ग्वालियर। आमतौर पर कई पब्लिक प्लेस पर यह लिखा देखा होगा की सवारी अपने सामान की रक्षा स्वयं करें लेकिन भारतीय रेलवे अपने यात्रियों और उनके सामान की सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करती है और जब बात शताब्दी जैसे विप ट्रेन की हो तो हर यात्री यही समझता है कि वह इतना ज्यादा किराया देकर सुरक्षित सफर कर रहा है लेकिन ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर शताब्दी ट्रेन के C7 बोगी में ऐसी घटना हुई जिसने रेलवे की सुरक्षा के दावों की पोल खोल कर रख दी।
ग्वालियर निवासी गिरिराज अग्रवाल ने देशबंधु संवाददाता को बताया कि वह अपने परिवार के साथ ग्वालियर से भोपाल की यात्रा के लिए शताब्दी से सफर करने के लिए वाले रेलवे स्टेशन पहुंचे जब उनका परिवार शताब्दी की कोच नंबर C7 में चढ़ा तो उनकी बेटी शालिनी अग्रवाल के हाथ से कोई अनजान मोबाइल छीन कर ले गया शालिनी चिल्लाई और घबराकर उसने अपने पिता गिरिराज अग्रवाल को बताया कि कोई मोबाइल छीन कर ले गया जहां गंभीर मामला यह है कि यह चोरी स्टेशन के बाहर या प्लेटफार्म पर नहीं हुई बल्कि ना ही यह चोरी सामान्य श्रेणी के कोच में हुई यह चोरी देश में वीआईपी ट्रेन मानी जाने वाली शताब्दी के C7 कोच में हुई।
हालांकि गिरिराज अग्रवाल ने जब इस घटना की जानकारी ट्रेन में उपस्थित टच को दी तो उन्होंने वहीं से फिर की व्यवस्था की जो फिर झांसी जीआरपी में दर्ज की गई यहां इस फिर में भी तकनीकी खामी यह रह गई कि अब जब यह फिर ग्वालियर ट्रांसफर होगी तब ग्वालियर जीआरपी पुलिस इस पर आगे कार्रवाई करेगी और जीआरपी पुलिस के मुताबिक इस ट्रांसफर में 7 दिन तक लग जाएंगे रेलवे को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए की यात्री के साथ हुई घटना की तत्काल फिर हो मामला उसे संबंधित थाने में तुरंत दर्ज हो जहां से तत्काल कार्यवाही हो सके लेकिन अभी शायद रेलवे के पास ऐसी व्यवस्था नहीं है।
शताब्दी जैसी विप ट्रेन के अंदर भी कर घुस आया यह साफ जाहिर करता है कि रेलवे की सुरक्षा के दावे खोखले हैं और चोर को भी पता है की शताब्दी जैसे विप ट्रेन में भी सुरक्षा की कोई अच्छी व्यवस्था नहीं है इसलिए एक चोर की सोच शताब्दी की बोगी के अंदर से चोरी करने तक पहुंच गई शताब्दी जैसी विप ट्रेन मैं भी यदि यात्री सुरक्षित नहीं है तो फिर रेलवे यात्रियों से विप ट्रेन के नाम पर किस बात का अधिक पैसा किराए के रूप में लेता है?