• कश्यप ने 32 वर्षो बाद दिलाई स्वर्णिम सफलता

    भारत के शीर्ष पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी पारुपल्ली कश्यप ने रविवार को इतिहास रचते हुए राष्ट्रमंडल खेलों के 20वें संस्करण के आखिरी दिन देश को 32 वर्षो में पहली बार पुरुष एकल वर्ग का स्वर्ण पदक दिलाया।

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    ग्लासगो !  भारत के शीर्ष पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी पारुपल्ली कश्यप ने रविवार को इतिहास रचते हुए राष्ट्रमंडल खेलों के 20वें संस्करण के आखिरी दिन देश को 32 वर्षो में पहली बार पुरुष एकल वर्ग का स्वर्ण पदक दिलाया। इससे पहले दिग्गज भारतीय खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण ने 1978 में तथा सैयद मोदी ने 1982 में पुरुष एकल का स्वर्ण पदक जीता था।
    कश्यप का स्वर्ण पदक राष्ट्रमंडल खेलों के मौजूदा संस्करण में भारत का 15वां एवं आखिरी स्वर्ण पदक रहा।
    एमिरेट्स एरेना में हुए पुरुष एकल वर्ग के फाइनल मुकाबले में कश्यप ने सिंगापुर के डेरेक वोंग को 21-14, 11-21, 21-19 से हरा दिया। यह मैच 61 मिनट चला।
    कश्यप ने पहला गेम सिर्फ 15 मिनट में अपने नाम किया लेकिन इसके बाद वोंग ने शानदार वापसी करते हुए दूसरा गेम 17 मिनट में 21-11 से अपने नाम कर मैच को रोमांचक मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया।
    तीसरे व निर्णायक गेम में कश्यप ने अपने प्रतिद्वंद्वी को छकाने का हर एक मौके को लपकने का प्रयास किया और इसमें उन्हें सफलता भी मिली लेकिन वोंग ने कई मौकों पर कश्यप को पीछे हटने पर मजबूर किया।
    स्टेडियम में मौजूद भारतीय प्रशंसकों ने 'इंडिया जीतेगा' के नारे लगाकर कश्यप की हौसलाअफजाई की।
    एक समय दोनों खिलाड़ी 19-19 से बराबरी पर थे और ऐसा लग रहा था कि मैच टाई ब्रेकर पर जाकर खत्म होगा या फिर वोंग पासा पलट देंगे लेकिन इसके बाद कश्यप ने लगातार दो अंक हासिल करते हुए मैच और स्वर्ण अपने नाम किया।
    मैच के बाद कश्यप ने अपनी टी-शर्ट उतारकर इस जीत का जश्न मनाया। कश्यप ने 2010 में दिल्ली में आयोजित 19वें राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीता था।
    रविवार को ही महिला युगल वर्ग में हालांकि ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की मौजूदा चैम्पियन भारतीय जोड़ी फाइनल मुकाबले में हार गई और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
    ज्वाला-पोनप्पा के रजत पदक जीतने के साथ ही भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों-2014 में बैडमिंटन में कुल चार पदक हासिल कर लिए।
    आरएमवी गुरुसाईदत्त और पी. वी. सिंधु ने क्रमश: पुरुष एवं महिला एकल में कांस्य पदक हासिल किया।
    खिताबी मुकाबले में ज्वाला और पोनप्पा की जोड़ी मलेशिया की विवियन काह मुन और खेई वेई वुन से 17-21, 21-23 से हार गई। यह मैच 41 मिनट चला।
    पहला गेम 16 मिनट में हारने के बाद ज्वाला-पोनप्पा ने दूसरे गेम में भरपूर संघर्ष किया और गेम को 23 मिनट तक खींच ले गईं। हाालंकि मलेशियाई जोड़ी ने इस गेम में भी अंतत: जीत हासिल कर स्वर्ण पर कब्जा जमाया।

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