फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों फ्रांस और मिस्र के ऐतिहासिक रिश्तों को और चमकाना चाहते हैं. विश्लेषक कहते हैं मिस्र के सहारे फ्रांस मध्य पूर्व में शांति बहाली की कोशिश कर सकता है.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों रविवार को तीन दिन के दौरे पर मिस्र जा रहे हैं. 2017 से फ्रांस का राष्ट्रपति पद संभाल रहे मैक्रों 12वीं बार मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी से मिलेंगे.
फ्रांसीसी राष्ट्रपति भवन की प्रवक्ता के मुताबिक, माक्रों के मिस्र दौरे पर सीरिया, लीबिया, सूडान और इस्राएल में जारी संकट पर बातचीत होगी. फ्रांस को उम्मीद है कि मिस्र के सहारे वह मध्य पूर्व में जारी विवादों का कोई समाधान खोज सकेगा.
हालांकि मैक्रों के आधिकारिक दौरे का मुख्य उद्देश्य आर्थिक सहयोग है. लेकिन इस दौरान ज्यादातर निगाहें गाजा विवाद पर टिकी रहेंगी. इस्राएल ने हाल ही में हमास के साथ हुए संघर्ष विराम को तोड़ा है. अब बीच-बीच में इस्राएली सेना, गाजा पर बमबारी भी कर रही है. यूरोपीय संघ, अमेरिका, जर्मनी और कुछ अरब देश हमास को आतंकवादी संगठन मानते हैं.
इस्राएल ने 7 अक्टूबर 2023 के आतंकवादी हमले के बाद गाजा में घुसकर सैन्य कार्रवाई शुरू की. हमास के अक्टूबर 2023 के आतंकवादी हमले में 1,200 से ज्यादा लोग मारे गए और 200 से ज्यादा लोग बंधक बनाए गए. बंधक बनाए गए कुछ लोग आज तक सुरक्षित नहीं लौटे हैं. दूसरी तरफ इस्राएल की जवाबी कार्रवाई में अब तक फलीस्तीनी क्षेत्र में 50,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
इस्राएल के हमलों में 400 से ज्यादा की मौत
मैक्रों के कार्यालय के मुताबिक, "हम संघर्षविराम और युद्ध के संभावित अंत पर बातचीत करेंगे." इसके साथ ही फ्रांस और मिस्र के बीच रणनीतिक साझेदारी पर भी चर्चा होगी. फिलहाल मिस्र और यूरोपीय संघ के बीच ऐसी ही एक रणनीतिक साझेदारी है.
अरब जगत में फ्रांस की भूमिका
यूरोपीय संघ के सभी देशों में फ्रांस के अरब जगत और मिस्र से सबसे पुराने रिश्ते रहे हैं. राजनीतिक सलाहकार संस्था, एईके काउंसिल के कार्यकारी निदेशक अहमद एल केयी कहते हैं, "कई दशकों से फ्रांस और मिस्र के शानदार रिश्ते हैं. मिस्र में फ्रांस की कई कंपनियां हैं, जिनके वहां हजारों कर्मचारी हैं. इसके साथ ही मिस्र 2015 में राफेल लड़ाकू विमान खरीदने वाला पहला देश था, इसके बाद ही दूसरे देशों के लिए इस फाइटर को निर्यात करने का रास्ता खुला."
आज मिस्र, फ्रांस के सैन्य उपकरणों का मुख्य खरीदार है. दोनों देशों को इन प्रगाढ़ संबंधों की शुरुआत फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति शार्ल दु गॉल की मध्य-पूर्व नीति से हुई. जून 1967 में छह दिन के अरब-इस्राएल युद्ध से ठीक पहले इस्राएल ने मिस्र पर हमला किया था. तब शार्ल दु गॉल ने हमले की निंदा करते इस्राएल को हथियार बेचने पर पाबंदी लगा दी. पूर्व पत्रकार एल केयी के मुताबिक, "यह भी एक और कारण है जिसकी वजह से अरब जगत में और खास तौर पर मिस्र में फ्रांस की काफी इज्जत की जाती है."
फ्रांसीसी राष्ट्रपति कार्यालय को 1995 से कवर कर रहे पत्रकार खालेद साद जागहलौल कहते हैं, "राष्ट्रपति जाक शिराक, निकोला सारकोजी, फ्रांसुआ ओलांद और अब इमानुएल माक्रों, सबने हफ्ते में कम से कम एक बार काहिरा से मशविरा किया है."
जागहलौल ने डीडब्ल्यू से कहा, "1979 में मिस्र और इस्राएल के बीच हुए शांति समझौते के बाद से ही काहिरा को एक स्वीकार्य साझेदार के तौर पर देखा जाता है."
कैंप डेविड समझौते के तहत इस्राएल को आधिकारिक रूप से मान्यता देने वाला पहला अरब देश मिस्र ही था.
असमंजस भरे माहौल के बीच मैक्रों का दौरा
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर फवाज गेरगेस, मैक्रों के मिस्र दौरे की टाइमिंग को अहम मानते हैं. वह कहते हैं, "अंतरराष्ट्रीय मंच में उभरे निर्वात का फायदा माक्रों उठा रहे हैं ताकि वे पश्चिम के कद्दावर नेता के तौर पर उभर सकें. अभी अमेरिका बेतुका लग रहा है, जर्मनी गठबंधन सरकार बनाकर खुद को व्यवस्थित करने में जुटा है, हालांकि मध्य-पूर्व में उसकी उपस्थिति भी कम हैं, इटली और ब्रिटेन की तरह."
11 करोड़ की आबादी वाला मिस्र एक तरह से यूरोप और अरब जगत के बीच पुल का काम करता है. मिस्र, अफ्रीका, एशिया और यूरोप को भी जोड़ता है. गेरगेस कहते हैं, "मिस्र में जो भी होता है उसके नतीजे बहुत दूर तक जाते हैं."
इस बात को समझाते हुए वह कहते हैं, "मिस्र आप्रवासन के मामले में अहम है. वह पड़ोसी देशों से कई शरणार्थी लेता है. लीबिया के उलट वे वहां से आगे नहीं जाते हैं. एक ऐसे इलाके में जहां गृह युद्ध और सक्रिय आतंकवादी संगठन हों, वहां मिस्र स्थायित्व का ठिकाना सा लगता है."
पत्रकार जागहलौल के मुताबिक अरब जगत में जारी हर तरह के विवाद में मिस्र एक मध्यस्थ की भूमिका निभाता है, "मध्य पूर्व में, यह कहा जाता है कि आप मिस्र न तो युद्ध छेड़ सकते हैं और ना ही शांति हासिल कर सकते हैं- देश अरब देशों में अग्रणीय भूमिका निभाता है.