• बिहार: डबल मीनिंग वाले भोजपुरी गाने बजाए तो जाएंगे जेल

    हाल ही में बिहार में सार्वजनिक स्थलों पर अश्लील या द्विअर्थी गाने बजाने पर रोक लगा दी गई है. इस निर्देश का उल्लंघन करने वालों को जेल की हवा तक खानी पड़ सकती है. देखिए महिला सुरक्षा के लिहाज से कितना अहम है ये कदम

    Share:

    facebook
    twitter
    google plus

    हाल ही में बिहार में सार्वजनिक स्थलों पर अश्लील या द्विअर्थी गाने बजाने पर रोक लगा दी गई है. इस निर्देश का उल्लंघन करने वालों को जेल की हवा तक खानी पड़ सकती है. देखिए महिला सुरक्षा के लिहाज से कितना अहम है ये कदम.

    इस नए कदम के बारे में जागरुकता फैलाने के मकसद से हाल ही में बिहार पुलिस ने अपने एक्स हैंडल पर फिल्म अभिनेत्री नीतू चंद्रा की मदद ली. एक वीडियो संदेश में चंद्रा आम महिलाओं से अश्लील गीतों के प्रसारण पर रोक के लिए आगे आने की अपील भी करती हैं. बिहार पुलिस के इस कदम की काफी सराहना की जा रही है और इसे सरकार द्वारा नारी सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया एक और कदम माना जा रहा है.

    बिहार पुलिस की ओर से जारी वीडियो में नीतू चंद्रा महिलाओं से सार्वजनिक जगहों पर या फिर बस या ऑटो रिक्शा में अश्लील भोजपुरी, मगही, मैथिली या हिंदी गाने बजाने की शिकायत निकटतम पुलिस स्टेशन में दर्ज कराने की अपील कर रही हैं. इसमें बताया गया है कि शिकायत करने वाले की जानकारी गुप्त रखी जाएगी. इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश बिहार सरकार और बिहार पुलिस ने दे दिया है.

    महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के लिए यह कदम कितना अहम है, इस पर बिहार की ही एक पत्रकार काजल शर्मा कहती हैं, "सर्वविदित है कि बिहार-उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में समय के साथ-साथ भोजपुरी फिल्म और संगीत को बड़ा फलक मिला. किंतु, इसमें दो राय नहीं कि हाल के कुछ वर्षों में नदिया के पार व गंगा किनारे मोरा गांव जैसी साफ-सुथरी भोजपुरी फिल्में नहीं बनी और यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि कालांतर में भोजपुरी गाने अश्लीलता के पर्याय बन गए."

    हम्पी के पास दो महिलाओं का गैंगरेप और एक पर्यटक की हत्या

    धीरे-धीरे अन्य प्रांतीय भाषाओं के कंटेंट में भी यह जहर घुलता चला गया. दोहरे अर्थ वाले व अश्लील गाना बजाने को अपराध की श्रेणी में रखने के बिहार पुलिस के फैसले पर बैंककर्मी संदीपा ओझा कहती हैं, "यह सच है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट से आने-जाने के दौरान हम महिलाओं के लिए यह बड़ी समस्या है. भद्दे गानों के बीच सहयात्री घूरने से बाज नहीं आते और कौन झगड़ा-झंझट करे, यह सोच कर हम प्रतिकार नहीं करते जिससे ऐसे तत्वों का मनोबल बढ़ता जाता है. आदेश पर अमल हो, इसके लिए पुलिस को सड़क पर उतरना होगा."

    अश्लील गाना बजाया तो होगी एफआईआर

    बिहार पुलिस मुख्यालय ने अश्लील भोजपुरी, मैथिली, मगही या हिन्दी गानों का प्रसारण रोकने के लिए सभी आइजी-डीआइजी से कहा है कि इस तरह का मामला पाए जाने पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 296/79 एवं अन्य धाराओं के अंतर्गत एफआइआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए.

    राज्य सरकार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने भी बीते दिनों कानून-व्यवस्था की समीक्षा बैठक में अश्लील गानों को पूरी तरह प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया. प्रतिबंध के आदेश की प्रति प्रदेश के सभी जिलों के एसएसपी, एसपी एवं रेल एसपी को भी भेजी गई है. निर्देश को अमली जामा पहनाने के लिए कड़ाई से विशेष अभियान चलाने को निर्देशित किया गया है.

