• म्यांमार में विनाशकारी भूकंप : दक्षिण कोरिया का 20 लाख डॉलर की मानवीय सहायता का ऐलान

    दक्षिण कोरिया ने विनाशकारी भूकंप से प्रभावित म्यांमार के लोगों की मदद के लिए 20 लाख डॉलर की सहायता देने की योजना बनाई। सोल के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को यह जानकारी दी

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    सोल। दक्षिण कोरिया ने विनाशकारी भूकंप से प्रभावित म्यांमार के लोगों की मदद के लिए 20 लाख डॉलर की सहायता देने की योजना बनाई। सोल के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को यह जानकारी दी।

    मंत्रालय ने कहा, "हमने म्यांमार में भूकंप से हुई क्षति की जल्द भरपाई के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के जरिए 20 लाख डॉलर की मदद देने का फैसला किया है।"

    योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय ने कहा कि वह म्यांमार की स्थिति के आधार पर, अगर जरूरत पड़ी तो और मदद देने पर विचार करेगा।

    म्यांमार की राज्य प्रशासन परिषद की सूचना टीम के अनुसार, म्यांमार में आए भूकंप में कम से कम 1,002 लोग मारे गए, 2,376 घायल हुए और 30 लोग लापता हैं।

    म्यांमार में शुक्रवार दोपहर को 7.7 तीव्रता का भूकंप आया, जिससे परिवहन और संचार व्यवस्था में बड़ी दिक्कतों के बावजूद बचाव कार्य तेजी से जारी हैं।

    सागाइंग के पास आए इस भूकंप के बाद 2.8 से 7.5 तीव्रता के 12 बाद के झटके महसूस किए गए, जिससे प्रभावित इलाकों की स्थिति और भी खराब हो गई।

    समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, तबाही बहुत बड़ी है और मांडले, बागो, मैगवे, उत्तर-पूर्वी शान राज्य, सागाइंग और ने-पी-ताव सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके हैं।

    म्यांमार सरकार ने राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया है। आपातकालीन टीमें जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए लगातार काम कर रही हैं।

    यांगून-मांडले राजमार्ग, जो एक महत्वपूर्ण परिवहन मार्ग है, नेपीता और मांडले के पास बुरी तरह से टूट गया है, जिससे राहत कार्यों में मुश्किलें आ रही हैं।

    भूकंप प्रभावित इलाकों में पहुंचने और बचाव कार्य में मदद के लिए लोगों ने पुराने यांगून-मांडले मार्ग का इस्तेमाल किया है। इसके अलावा, मांडले एयरपोर्ट और राजमार्ग के कुछ हिस्सों में इमारतें गिरने से यांगून और मांडले के बीच यात्रा और भी मुश्किल हो गई है।

    निचले म्यांमार से अग्निशमन सेवा कर्मियों सहित बचाव दल नेपी ताव और मांडले जैसे बुरी तरह प्रभावित इलाकों में पहुंच गए हैं। हालांकि, टूटी-फूटी सड़कें, बिजली की कटौती और फोन और इंटरनेट सेवाओं में दिक्कतों ने राहत कार्यों को और मुश्किल बना दिया है।

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