सावरकर मानहानि मामले में राहुल गांधी का अनुरोध स्वीकार

महाराष्ट्र में पुणे की एक विशेष अदालत ने स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर की मानहानि के मामले से संबंधित लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के अनुरोध को सोमवार को स्वीकार कर लिया

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सावरकर मानहानि मामले में राहुल गांधी का अनुरोध स्वीकार
File PHoto
एजेंसी
Updated on : 2025-04-07 23:08:48

पुणे। महाराष्ट्र में पुणे की एक विशेष अदालत ने स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर की मानहानि के मामले से संबंधित लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के अनुरोध को सोमवार को स्वीकार कर लिया। विशेष न्यायाधीश अमोल शिंदे ने गांधी के अनुरोध को स्वीकार कर लिया।

श्री गांधी ने सांसद-विधायक मामलों की अदालत से अनुरोध किया है कि इस मामले की सुनवाई 'समरी ट्रायल' के बजाय 'समन ट्रायल' के रूप में की जाये।सावरकर के खिलाफ कथित भाषण के लिए उनके पोते सत्यकी सावरकर ने श्री गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था।

श्री गांधी ने लंदन में अपने भाषण में कथित तौर पर कहा था कि सावरकर ने अपनी एक किताब में लिखा है कि “एक बार जब हम जा रहे थे, तो कुछ लोग एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई कर रहे थे, मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई।” सत्यकी का हालांकि तर्क दिया है कि सावरकर ने किसी किताब में ऐसा नहीं लिखा है , इसलिए श्री गांधी ने कथित तौर पर सावरकर की मानहानि की।

अदालत में मानहानि के इस मामले की आज सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मिलिंद पवार ने श्री गांधी की ओर से एक आवेदन दायर कर इस मामले की सुनवाई 'समरी ट्रायल' के बजाय 'समन ट्रायल' के रूप में करने की मांग की, जिसे बाद में स्वीकार कर लिया गया। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यह मामला कुछ ऐतिहासिक घटनाओं और घटनाओं पर निर्भर करता है। सावरकर ने स्वतंत्रता प्राप्ति में कितना और कैसे योगदान दिया, सावरकर ने कितनी किताबें लिखी हैं, मुसलमानों के बारे में सावरकर के क्या विचार थे? सावरकर का अंग्रेजों से क्या संबंध था? इस मामले में बचाव पक्ष को ऐसी कई ऐतिहासिक घटनाओं पर जिरह करनी होगी। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों और कानून के प्रावधानों के अनुसार बचाव पक्ष को मामले की व्यापक सुनवाई और जिरह करने का अधिकार है। उन्होंने कहा, “लेकिन यदि इस मामले की सुनवाई 'संक्षिप्त सुनवाई' के रूप में की जाती है, तो बचाव पक्ष गवाहों से व्यापक और गहन जिरह नहीं कर पायेगा। यदि मामले की सुनवाई 'सम्मन सुनवाई' के रूप में की जाती है, तो बचाव पक्ष को अपने मामले को विस्तार से और गहराई से प्रस्तुत करने, समय-समय पर आवश्यक दस्तावेज दाखिल करने और समय-समय पर सरकार से उनका अनुरोध करने की अनुमति मिल सकती है।”

अधिवक्ता पवार ने अपने आवेदन के माध्यम से न्यायालय से अनुरोध किया कि वह शिकायतकर्ता को आदेश दे कि वह सत्यकी सावरकर द्वारा न्यायालय में दाखिल सभी दस्तावेज जैसे समाचार पत्र, पुस्तकें, गवाहों के हलफनामे, लंदन में प्रवासी कार्यक्रम में श्री गांधी के भाषण की सीडी, सुनवाई शुरू होने से पहले बचाव पक्ष को सौंप दे। अदालत ने शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर से लिखित दलीलें मांगी हैं।मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होगी।

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