    क्या आर.जी. कर कांड में सजा से महिला सुरक्षा की तस्वीर बदलेगी

    सरकार का मानना है कि यह एक गंभीर और ज्वलंत सामाजिक समस्या है. इसके निदान के लिए पुलिस-प्रशासन के स्तर से राज्यभर में विशेष अभियान चलाकर हर हाल में आवश्यक निरोधात्मक और कानूनी कार्रवाई की जाए. अश्लील व द्विअर्थी गाने बजाने वालों को अन्य सजा के साथ एक साल की कैद भी हो सकती है.

    छोटे बच्चों के स्कूल की संचालिका संध्या सिन्हा कहती हैं, "यह निर्णय तो तब हुआ है जब घाव कोढ़ बन चुका है. महिलाओं की शिकायत भर से ही कुछ नहीं होने वाला और इसके लिए पुलिस स्टेशन जाना कहीं से उचित नहीं है. व्यवस्था ऐसी हो कि इंस्टेट शिकायत दर्ज हो सके. यह उपाय भी करना होगा कि ऐसे गाने बने ही नहीं."

    वहीं, बिहार पुलिस की एक महिला अधिकारी का कहना था, "इसे लेकर पहले से भी प्रावधान हैं, किंतु बिना समाज की सहभागिता के व्यावहारिक तौर पर अमल कैसे होगा. यह एक सोशल कॉज है. महिला-पुरुष दोनों को मिलकर इसे रोकना होगा. केवल डंडे के जोर पर यह संभव नहीं हो सकता. हां, इसमें महिला पुलिसकर्मियों की बड़ी भूमिका हो सकती है."

    कितना गलत इस्तेमाल हो रहा है महिला सुरक्षा कानूनों का?

    आज के युग में जब इंटरनेट की सहज उपलब्धता किशोर व युवा मन को आसानी से भ्रमित कर रही है तो ऐसे कंटेंट की प्रभावी निगरानी करनी ही होगी. गृहिणी अल्पना शरण का मानना है, ‘‘ऐसे गाने तो असुरक्षित माहौल बनाते ही हैं. फूहड़ फिल्मों व गानों पर रोक से महिलाओं के प्रति अपराध में एक हद तक कमी आ सकती है. लेकिन, इसमें समय लगेगा.''

    गानों से कैसे प्रभावित होती महिलाओं की सुरक्षा व गरिमा

    बिहार पुलिस ने अश्लील व द्विअर्थी गीतों से महिलाओं की सुरक्षा एवं गरिमा प्रभावित होने का हवाला देते हुए कहा है कि आए दिन यह देखा जाता है कि तिलक व विवाह जैसे सामाजिक समारोहों, पर्व विशेष पर आयोजित होने सांस्कृतिक कार्यक्रमों, सार्वजनिक स्थलों, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साधनों यथा बस, ऑटो, बस, ई-रिक्शा, टैक्सी या फिर मालवाहक वाहनों में भोजपुरी या अन्य प्रांतीय भाषाओं में अश्लील गीतों का प्रसारण धड़ल्ले से किया जाता है. ऐसा प्रदेश के शहरों में ही नहीं, गांव-देहातों तक में हो रहा है. इससे महिलाएं कहीं न कहीं स्वयं को असुरक्षित तथा लज्जित महसूस करती हैं.

    इंजीनियरिंग की छात्रा कौशिकी कहती हैं, "ऑटो चलाने वाले छोटे-छोटे लड़के इतने भद्दे द्विअर्थी गाने बजाते हैं, जैसे मानो वे अश्लील कमेंट कर रहे हों. मना करने पर भी उन पर कोई असर नहीं होता. स्कूल-कॉलेज के आसपास पुलिस ने चाह लिया तो छेड़छाड़ रुक गई. इसी तरह पुलिस सख्त होगी तो ऐसे गाने नहीं ही बजेंगे. लोगों को फूहड़ गानों और ऐसे आयोजनों का बॉयकाट करना होगा."

