ग्वालियर: स्वास्थ्य विभाग में लापरवाही का आलम यह है कि विभाग के अधीनस्थ यदि कहीं कार्यवाही कर रहे हैं, तो कार्रवाई क्यों की गई है उसके पीछे क्या कारण रहे? इसकी जानकारी श्रीमान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी महोदय को भी नहीं होती मतलब अधीनस्थ अपने मर्जी से चाहे जहां कार्रवाई करते हैं और चाहे जहां व्यवस्थाएं होती हुई भी आंख मूंद लेते हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के इस ढुलमुल दवाई से लगता है कि जिले में स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे चल रही है।
सीएमएचओ का बेतुका बयान
हुआ यूँ कि स्वास्थ्य विभाग के जनसंपर्क अधिकारी आईपी निवारिया ने मीडिया ग्रुप में जानकारी साझा की कि स्वास्थ्य विभाग ने तीन निजी अस्पतालों के पंजीयन निरस्त किए हैं, लेकिन इस सूचना में ना तो पंजीयन निरस्त करने के किसी कारण का जिक्र था ना ही अस्पतालों में पाई गई खामियां बताई गई थी ना ही जांच टीम में कौन-कौन सदस्य गए थे यह जानकारी थी इस कार्रवाई के बारे में जब सीएमएचओ डाॅ आर के राजोरिया से देशबंधु संवाददाता ने उनके मोबाइल नंबर पर चर्चा की और पूछा की जिन अस्पतालों का पंजीयन निरस्त हुआ है उनमें क्या कमियां पाई गई तो उन्होंने गैर जिम्मेदार आना जवाब देते हुए कहा कि ऐसे मुझे याद नहीं है पॉल्यूशन की कमी होगी! स्टाफ की कमी होगी! इस तरह होगी...होगी... कहते हुए उन्होंने अस्पष्ट जानकारी दी। उनका जवाब साफ बता रहा था कि उन्हें खुद भी यह जानकारी नहीं है कि उनके अधीनस्थ पंजीयन निरस्त क्यों कर आए!
कार्यवाही स्वास्थ्य विभाग के जनसंपर्क अधिकारी के समझ से परे
जब इस कार्रवाई के बारे में स्वास्थ्य विभाग के जनसंपर्क अधिकारी आईपी निवारिया से उनके मोबाइल नंबर पर बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे भी नहीं पता की कार्रवाई क्यों हुई है मैंने सीएमएचओ साहब से पूछा भी की किस कारण कार्रवाई हुई तो उन्होंने कुछ भी ना बताते हुए केवल तीन अस्पतालों के नाम भेज दिए जिसमें मसाला लगाकर मैंने यह सूचना बना दी। आईपी निवारिया को भी यह नहीं पता था कि कौन सी टीम जांच के लिए गई और किन कमियों के चलते पंजीयन निरस्त करके आई है। नीचे हम वह सूचना दे रहे हैं जो आईपी निवारियां ने स्वास्थ्य विभाग के मीडिया ग्रुप में प्रेषित की है।
मीडिया को दी गई आधी अधूरी गोलमोल सूचना
"ग्वालियर -मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला ग्वालियर ने बताया कि ग्वालियर जिले में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं आमजन को मिलें इस हेतु शासकीय अस्पतालों के साथ प्राईवेट अस्पतालों का निरीक्षण कराया जाता है इसी तारतम्य में प्राईवेट अस्पतालों का निरीक्षण दलों द्वारा निरीक्षण कराया जा रहा है निरीक्षण के दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ग्वालियर के द्वारा कमियों को देखते हुये तीन नर्सिंग होम महामृत्युंजय मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल , राम राधे कृष्ण हॉस्पिटल एवं श्री मल्टीस्पेशलिटी का पंजीयन निरस्त किया गया।"
स्वास्थ्य विभाग की कार्यवाही इसलिए है संदेहास्पद
इस पूरी सूचना में जिस तरह से जरूरी जानकारी गोलमोल करके छुपाई गई है उसे साफ स्पष्ट है की स्वास्थ्य विभाग के अधीनस्थ कर्मचारी अपनी मर्जी से कार्रवाई की खानापूर्ति करते रहते हैं। यदि हम खामियों की बात करें तो दर्जनों अस्पताल बिना ट्रेडं स्टाफ के और बिना मानकों के चल रहे हैं पॉल्यूशन की बात करें तो कुछ महीने पूर्वी पॉल्यूशन विभाग ने कई अस्पतालों में अनियमिता की बात कही थी। इस तरह हम देखें तो स्वास्थ्य विभाग अनियमित से संचालित अस्पतालों पर कार्रवाई क्यों नहीं करता है का सवाल तो है ही लेकिन कुछ अस्पतालों पर खाना पूर्ति की कार्रवाई क्यों करता है यह भी बड़ा सवाल है!