• 50 साल की माइक्रोसॉफ्ट का भविष्य कैसा होगा

    पर्सनल कंप्यूटर से लेकर क्लाउड सर्विसेज तक, माइक्रोसॉफ्ट ने कुछ ही दशकों में कामकाज के तरीके को पूरी तरह बदल दिया. आलोचकों का दावा है कि एआई इसे भविष्य में पहले से कई ज्यादा प्रभावशाली बना सकता है

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    पर्सनल कंप्यूटर से लेकर क्लाउड सर्विसेज तक, माइक्रोसॉफ्ट ने कुछ ही दशकों में कामकाज के तरीके को पूरी तरह बदल दिया. आलोचकों का दावा है कि एआई इसे भविष्य में पहले से कई ज्यादा प्रभावशाली बना सकता है.

    ऑफिस हो, क्लासरूम हो या खेती-बाड़ी, आज माइक्रोसॉफ्ट हर जगह मौजूद है. विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिए इसने कंप्यूटर जगत में क्रांति की और घर-घर तक पर्सनल कंप्यूटर पहुंचा दिया.

    माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस (जैसे वर्ड, एक्सेल, पावरपॉइंट) आधुनिक दफ्तरों का सबसे अहम हिस्सा बन गया. कोविड-19 के दौरान माइक्रोसॉफ्ट टीम्स दुनियाभर के कारोबार और स्कूलों के लिए अनिवार्य सा बन गया. आज इस प्लेटफॉर्म को प्रति दिन 32 करोड़ से अधिक लोग इस्तेमाल करते हैं. इससे रिमोट वर्क संभव हो पाया है.

    अमेरिका के रेडमंड में स्थित माइक्रोसॉफ्ट ने शुक्रवार (4 अप्रैल) को अपनी 50वीं सालगिरह मनाई.

    क्लाउड कंप्यूटिंग, ऑपरेटिंग सिस्टम और डेवलपमेंट टूल्स जैसे क्षेत्रों में मजबूत पकड़ के बाद क्या माइक्रोसॉफ्ट अब आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के युग में भी अपनी लय बरकरार रख पाएगा या फिर इसका इतना ज्यादा प्रभाव चिंता का कारण बन जाएगा?

    गैरेज से ग्लोबल लीडर तक

    माइक्रोसॉफ्ट का सफर 1975 में न्यू मेक्सिको के अल्बुकर्क में एक छोटे से गैरेज में शुरू हुआ, जहां कॉलेज के दो दोस्त और प्रोग्रामर, बिल गेट्स (19) और पॉल एलन (22), ने कंप्यूटर को घर-घर पहुंचाने का सपना देखा.

    कंपनी को सबसे बड़ा मौका 1980 में मिला, जब उनकी आईबीएम के साथ साझेदारी हुई. इस साझेदारी से पर्सनल कंप्यूटर को माइक्रोसॉफ्ट का ऑपरेटिंग सिस्टम एमएस-डॉस मिला. इसके कुछ साल बाद विंडोज लॉन्च हुआ, जिसने सॉफ्टवेयर बाजार में माइक्रोसॉफ्ट का भविष्य निर्धारित किया.

    पिछले 50 सालों में माइक्रोसॉफ्ट ने लगातार तकनीकी बदलाव करते हुए खुद को लगातार बदला है और अपने कारोबार को बढ़ाया है. अब यह बस एक सॉफ्टवेयर कंपनी नहीं है बल्कि एक ग्लोबल टेक्नोलॉजी साम्राज्य बना चुकी है, जिसकी मौजूदगी लगभग हर जगह है.

    मार्च 2025 तक के आंकड़े देखे जाए तो, माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की तीसरी सबसे मूल्यवान कंपनी है, पहले नंबर पर आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल और दूसरे पर चिप बनाने वाली कंपनी एनवीडिया है.

    एआई ही भविष्य है

    अपनी मजबूत पहुंच के बावजूद, माइक्रोसॉफ्ट अभी भी एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के शुरुआती दौर में है. कंपनी रिसर्च, दुनिया भर में विशाल डाटा सेंटर और खुद की एआई चिप्स बनाने के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रही है.

    इस बदलाव की कमान संभाल रहे हैं, सीईओ, सत्या नडेला. उन्होंने 2014 में कंपनी की बागडोर संभाली और दो अहम फैसले लिए, जिनसे माइक्रोसॉफ्ट का भविष्य पूरी तरह बदल गया.

    पहला, उन्होंने कंपनी का फोकस क्लाउड कंप्यूटिंग पर शिफ्ट किया, जिससे बिजनेस मॉडल और कमाई के तरीके में काफी बदलाव आया. और दूसरा, एआई की अपार संभावनाओं को देखते हुए उन्होंने एआई को कंपनी के भविष्य की नीतियों का केंद्र बना दिया.

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर विराम क्यों चाहते हैं इलॉन मस्क

    माइक्रोसॉफ्ट के एआई आधारित टूल्स, जैसे कि कोपायलट, ईमेल ड्राफ्ट करना, डाटा एनालाइज करना और क्रिएटिव कंटेंट बनाने जैसे रोजमर्रा के कामों को पहले से ही संभाल रहे थे. लेकिन अब कंपनी का लक्ष्य है कि लोगों के काम करने से लेकर, बातचीत करने और नवाचार करने के तरीके को नया अहसास दिया जाए.

