर्ज लिया जाता है।  प्रदेश सरकार पर इतना कर्ज हो चुका है की प्रदेश का हर नागरिक 47000 के कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। आपको बता दें सरकार आए के स्रोत बढ़ाने में विफल रही है यही कारण है कि प्रदेश सरकार को लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है।

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