ग्वालियर। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव का महासंग्राम जारी है। जो भाजपा 18 सालों से सत्ता में है उसके एंटी इन्कमबंसी का ही परिणाम है कि ज्यादातर सर्वे में भाजपा बहुमत के आंकड़े से बहुत दूर दिखाई दे रही है। इस सबके बावजूद भी भाजपा अपनी योजनाओं और उपलब्धियों को जनता तक नहीं पहुँचा पाया रहीं हैं। कारण है प्रवक्ताओं की कमी या निष्क्रियता। ऐसा लगता है कि भाजपा प्रवक्ताओं के संक्रमण काल से जूझ रही है। ऐसा कल एक सेटेलाइट चैनल की डिबेट में दिखाई दिया। जहाँ भाजपा के प्रवक्ता व नेता बैकफुट पर नजर आए।
डिबेट के दौरान जनता की जगह केवल भाजपा और कॉंग्रेस के लोग ही एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे थे। आरोप प्रत्यारोप के इस खेल में भाजपा बैकफुट पर नजर आई । डिबेट में डायस पर कॉंग्रेस की तरफ से प्रवक्ता राम पांडे और आरपी सिंह मौजूद थे तो भाजपा की तरफ से एक प्रवक्ता ब्रिज गोपाल लोया और छात्रः जीवन से राजनीति कर रहे शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर नीतेश शर्मा मौजूद थे।
शिवराज सिंह के कार्यो को मंच से साझा करने का केवल नीतेश शर्मा ने ही थोड़ा बहुत प्रयास किया। बाकी पूरी डिबेट में भाजपा अपनी बात को प्रभावशाली तरीके से नहीं रख पाई। हद तो तब हो गयी जब डिबेट के बाद भाजपा के ही पदाधिकारी एक दूसरे के सर आरोप मढ़ते नजर आए।
चुनावी समर में सबसे आगे कोई रहा है तो पार्टी का प्रवक्ता जो न केवल अपनी पार्टी की योजनाओं और घोषणाओं को प्रभावी रूप से मीडिया के माध्यम से जनता हर तक पहुंचा कर पार्टी का वोट बैंक मजबूती करता है बल्कि अन्य पार्टियों द्वारा लगाए गए आरोपों को भी अपनी वॉकपटुता से शिथिल कर देता है। लेकिन लगता है कि इस समय भाजपा प्रवक्ताओं के संक्रमण काल से गुजर रहीं है।
चुनाव सर पर हैं तो हर प्रवक्ता को हर समय हर जानकारी के साथ तैयार रहना चाहिए। कहीं ऐसा तो नहीं कि अंदर ही अंदर य़ह प्रवक्ता भी भाजपा की हार स्वीकार कर चुके हैं और केवल खानापूर्ति के लिए होटलों में प्रेसवार्ता के साथ आराम फरमा रहे हैं। सर्वे कुछ भी रहे हों यदि य़ह प्रवक्ता मीडिया में प्रभावी तरीके से बात रखें तो अभी भी हवा का रुख बदल सकता है!