ग्वालियर। चुनाव के वक्त डबल और ट्रिपल इंजन के सरकार की बात करने वाले भाजपा की कलाई उसे समय खुल गई जब भाजपा के पास दो नहीं अपनी ही सरकार के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए पार्षदों का यहां तक कहना था कि अधिकारी इतने बेलगाम हैं कि वह जनहित के कार्य भी नहीं सुनते हैं अब जब सट्टा सीन पार्टी के पार्षदों का ही यह हाल है तो आप अंदाजा लगे की मध्य प्रदेश में खासकर ग्वालियर में अधिकारी किस तरह से निरंकुश हैं।
मामला ग्वालियर निगम परिषद में चल रही बैठक का है बैठक के शुरू होते ही निगम के आयुक्त सहित अन्य अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाने लगे परिषद का नजारा बड़ा ही दिलचस्प था क्योंकि भाजपा के पार्षद ही धरना प्रदर्शन कर रहे थे और सभापति भी भाजपा के ही हैं जबकि बीजेपी बहुत मत में है और अल्पमत का विपक्ष शांत बैठा हुआ था। भाजपा पार्षदों का हंगामा इतना जबरदस्त था कि कई बार सदन को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा और वर्कआउट तक की स्थिति बन गई थी।
भाजपा पार्षदों का आरोप था कि नगर निगम के अधिकारी मनमानी करते हैं वार्ड 62 के पार्षद गिरिराज कंसाना का आरोप था की सफाई कर्मचारी क्षेत्र में काम नहीं करते बस हाजिरी भरकर चले जाते हैं इस संबंध में अधिकारियों को कई बार जानकारी दी गई लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई बल्कि अपर आयुक्त विजय राज ने उल्टा गिरिराज कंसाना से ही अभद्रता से बात की कई पार्षदों ने आरोप लगाए की निगम अधिकारी दादागिरी पर उतारू है अलग-अलग क्षेत्र के भाजपा पार्षद ही कई तरह के गंभीर आरोप नगर निगम अधिकारियों पर लगाते रहे ।
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है और ग्वालियर निगम परिषद में भी वर्तमान में 66 में से 41 पार्षद बीजेपी के हैं इन सब के बावजूद भी निगम के अधिकारियों पर भाजपा पार्षद द्वारा भ्रष्टाचार की आरोप लगाना मध्य प्रदेश के सुशासन के दावों पर बड़े सवाल खड़ी करता है!