    यह सच है कि इस प्रकार के गीतों के प्रसारण से छोटे-छोटे बच्चों में भी गलत संदेश जाता है और वे गलत दिशा में जाने के लिए प्रेरित होते हैं. अंतत: समाज पर भी इसका गहरा दुष्प्रभाव पड़ता है. द्विअर्थी भोजपुरी गीतों पर नीतू कहती हैं, "अश्लील गाने हमारे समाज को बदनाम कर रहे. बिहार में बहुत कुछ है, जिसे सुना और सुनाया जा सकता है. अश्लील गानों के खिलाफ सबको आवाज उठानी होगी. हम ऐसे गाने न देखेंगे न देखने देंगे, न सुनेंगे न सुनने देंगे. जब तक हम ऐसे गानों और कंटेंट के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे, तब तक ऐसे गाने बनते रहेंगे."

    लोकगीत गायिका साम्भवी का कहना था, "भोजपुरी में कई बेहतरीन गीत-गजल हैं. लेकिन दुख है कि समाज लालीपॉप लागे लू जैसे गानों को ही भोजपुरी का पर्याय मानने लगा है. गांव-समाज में बहू-बेटियों के बीच आयोजनों में ये गाने डिमांड पर बजाए जाते हैं और डांसर इन पर उत्तेजक अंदाज में परफॉर्म करती हैं." समाज को इस मानसिकता को बदलना होगा, तभी महिलाओं के प्रति लोगों के नजरिये में बदलाव संभव हो सकेगा.

    घर से बाहर निकल करना होगा अश्लीलता का प्रतिकार

    पटना स्थित राज्य पुलिस मुख्यालय में हाल ही में महिला सशक्तिकरण, सुरक्षा एवं सम्मान विषय पर आयोजित ‘उड़ान' कार्यक्रम में बिहार पुलिस के मुखिया डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) विनय कुमार ने अश्लील नाच-गानों पर करारा प्रहार किया. समाज को आईना दिखाते हुए उन्होंने कहा, "अश्लीलता किसी भी रूप में क्षम्य नहीं है. आजकल वैवाहिक व अन्य सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अश्लील गाने पर नाच हो रहा है. जब 55 साल के बुजुर्ग अश्लील डांस देखेंगे तो उनके बच्चे आगे जाकर बलात्कारी होंगे. उनकी मानसिकता में किसी प्रकार का भय नहीं होगा. ऐसी कुत्सित मानसिकता को प्रतिकार के जरिए दूर करने और दबाने की जरूरत है."

    खासकर, महिलाएं अगर घर से बाहर निकलकर ऐसे नाच-गाने पर रोक लगाने की बात करें, तो ये सब बंद हो जाएंगे. इसके लिए महिलाओं को गलत चीजों का प्रतिकार करने की इच्छा शक्ति रखने और जागरूक होने की जरूरत है. कोई सम्मानित व्यक्ति या जनप्रतिनिधि ऐसा आयोजन कराते हैं तो इसका भयंकर विरोध होना चाहिए, ताकि आगे से वे ऐसा करने की हिम्मत नहीं करें. किसी का नाम लिए बिना डीजीपी ने कहा कि किसी आयोजन में अश्लील डांस हो रहा तो कोई महिला के गाल पर नोट चिपका रहा, यह कितनी भद्दी बात है.

    जर्मनी में मैरिटल रेप कैसे बना अपराध, भारत में क्या रोड़ा

    डीजीपी की बातों से सहमति जताते हुए काजल शर्मा कहती हैं, "घर की देहरी से निकल कर जब-जब महिलाओं ने कदम आगे बढ़ाया है, उसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. वे ठान लेंगी तो गांव-गिरांव में शादी-विवाह के मौके पर अश्लील गाना और डांस तो निश्चय ही बंद हो जाएगा." ऐसा नहीं होता तो बिहार पुलिस में आज 30 प्रतिशत महिलाएं नहीं होतीं. महिलाओं ने जाने शराब की कितनी भट्ठियां तोड़ दी हैं. जीविका दीदियों की ताकत कौन नहीं जानता है और इस मुद्दे पर अब तो सरकार भी साथ है.

    Share:

    facebook
    twitter
    google plus

बड़ी ख़बरें

अपनी राय दें