कश्मीरी लिपि
कश्मीर की भाषा कश्मीरी (कोशुर) हैं। कश्मीर में वर्तमान समय तक कश्मीरी भाषा बोलचाल की भाषा रही है।
Deshbandhu
Updated on : 2010-06-09 21:56:12
कश्मीर की भाषा कश्मीरी (कोशुर) हैं। कश्मीर में वर्तमान समय तक कश्मीरी भाषा बोलचाल की भाषा रही है। कश्मीरी भाषा के प्रयोग के लिए विभिन्न लिपियों का प्रयोग किया गया है जिसमें मुख्य लिपि हैं- शारदा, देवनागरी, रोमन तथा परशो-अरेबिक, कश्मीरी एक इंडो-आर्यन भाषा हैं। कश्मीर वादी के उतर और उत्तर-पश्चिम में बोली जाने वाली भाषाएं- दारदी, श्रिनया, कोहवर कश्मीरी भाषा के विरूध्द थीं। यह भाषा इंडो-आर्यन तथा हिन्दुस्तानी-ईरानी भाषा से मिलती जुलती है।भाषाशास्त्रियों का मानना है कि कश्मीर के पहाड़ों में रहने वाले पूर्व नागा निवासी मूल आर्यन से अलग हो गए, जैसे-गंधर्व, यक्ष तथा किन्नर आदि। इस तरह कश्मीरी भाषा को आर्यन भाषा जैसा बनने में बहुत समय लगा। नागा भाषा स्वयं ही विकसित हुई और उसमें स्वयं ही बदलाव आया। इतना सब होने के बावजूद भी कश्मीरी भाषा ने अपना विशिष्ट स्वर बनाए रखा और आठवीं-नौवीं शताब्दी तक अन्य आधुनिक भारतीय भाषाओं की तरह इसे भी कई अवस्थाओं से गुजरना पड़ा।दसवीं शताब्दी के आसपास कश्मीरी भाषा को लिखने के लिए शारदा लिपि का प्रयोग किया गया था। पौराणिक कश्मीरी शास्त्र शारदा में ही लिखे गए हैं। शारदा भाषा लिखने का तरीका देशी है जो मूल ब्राह्मी से विकसित हुआ। विद्वानों, शासकों तथा हिन्दू, मुस्लिम, बौध्द आदि सभी धर्म के लोगों ने लिखने के लिए शारदा लिपि का इस्तेमाल किया। इसी के चलते ललदेद, रूपा भवानी, नन्द ऋषि तथा अन्य भक्ति कविताएं शारदा में ही लिखी गई थीं और अभी तक पुस्तकालय में मौजूद हैं। यह लिपि कश्मीरी पंडित की पुरोहित श्रेणी द्वारा जन्मपत्री लिखने के लिए भी प्रयोग की जाती है।कश्मीरी भाषा लिखने के लिए कश्मरी लिपि का प्रयोग हिन्दुओं तक ही सीमित है किंतु मुस्लिम कश्मीरी भाषा लिखने के लिए अरबी अक्षरों का प्रयोग करते हैं। कश्मीरी भाषा में शारदा के अलावा देवनागरी लिपि, रोमन तथा परसो-ऐरेबिक का प्रयोग भी किया गया है। कश्मीरी भाषा में कोशुर समाचार, खीर भवानी टाइम्स, वित्सता, मिलचार आदि पत्र-पत्रिकाएं भी हैं। कश्मीरी भाषा के अब सॉफ्टवेयर भी आ गए हैं। कश्मीरी भाषा के लिए रोमन लिपि का भी प्रयोग किया गया है। किंतु यह लोकप्रिय नहीं है। जम्मू व कश्मीर सरकार ने अब परशो-एरेबिक लिपि जिसे कश्मीरी लिपि से जाना जाता है। कश्मीर की राजभाषा लिपि माना है और इस भाषा का प्रकाशन में काफी प्रयोग किया जाता है।कुछ लोग कश्मीरी को अरबी-ंफारसी लिपि में लिखते हैं जो उर्दू से बहुत भिन्न नहीं है। आज जिस रूप में कश्मीरी लिखी जाती है, उस रूप में बिना किसी कठिनाई के इसे नागरी लिपि में भी लिखा जा सकता है। यों कश्मीरी में अ, आ, उ, ऊ आदि स्वरों के एकाधिक रूप हैं तथा व्यंजनों में मराठी की तरह दन्तमूलीय च, ज आदि भी हैं, किंतु सामान्य लेखन में उनका ध्यान नहीं रखा जाता।-विजय भट्ट(साभार विकासप्रभा)