भारत ने कहा है कि अमेरिका से आयातित उत्पादों पर शुल्क घटाने पर कोई वादा नहीं किया गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि भारत अपने व्यापारिक अवरोधों को काफी हद तक कम करने पर राजी हो गया है.
भारत सरकार ने संसदीय समिति को स्पष्ट किया कि "इस मुद्दे पर अमेरिका को कोई प्रतिबद्धता नहीं दी गई है." टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने वॉशिंगटन द्वारा उठाए गए मुद्दों को हल करने के लिए सितंबर तक का समय मांगा है. हालांकि पहले ही भारत ने कुछ अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क कम कर दिया है.
डॉनल्ड ट्रंप ने दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद दुनियाभर के मुल्कों के खिलाफ टैरिफ युद्ध छेड़ रखा है. वह बार-बार भारत की व्यापार नीतियों की आलोचना कर चुके हैं. उन्होंने पिछले हफ्ते कहा था, "भारत में कुछ भी बेचना लगभग असंभव है, यह पूरी तरह से प्रतिबंधात्मक है. अब वे अपने टैरिफ को काफी हद तक कम करने पर राजी हो गए हैं क्योंकि अब किसी ने आखिरकार उजागर किया है कि उन्होंने क्या किया है.”
हालांकि, भारत के वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने जोर देकर कहा कि अमेरिका के साथ चर्चा तत्काल टैरिफ बदलाव के बजाय दीर्घकालिक व्यापार सहयोग पर केंद्रित है. उन्होंने कहा कि दोनों देश ऐसा "द्विपक्षीय व्यापार समझौता" करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जो दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद हो.
ट्रंप ने अप्रैल महीने से जवाबी शुल्क लागू करने का ऐलान किया है. ये शुल्क भारतीय निर्यातकों के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्यापारिक भागीदारों पर "अनुचित" व्यापार प्रथाओं का आरोप लगाया है और पहले ही कई देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, पर व्यापार प्रतिबंध लगा दिए हैं.
क्या चाहता है अमेरिका
इस बीच, अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक ने भारत से अपने टैरिफ को कम करने और रूस से रक्षा खरीद को कम करने का आग्रह किया है. इंडिया टुडे टेलीविजन को दिए इंटरव्यू में लटनिक ने कहा, "भारत के आयात शुल्क दुनिया में सबसे अधिक हैं. उसे अमेरिका के साथ अपने विशेष संबंधों पर दोबारा सोचना चाहिए."
उन्होंने भारत से अमेरिकी कृषि कंपनियों के लिए अपना बाजार खोलने का भी आग्रह किया. उन्होंने कहा, "भारतीय कृषि बाजार को खुलना होगा. यह बंद नहीं रह सकता.” उन्होंने छोटे भारतीय किसानों की चिंताओं को संतुलित करने के लिए कोटा-आधारित व्यापार समझौते का सुझाव दिया.
हाल ही में ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बैठक के बाद, दोनों देशों ने अपने टैरिफ विवादों को हल करने और 2025 के आखिर तक व्यापार समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने की दिशा में काम करने पर सहमति जताई.
भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले हफ्ते अमेरिका में लटनिक से मुलाकात की थी ताकि व्यापार वार्ता को आगे बढ़ाया जा सके. अमेरिका भारत के साथ दीर्घकालिक द्विपक्षीय व्यापार समझौते का लक्ष्य बना रहा है, जिसका उद्देश्य 2030 तक 500 अरब डॉलर का व्यापार हासिल करना है.
रक्षा सौदे और रणनीतिक संबंध
वॉशिंगटन भारत से रूसी सैन्य उपकरणों पर निर्भरता कम करने और अधिक अमेरिकी हथियार खरीदने का दबाव बना रहा है. लटनिक ने कहा, "भारत ऐतिहासिक रूप से रूस से अपने सैन्य उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा खरीदता रहा है, और हमें लगता है कि इसे बदलने की जरूरत है.”
अमेरिका ने हाल के वर्षों में भारत को हथियारों की बिक्री काफी बढ़ाई है. 2008 के बाद से 20 अरब डॉलर से अधिक के सौदे किए गए हैं. ट्रंप ने पिछले महीने घोषणा की थी कि वॉशिंगटन 2025 से भारत को एफ-35 फाइटर जेट की सप्लाई करने और सैन्य बिक्री का विस्तार करने की योजना बना रहा है.
हालांकि ट्रंप ने मोदी के साथ अपने संबंधों पर भरोसा जताया है लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता जटिल बनी हुई है. भारत की ऊंची टैरिफ दरें अमेरिका को परेशान कर रही हैं. भारत औसतन 12 फीसदी आयात शुल्क लेता है, जबकि अमेरिका का औसत केवल 2.2 फीसदी है. विवाद इसी अंतर पर है. ट्रंप ज्यादातर क्षेत्रों में शून्य या ना के बराबर टैरिफ चाहते हैं. हालांकि कृषि को इससे अलग रखा गया है.
ट्रंप इस साल के अंत में ऑस्ट्रेलिया और जापान के नेताओं के साथ क्वॉड शिखर सम्मेलन के लिए भारत का दौरा कर सकते हैं. यह यात्रा दोनों देशों के बीच व्यापार की चर्चा आगे बढ़ा सकती है.
आर्थिक और रणनीतिक हितों के बीच संतुलन बनाने में दोनों पक्षों के सामने चुनौती बनी हुई है. आने वाले महीनों में यह तय होगा कि भारत और अमेरिका ऐसा व्यापार समझौता कर पाएंगे जो दोनों देशों की अपेक्षाओं को पूरा करता हो.