    हालांकि माइक्रोसॉफ्ट एआई को "प्रोडक्टिविटी बढ़ाने वाले" टूल की तरह देखती है. लेकिन आलोचकों का मानना है कि ऑटोमेशन के चलते बड़े पैमाने पर नौकरियों पर खतरा बन रहा है. इसके अलावा, डाटा प्राइवेसी और झूठी जानकारी फैलाने जैसे नैतिक मुद्दे भी गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं.

    जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (डीएफकेआई) के सीईओ, अंटोनियो क्रूगरकहते हैं कि अब एआई "कंपनियों में वैल्यू क्रिएशन को सीधे तौर पर प्रभावित कर रहा है."

    क्रूगर ने डीडब्ल्यू को बताया, "माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी टेक कंपनियां इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की होड़ में हैं,” और यह बदलाव "केवल परंपरागत ऑफिस कामों ही नहीं बल्कि यूरोप भर के प्रमुख औद्योगिक और आर्थिक क्षेत्रों को भी प्रभावित कर रहा है.”

    क्या माइक्रोसॉफ्ट को रोकना संभव है?

    कई बिजनेस और सरकारों के लिए माइक्रोसॉफ्ट के बिना काम करना लगभग असंभव बन चुका है. ग्लोबल डाटा प्रोवाइडर स्टैटिस्टा के अनुसार सिर्फ जर्मनी में, 96 फीसदी सरकारी संस्थान माइक्रोसॉफ्ट का सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करते हैं और 69 फीसदी संस्थान इसके डाटा सेंटर्स पर निर्भर हैं.

    कंपनियां जहां, माइक्रोसॉफ्ट की क्लाउड सर्विस, सिक्योरिटी टूल्स और एआई-आधारित टूल्स पर निर्भर हैं, वहीं सरकारी संस्थान भी अपना संवेदनशील डाटा माइक्रोसॉफ्ट के डाटा सेंटर्स में स्टोर करते हैं और प्रशासनिक कार्यों के लिए भी इनके ही सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं.

    माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार दुनिया भर में कम से कम 1.4 अरब पीसी और लैपटॉप विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलते हैं. लेकिन इस गहरी निर्भरता की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि अब माइक्रोसॉफ्ट से अलग होना बहुत मुश्किल हो चुका है.

    क्रूगर जैसे विशेषज्ञ, इस कारण "लॉक-इन इफेक्ट" की चेतावनी देते है. जिसका मतलब है कि जब कोई संस्था पूरी तरह माइक्रोसॉफ्ट के सिस्टम को अपना लेती है, तो फिर प्लेटफॉर्म को बदलना बेहद मुश्किल और महंगा हो जाता है. यही निर्भरता माइक्रोसॉफ्ट को बाजार में और मजबूत करती है, और प्रतिस्पर्धियों के लिए उसे चुनौती देना लगभग नामुमकिन हो जाता है.

    सरकारों के लिए यह एक बड़ा सवाल है कि, क्या किसी एक कंपनी के पास इतनी महत्वपूर्ण डिजिटल व्यवस्था का कंट्रोल होना चाहिए?

    नीति-निर्माता, खासकर यूरोपीय संघ में, इस बात पर जोर दे रहे हैं कि या तो कड़ी निगरानी रखी जाए या फिर तकनीकी कंपनियों में विविधता लाई जाए, ताकि माइक्रोसॉफ्ट पर निर्भरता कम हो सके. लेकिन ऐसे विकल्प बहुत कम हैं, जो माइक्रोसॉफ्ट का मुकाबला कर सकें.

    लेकिन क्रूगर का मानना है कि केवल नियम-कानून बनाने से काम नहीं चलेगा. उनके अनुसार ईयू को अब खुद एक यूरोपीय एआई सॉफ्टवेयर चैम्पियन बनने का काम शुरू कर देना चाहिए. उन्होंने कहा, "हम तकनीक के मामले में सक्षम हैं, अगर हमने यूरोप में एआई मॉडल विकसित नहीं किए, तो हम वैश्विक टेक्नोलॉजी की दौड़ में कोई खास भूमिका नहीं निभा पाएंगे.”

    एआई की दौड़ में माइक्रोसॉफ्ट

    माइक्रोसॉफ्ट लगातार वैश्विक विस्तार कर रहा है. कंपनी आने वाले समय में अपनी एआई क्षमताओं को और मजबूत करने में जुटी है. उसका प्लान है कि वो अपने एआई मॉडल्स को रोजमर्रा के ऐप्स में गहराई से जोड़े और साथ ही अपनी क्लाउड सेवाओं को भी मजबूत बनाए रखे.

    माइक्रोसॉफ्ट ने फरवरी में अपना नया मजोरना वन चिप लॉन्च किया. माइक्रोसॉफ्ट का दावा है कि यह दुनिया की पहली ऐसी क्वांटम चिप है, जो "आने वाले समय में क्वांटम कंप्यूटर को सालों में (ना कि दशकों में) उद्योग-स्तर की गंभीर समस्याएं हल करने में सक्षम करेगी.”

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