• नाबालिगों के हाथ अवैध हथियार

    उम्र 17 साल और काम नशीली दवाएं बेचना। ऐसी एक सूचना पर जब पुलिस ने उनके ठिकाने पर दबिश दी तो पता चला कि वे सिर्फ दवाएं ही नहीं बेचते बल्कि वे गुनाह के उस रास्ते पर कदम रख चुके हैं,

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    उम्र 17 साल और काम नशीली दवाएं बेचना। ऐसी एक सूचना पर जब पुलिस ने उनके ठिकाने पर दबिश दी तो पता चला कि वे सिर्फ दवाएं ही नहीं बेचते बल्कि वे गुनाह के उस रास्ते पर कदम रख चुके हैं, जहां से होकर कोई कुख्यात अपराधी बन जाता है। पुलिस ने आगे पूछताछ की तो उनसे पिस्टल, कट्टा और कुछ कारतूस भी बरामद हुए। बिलासपुर के मिनी बस्ती इलाके के इन दो नाबालिगों को जेल भेज दिया गया है। यह बस्ती अवांछित गतिविधियों के लिए हमेशा चर्चा में रही है। इन नाबालिगों की गिरफ्तारी से इस बस्ती में पनम रही अपराध की जिस खतरनाक प्रवृत्ति का पता चलता है, वह पुलिस के लिए भी चिंता की बात होनी चाहिए। जहां कहीं भी नशे का कारोबार होता है, वहां इसी तरह अपराध पनपते हैं। पुलिस अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभाती और धीरे-धीरे ऐसे इलाके अपराध के केन्द्र बन जाते हैं। पुलिस को पता होता है कि किन-किन इलाकों में आपराधिक गतिविधियां बढ़ रही हैं, लेकिन वह एहतियाती कदमों को बहुत गंभीरता से नहीं लेती। उसकी कार्रवाई फौरी उद्देश्यों तक सिमटकर रह जाती है। अगर वह हर मामले में गहराई में जाकर छानबीन करे तो अपराधों की रोकथाम में मदद मिल सकती है। नशीली दवाएं बेचने के मामले में गिरफ्तार नाबालिगों ने ये अवैध हथियार कहां से हासिल किए, यह एक बड़ा प्रश्न है। किसी अपराध में अवैध हथियार के प्रयुक्त होने का पता चलने के बाद भी पुलिस उस हथियार के स्त्रोत का पता लगाने में दिलचस्पी नहीं लेती क्योंकि यह बेहद भाग-दौड़ वाला काम है। अवैध हथियार शहर में कहां से आ रहे हैं, पुलिस इस बारे में भी किसी ठोस नतीजे पर अपनी जांच को नहीं पहुंचा सकी। नाबालिगों तक इस तरह के अवैध हथियारों के पहुंचने का मतलब है, लोगों तक ये बड़ी सहजता से पहुंच रहे हैं। पुलिस अवैध हथियार बरामद करके एक महत्वपूर्ण सफलता अर्जित की है और उसे इस हथियारों के सौदागरों तक पहुंचने का भी प्रयास करना चाहिए। यदि ये सौदागर हाथ लग जाए तो हो सकता है कि अवैध हथियारों का पूरा कारोबार भी खुल जाए। बिहार, झारखंड से खबरें आती रहती है कि वहां इस तरह के हथियार बनाने के कुटीर उद्योग चलते हैं। ये हथियार कहीं इन्हीं राज्यों से तो नहीं आ रहे हैं। दोनों राज्य छत्तीसगढ़ से सड़क और रेल मार्ग से जुड़े हुए हैं। इन राज्यों से लगने वाली छत्तीसगढ़ की सीमा में अवैध हथियार के साथ गांजा और ब्राउन शुगर जैसे घातक नशीले पदार्थ की तस्करी के कई मामले पहले भी पकड़े जा चुके हैं। पुलिस को राज्य की सीमा पर निगरानी बढ़ाकर इस प्रकार की तस्करी को रोकने के लिए कदम उठाना चाहिए। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद जैसे-जैसे यहां विकास की गतिविधियां बढ़ी हैं, अपराधों का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है। कुछ दिनों पहले भिलाई के एक उद्योगपति के अपहरण में शामिल अपहर्ता कौन थे? इनकी आपराधिक पृष्ठभूमि भी हो सकती है इस मिनी बस्ती के इन नाबालिगों जैसी हो।


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