• निगम कर्मचारी नामांतरण की मांग रहा था रिश्वत, लोकायुक्त ने रंगे हाथों पकड़ा

    फरियादी की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने आज सुबह 11 बजे फरियादी को शेष बचे रुपए में केमिकल लगाकर क्षेत्रीय कार्यालय भेजा जैसे ही फरियादी ने कर संग्राहक और सहायक को रिश्वत दी वैसे ही रंगे हाथों लोकायुक्त पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया

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    गजेन्द्र इंगले
     
    ग्वालियर: लोकायुक्त की टीम ने ग्वालियर नगर निगम के दो कर्मचारियों को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। ये घूसखोर एक रिटायर्ड पुलिसकर्मी से मकान नामांतरण के दस्तावेज के एवज में 3 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहे थे। पीड़ित ने यह आरोप भी लगाया है कि वह इन घूसखोरों को 50हजार रुपये दे चुका है। उसके बाद भी दस हजार रुपये मांगे जा रहे थे। इसलिए परेशान होकर लोकायुक्त को शिकायत की।
     
     ग्वालियर के चार शहर का नाका इलाके में आने वाले लूटपुरा क्षेत्रीय कार्यालय क्रमांक 3 में पदस्थ कर संग्राहक गोपाल सक्सेना और कर सहायक रोहित कुमार द्वारा जगनापुरा में रहने वाले रिटायर्ड पुलिसकर्मी भगवानदास पंथ से मकान नामंतरण के एवज में ₹3000 की रिश्वत की मांग की थी लेकिन फरियादी स्वयं निगम मुख्यालय पहुंचा और अधिकारियों से मिलकर उसने अपना नामंतरण बनवा लिया जिसके बाद अधिकारियों ने कहा कि आपको इसके दस्तावेज क्षेत्रीय कार्यालय क्रमांक 3 से प्राप्त होंगे जिसके बाद फरियादी क्षेत्रीय कार्यालय क्रमांक 3 पहुंचा और उसने कर संग्राहक से मकान नामांतरण का दस्तावेज मांगा तो नामांतरण का दस्तावेज देने के एवज में कर संग्राहक गोपाल सक्सेना कर सहायक रोहित कुमार द्वारा दोबारा 3000 की मांग की गई पर फरियादी ने ₹1000 देकर कहा कि मैं शुक्रवार को सुबह 2000 देकर आमंतरण ले जाऊंगा जिसके बाद गुरुवार फरियादी ने लोकायुक्त पुलिस से रिश्वत की शिकायत की फरियादी की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने आज सुबह 11 बजे फरियादी को शेष बचे रुपए में केमिकल लगाकर क्षेत्रीय कार्यालय भेजा जैसे ही फरियादी ने कर संग्राहक और सहायक को रिश्वत दी वैसे ही रंगे हाथों लोकायुक्त पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया।
     
    इस भ्रस्टाचारी कर संग्राहक की मुश्किले यहीं कम नही हुई। जब इसके जकड़े जाने की सूचना नगर निगम मुख्यालय तक पहुँची तो निगम आयुक्त किशोर कान्याल ने भी उसे तत्काल निलंबित कर दिया। जैसे ही घूसखोर गोपाल सक्सेना के पकड़े जाने की खबर क्षेत्र में फैली कई लोग इसके कारनामों का चिट्ठा खोलने लगे। नगर निगम के क्षेत्रीय कार्यालय कई तरह के अनैतिक कार्यों में लिप्त रहते हैं।
     
    भवन निर्माण से लेकर नामांतरण जैसे कई काम बिना लिए दिए नहीं होते हैं। कुछ वर्ष पूर्व भी नगर निगम के सिटी प्लानर को ईओडब्ल्यू ने 5 लाख की रिश्वत लेते पकड़ा था। उस समय भी शहर में यह चर्चा थी कि नगर निगम एक ऐसा कुआ है जिसमे पूरी तरह भांग घुली हुई है। अब कर संग्राहक के रिश्वत लेते पकड़े जाने से यह चर्चा फिर शुरू हो गई है। 
     

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