चेन्नई/चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने शनिवार को मांग की कि 1971 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या संदर्भ को स्थिर किया जाना चाहिए तथा सभी राज्यों में राष्ट्रीय जनसंख्या वृद्धि दर के आधार पर अतिरिक्त लोकसभा सीटें आवंटित की जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जनसंख्या नियंत्रण प्रयासों में योगदान देने वाले राज्यों को नुकसान न हो।
चेन्नई में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री व द्रमुक प्रमुख एम के स्टालिन द्वारा आयोजित संघवाद और परिसीमन पर सम्मेलन में बोलते हुए शिअद के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भुंदड़ ने यह भी वकालत की कि चूंकि राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए प्रत्येक राज्य को उच्च सदन में समान संख्या में सीटें मिलनी चाहिए।
सम्मेलन में पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा के साथ मौजूद शिअद के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि परिसीमन प्रक्रिया के दौरान उन राज्यों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, जिन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति के अनुरूप अपनी जनसंख्या को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया है। उन्होंने कहा,“इन राज्यों को दंडित करने के बजाय पुरस्कृत किया जाना चाहिए। दक्षिणी राज्यों की तरह पंजाब ने भी जनसंख्या नियंत्रण को प्रभावी ढंग से बनाए रखा है, जबकि इसकी जनसंख्या अब प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है। उन्हें वंचित नहीं किया जाना चाहिए।”
भुंदड़ ने अपने विद्वत्तापूर्ण संबोधन में आनंदपुर साहिब प्रस्ताव पर भी बात की, जिसे 1978 में लुधियाना में अकाली सम्मेलन में दोहराया गया था। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव में वास्तविक संघीय सिद्धांतों के अनुसार केंद्र-राज्य संबंधों को फिर से परिभाषित करने का आह्वान किया गया था। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था, तब देखा गया अत्यधिक केंद्रीकरण विकेंद्रीकरण के लिए शिअद की दीर्घकालिक वकालत की आवश्यकता को रेखांकित करता है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक ढांचे को वास्तव में संघीय सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करने के लिए पुनर्गठित किया जाना चाहिए-भारत की एकता को बनाए रखना और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को सशक्त बनाना।
भुंदड़ ने कहा कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने राष्ट्रीय आयोग को दिए अपने प्रस्ताव में राज्यपालों की भूमिका में सुधार कर संघीय ढांचे के अनुरूप करने, अनुच्छेद 356 को हटाने की मांग की थी, जिसके तहत केंद्र द्वारा राज्य सरकारों को भंग करने की अनुमति दी गई थी और राज्यों को अपनी स्थानीय जरूरतों और प्राथमिकताओं के अनुसार अपनी योजनाओं का मसौदा तैयार करने की अनुमति दी गई थी।
भाषाई मुद्दों पर बोलते हुए,भुंदड़ ने कहा कि अकाली दल का दृढ़ विश्वास है कि केंद्र सरकार को किसी भी राज्य में कोई भाषा नहीं थोपनी चाहिए और राज्यों को यह तय करने की स्वायत्तता होनी चाहिए कि उनके शैक्षणिक संस्थानों में कौन सी भाषा पढ़ाई जाए। उन्होंने कहा,“इसी तरह, स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा का माध्यम अलग-अलग राज्यों द्वारा निर्धारित किया जाना चाहिए।” अकाली दल ने इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपना पूरा समर्थन देते हुए सभी समान विचारधारा वाले दलों से इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एकजुट होने का आग्रह किया। इसने संघवाद, परिसीमन और भाषाई अधिकारों जैसे राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए राजनीतिक दलों का सम्मेलन आयोजित करने की सराहनीय पहल करने के लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के प्रति आभार व्यक्त किया। इसमें कहा गया है कि अकाली दल ने संघीय आदर्शों के अनुरूप राज्य की स्वायत्तता की मांग को लगातार बरकरार रखा है और बटाला, आनंदपुर साहिब और लुधियाना में पारित प्रस्तावों के माध्यम से इसे दोहराया है। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री एस प्रकाश सिंह बादल और एम करुणानिधि ने हमेशा शक्तियों के अधिक हस्तांतरण की वकालत करके राज्यों को मजबूत बनाने के लिए काम किया है।