• सीएम का आदेश अमल में लाने की मशक्कत, क्या स्कूलों पर अंकुश लग पाएगा!

    पलक नहीं चाहते शिकायत करना, स्कूल चुपके चुपके दे रहे कारनामे को अंजाम, कुछ दिन बाद नामांकन शुरू होते ही चुनाव में छूट जाएंगे अधिकारी तो कैसे लगेगा स्कूलों के ऊपर अंकुश?

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    ग्वालियर: मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अभिभावकों को राहत देने के उद्देश्य से आदेश जारी किया कि कोई भी स्कूल यदि किताब ड्रेस या अन्य सामग्री ऊंची कीमतों पर बिछाते पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी ग्वालियर जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग इस आदेश के पालन में मैदान में उतर आया है और अलग-अलग क्षेत्र अनुसार आठ विभिन्न दलों का गठन किया गया है। जिला प्रशासन की टीम ने किया शहर में बुक, स्टेशनरी और यूनीफॉर्म दुकानों का निरीक्षण किया है। आधा दर्जन से अधिक दुकानों पर हुई छापामार कार्रवाई, एक दुकान पर मिली गड़बड़ी तत्काल मौके पर ही दुकान को सील किया गया है।

    ग्वालियर कलेक्टर डॉक्टर चौहान ने मामले को गंभीरता से लेते हुए चिन्हित दुकानों से प्राइवेट स्कूलों के बच्चों उनके अभिभावकों को किताबें, स्टेशनरी, यूनीफॉर्म खरीदने के लिए बाध्य करने संबंधी शिकायतों की जांच के लिये आठ जांच दलों का गठन किया है। हर दल का नेतृत्व एसडीएम को दिया गया है जिनके अधीन एक बीईओ एक बीआरसी एक जीएसटी का अधिकारी और एक अन्य क्षेत्रीय अधिकारी रखा गया है। यह जांच दल अलग-अलग क्षेत्र में जाकर अलग-अलग स्कूल और किताब बिक्री केदो पर निरीक्षण करेंगे। कलेक्टर रुचिका चौहान की इसी शक्ति के चलते गुरुवार को भी जांच दल ने शहर में बुक,स्टेशनरी दुकानों का किया था औचक निरीक्षण, निर्धारित बिंदुओं के आधार पर एसडीएम ने जांच की।

    कलेक्टर रुचिका चौहान जी शक्ति से माननीय सीएम डॉ मोहन यादव के आदेश का पालन करने के लिए प्रयासरत हैं उस स्कूल संचालक और पुस्तक विक्रेताओं में हड़कंप मचा हुआ है संबंधित स्कूल संचालक इस कार्रवाई से बचने का भर्षक प्रयास कर रहे हैं। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि फिलहाल तो कार्यवाही से बहुत सुधार हो रहा है लेकिन यदि ऐसी कार्रवाई साल भर चले तब व्यवस्था में सुधार संभव है। सीएम डॉ मोहन यादव के आदेश को पूर्णतया अमल में लाने के बीच कई चुनौतियां हैं उसमें से एक लोकसभा चुनाव भी है चुनाव की तारीखों को देखते हुए प्रशासन की पहली प्राथमिकता चुनाव करना है 12 अप्रैल से ग्वालियर में नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी उसके बाद स्कूल संचालक और किताब विक्रेताओं पर कार्रवाई हो इस बात की संभावना कम ही है। स्कूल संचालक भी अभी प्रशासन की शक्ति को देखते हुए अपने किताब बेचने ड्रेस बेचने के काम को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर सकते हैं कुछ किताब संचालक चुपके चुपके अभिभावकों को परजियन देकर भी अपनी इस गतिविधि का संचालन कर रहे हैं इस मामले में सबसे बड़ी समस्या यह है कि जिन पलकों के पक्ष में कम डॉक्टर मोहन यादव ने यह सख्त आदेश दिया है वह पलक ही शिकायतकर्ता के रूप में आगे नहीं आ रहे हैं जांच टीम ने भी कुछ पलकों से जब इस मामले में बात की तो पलकों ने ऐसी किसी भी समस्या से इनकार कर दिया ऐसी स्थिति में सीएम के आदेश को पूरी तरह से अमल में लाना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है।

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