अपने व्यवहार से सुबह शाम दुनिया चौंकाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि वोलोदिमीर जेलेंस्की रूस के साथ बातचीत के लिए तैयार हो गए हैं. साथ ही वह अमेरिका को यूक्रेनी खनिज देने को भी तैयार हैं.
अमेरिकी संसद को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मंगलवार को एक चिट्ठी पढ़ी. ट्रंप ने दावा किया कि यह पत्र उन्हें यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भेजा है. ट्रंप ने कहा, "पत्र कहता है, टिकने वाली शांति के करीब पहुंचने के लिए यूक्रेन जल्द से जल्द समझौते की मेज पर आने को तैयार है. यूक्रेनियों से ज्यादा शांति की चाहत किसी को नहीं है."
यह पहला मौका था, जब दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद ट्रंप ने अमेरिकी संसद को संबोधित किया. ट्रंप ने यह भी दावा किया कि जेलेंस्की अमेरिका के साथ मिनरल डील करने को तैयार हो गए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ने जेलेंस्की के खत का हवाला देते हुए कहा कि, "खनिजों और सुरक्षा के समझौते के लिहाज से, यूक्रेन आपके मनमुताबिक वक्त पर दस्तखत करने के लिए तैयार है."
मंगलवार को राष्ट्रपति के संसद को संबोधित करने से पहले माना जा रहा था कि ट्रंप यूक्रेन युद्ध को शांत करने के लिए एक विस्तृत योजना पेश करेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जेलेंस्की ने भी सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर एक लंबा पोस्ट लिखकर इसकी पुष्टि की है.
इससे पहले शुक्रवार, 28 फरवरी को ट्रंप ने अपने ओवल ऑफिस में जेलेंस्की से मुलाकात की थी. इस बातचीत के दौरान ट्रंप और उप राष्ट्रपति जेडी वेंस, जेलेंस्की को छिड़कते हुए दिखाई और सुनाई दिए. उस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति और यूक्रेनी राष्ट्रपति के बीच तल्खी इतनी बढ़ गई कि खनिज समझौते पर दस्तखत नहीं हो सके. बाद में जेलेंस्की के साथ होने वाला भोज भी टाल दिया गया.
अमेरिका और यूक्रेन के बीच मिनरल्स डील
भौगोलिक क्षेत्रफल के लिहाज से यूक्रेन, यूरोप का सबसे बड़ा देश है. पूर्वी और उत्तरी यूक्रेन में बड़ी मात्रा में खनिज भंडार हैं और इस वक्त पूर्वी यूक्रेन का बड़ा हिस्सा रूसी नियंत्रण में है. इन खनिजों में ग्रेफाइट, मैंगनीज, आयरन, लीथियम, यूरेनियम और टाइटैनिय जैसे मिनरल्स शामिल हैं.
आपसी रिश्तों में बार बार "डील" शब्द का इस्तेमाल करने वाले ट्रंप चाहते हैं कि ये खनिज अमेरिका को मिलें. जेलेंस्की से हुई उस तल्ख मुलाकात के बाद अमेरिका ने यूक्रेन को दी जा रही मदद रोकने का एलान भी किया.
यूक्रेन के पड़ोसी देश पोलैंड के मुताबिक अमेरिका ने यह फैसला नाटो से मशविरा किए बिना किया है और इसका असर दिखने भी लगा है. फ्रांस सरकार के मुताबिक, यूक्रेन भेजी जा रही अमेरिकी सप्लाई वाली सभी ट्रेनों को उनकी मंजिल तक पहुंचने से रोक दिया गया है.
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेशकोव ने यूक्रेन को सहायता बंद करने के अमेरिकी फैसले को "एक ऐसा समाधान जो कीव सरकार को वाकई में शांति प्रक्रिया के लिए बाध्य करने वाला" बताया. इस बीच मॉस्को के सहयोगी बेलारूस ने रूस-यूक्रेन वार्ता की मेजबानी की पेशकश भी की है.
किस करवट बैठेगी ट्रंप की विदेश नीति
पूर्वी यूक्रेन पर रूसी सेना ने पहली बार फरवरी 2022 में हमला किया. हमले के वक्त जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति थे. अमेरिका और यूरोपीय देशों समेत दुनिया के कई देशों ने रूस के जमीनी हमले की निंदा की. अमेरिका की अगुवाई में यूरोपीय और नाटो देशों ने यूक्रेन को बड़ी मात्रा मानवीय और सैन्य मदद भी दी. लेकिन अमेरिका में नंवबर 2024 में हुए राष्ट्रपति चुनावों में डॉनल्ड ट्रंप की जीत ने अमेरिकी विदेश नीति को एकदम नई दिशा में घुमा दिया है.
दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से टेलीफोन पर लंबी बातचीत की. इस बातचीत के बाद फरवरी में यूएई में अमेरिकी और रूसी अधिकारियों के बीच करीब पांच साल बाद आमने सामने बातचीत हुई. इस बातचीत में यूक्रेन युद्ध को खत्म करने पर चर्चा हुई, इस इस दौरान वहां न तो यूक्रेनी प्रतिनिधि थे और ना ही अमेरिका के यूरोपीय साझेदार.