• 14 से 25 अप्रैल तक 'बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर स्वाभिमान अभियान' चलाएगी भाजपा

    भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संविधान निर्माता डॉ. भीम राव अंबेडकर के सम्मान में 14 से 25 अप्रैल तक बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर स्वाभिमान अभियान" चलाने का ऐलान किया है

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    नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संविधान निर्माता डॉ. भीम राव अंबेडकर के सम्मान में 14 से 25 अप्रैल तक "बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर स्वाभिमान अभियान" चलाने का ऐलान किया है।

    यह अभियान संविधान निर्माता बाबा साहेब के जन्मदिवस 14 अप्रैल से शुरू होगा और देशभर में उनके योगदान को याद करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। अभियान की तैयारियों के लिए बीजेपी ने 8 अप्रैल को दिल्ली में अपने मुख्यालय में कार्यशाला आयोजित करने का फैसला किया है।

    बीजेपी मुख्यालय में सुबह 10 बजे शुरू होने वाली इस कार्यशाला को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा संबोधित करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी इस कार्यशाला में शामिल हो सकते हैं।

    कार्यशाला में भाजपा महासचिव तरुण चुघ, दुष्यंत गौतम, अनुसूचित जाति (एससी) मोर्चा के महामंत्री और सांसद भोला सिंह, पूर्व सांसद विनोद सोनकर सहित अन्य प्रमुख चेहरे मौजूद रहेंगे। यह कार्यशाला अभियान की रूपरेखा तय करने और कार्यकर्ताओं को दिशा-निर्देश देने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

    "बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर स्वाभिमान अभियान" के तहत बीजेपी देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित करेगी। इनमें बाबा साहेब के जीवन और विचारों पर गोष्ठियों का आयोजन, उनकी प्रतिमाओं की साफ-सफाई, माल्यार्पण और सामाजिक जागरूकता से जुड़े कार्यक्रम शामिल हैं।

    कार्यशाला में शामिल होने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं को अभियान के दौरान जमीनी स्तर पर सक्रियता बढ़ाने के निर्देश दिए जाएंगे। बीजेपी इस अभियान को एक बड़े जनसंपर्क कार्यक्रम के रूप में भी देख रही है, जिसके जरिए वह अपनी पहुंच को और मजबूत करना चाहती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह अभियान खास तौर पर अनुसूचित जाति समुदाय के बीच बीजेपी की पैठ बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

    पार्टी का उद्देश्य इस अभियान के जरिए बाबा साहेब अंबेडकर के सामाजिक समानता और न्याय के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह अभियान न केवल बाबा साहेब के प्रति सम्मान व्यक्त करने का माध्यम होगा, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों तक उनकी नीतियों और विचारों को ले जाने का प्रयास भी होगा।

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