मुर्शिदाबाद, (पश्चिम बंगाल)। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में हुई हिंसा की जांच के लिए एक टीम को क्षेत्र का दौरा करने का आदेश दिया है।
यह निर्णय वक्फ कानून के विरोध में हुई हिंसा के बाद लिया गया, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई और कई अन्य घायल हुए। आयोग ने मानवाधिकार उल्लंघनों की शिकायतों को गंभीरता से लिया है और स्थिति का आकलन करने के लिए कार्रवाई की है।
मुर्शिदाबाद के सुती, धुलियान, जंगीपुर और शमशेरगंज जैसे क्षेत्रों में पिछले दिनों वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो गए थे। प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में आग लगा दी, दुकानों और घरों को नुकसान पहुंचाया, इसके बाद पुलिस के साथ उनकी झड़पें हुईं। स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती की और कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दीं। हिंसा के दौरान सैकड़ों लोग विस्थापित हुए, इनमें से कई ने पड़ोसी मालदा जिले में शरण ली।
एनएचआरसी ने अपने बयान में कहा कि उसे हिंसा के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। आयोग की टीम का गठन हिंसा के कारणों, प्रशासन की प्रतिक्रिया और प्रभावित लोगों की स्थिति की जांच के लिए किया गया है। यह टीम स्थानीय अधिकारियों, पुलिस, पीड़ितों और गवाहों से बातचीत करेगी, ताकि तथ्यों का सटीक आकलन किया जा सके।
एनएचआरसी की यह पहल क्षेत्र में शांति बहाली और पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। आयोग ने स्पष्ट किया कि उसकी प्राथमिकता मानवाधिकारों की रक्षा करना और हिंसा के पीड़ितों को सहायता प्रदान करना है। जांच दल के निष्कर्षों के आधार पर आयोग आगे की कार्रवाई की सिफारिश करेगा, जिसमें दोषियों के खिलाफ कानूनी कदम भी शामिल हो सकते हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, हिंसा ने क्षेत्र में सामुदायिक तनाव को बढ़ा दिया है। कई परिवारों ने अपने घर छोड़ दिए और कुछ ने दावा किया कि उनके साथ मारपीट की गई और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। मालदा में प्रशासन ने विस्थापित लोगों के लिए अस्थायी आश्रय और भोजन की व्यवस्था की है। इस बीच, विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर स्थिति को नियंत्रित करने में विफलता का आरोप लगाया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दावा किया कि हिंसा के पीछे "सांप्रदायिक ताकतें" थीं, जबकि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इसे केंद्र सरकार के अधिनियम का परिणाम बताया।
वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार इस कानून का समर्थन नहीं करती और इसे राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हिंसा पर चिंता व्यक्त की और राज्य सरकार से कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा।