• युद्ध और शांति

    दोनों देशों के दर्शक अपनी जीत पर केवल उन्मादी नहीं होते, अपनी हार पर पागलपन भी खूब दिखाते हैं। जीतने पर पटाखे जलाना और हारने पर टीवी फोड़ने जैसे काम भी होते हैं।

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    पिछले दिनों भारत और पाकिस्तान की टीमों के बीच मुकाबला था। गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट को लेकर जबरन दुश्मनी का माहौल बना दिया गया है। जब भी मैच होता है, वह विश्व कप फाइनल जितनी ही अहमियत रखता है। दोनों देशों के दर्शक अपनी जीत पर केवल उन्मादी नहीं होते, अपनी हार पर पागलपन भी खूब दिखाते हैं। जीतने पर पटाखे जलाना और हारने पर टीवी फोड़ने जैसे काम भी होते हैं।


    पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक विचार पढ़ने मिला कि किसी की मौत के बाद हम रेस्ट इन पीस, लिखते हैं, ऐसा क्यों नहीं होता कि हम पीस में रह सकें। यानी मौत के बाद आत्मा की शांति के लिए तो दुआ की जाती है, लेकिन बेहतर ये होता कि जिंदा इंसानों को शांति से जीने का मौका मिले। रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के बीच अमन और शांति की दरकार रखने वाले ऐसे बहुत से संदेश रोजाना ही सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं। कहीं कोई रोती हुई वृद्धा की तस्वीर डाल रहा है, जो अपने उजड़े मकान के बाहर अकेली खड़ी है, कहीं रोते हुए बच्चे का वीडियो भेज रहा है, जो अपना सामान लिए मीलों चले जा रहा है। एक बच्ची का अमन की आशा के साथ गाना गाते हुए वीडियो भी खूब प्रसारित हुआ। इन उदाहरणों से समझा जा सकता है कि कुछ स्वार्थी शक्तियां भले ही युद्ध की चिंगारी सुलगाने की कोशिश करती रहीं, आम लोगों को दुनिया में मोहब्बत और शांति ही चाहिए। दुनिया में नफरत भरी पड़ी है, एक-दूसरे से लड़ने के हजार कारण मौजूद हैं, लेकिन दुनिया चलती है केवल आपसी प्यार और सद्भाव से। इस बात के कुछेक उदाहरण पिछले दिनों सामने आए।


    यूक्रेन में रूसी हमले के बीच कई शहरों में विदेशी छात्र फंस गए थे और वहां से निकलने की कोशिश कर रहे थे। कीव विश्वविद्यालय में पढ़ने वाला हरियाणा का एक युवक भी इसी तरह फंसा हुआ था, उसे कई और छात्रों के साथ हमलों से बचने के लिए बंकर में छिपना पड़ा था। बाकी देशों के छात्रों के साथ पाकिस्तान की एक छात्रा भी वहां फंसी हुई थी, जो किसी तरह पाकिस्तानी दूतावास जाना चाहती थी। ऐसे में हरियाणा के युवक ने उस छात्रा की मदद की, दोनों कई किमी चलकर स्टेशन पहुंचे, वहां बड़ी मुश्किल से एक ट्रेन में चढ़े और फिर गोलीबारी से बचते-बचाते अगले दिन टर्नोपिल शहर पहुंचे। जिसके बाद किसी तरह पाकिस्तानी दूतावास से संपर्क कर उस छात्रा को हरियाणा के युवक ने सुरक्षित पहुंचाया। पाकिस्तान ने उस युवक का आभार व्यक्त किया और फिर उसे रोमानिया तक पहुंचाया, ताकि वह भारत लौट सके।

    इसी तरह यूक्रेन की सीमा पार कर रहे बच्चों की मदद के लिए जब तक भारतीय दूतावास के लोग नहीं पहुंचे, तब तक पाकिस्तानी दूतावास के लोगों ने उनके खाने-पीने का इंतजाम किया। पिछले दिनों जर्मनी के रेलवे स्टेशनों की तस्वीरें भी सामने आई हैं, जिनमें यूक्रेन से पहुंचे शरणार्थियों को अपने घर ठहराने और उनकी मदद के लिए जर्मन नागरिक खुद स्टेशनों पर पहुंच गए। भारत के एक छात्र ने अपनी वापसी इसलिए रद्द कर दी, क्योंकि उसका दोस्त वापस नहीं लौट पा रहा था। एक भारतीय छात्रा ने अपने यूक्रेनी मकान मालिक के बच्चों की देखभाल के लिए रुकने का फैसला लिया, क्योंकि मकान मालिक लड़ाई में शरीक होने गया था।


    रोमानिया के स्नागोव शहर के मेयर मिहाई आंगेल और भारत के नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच की बहस का वीडियो खूब चर्चा में आया था। जिसमें मेयर आंगेल श्री सिंधिया से कह रहे हैं कि आप बताइए कि हमने इन बच्चों के खाने-पीने और रहने का इंतजाम किया। जबकि श्री सिंधिया उनसे दंभी अंदाज में कह रहे हैं कि मुझे क्या कहना है ये मुझे तय करने दीजिए। श्री सिंधिया जिस पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं, वहां ऐसा दंभ होना स्वाभाविक है। लेकिन वे मौके की नजाकत को समझ नहीं पाए, न ही ये महसूस कर पाए कि वे उस देश के एक मेयर से इस लहजे में बात कर रहे हैं, जिसने भारतीय बच्चों को पनाह दी।

    इस प्रकरण के बारे में एक साक्षात्कार में मेयर आंगेल ने बताया कि हमने 157 भारतीय छात्रों के एक दल को ठहराया, उनके लिए सारे इंतजाम किए। ये बच्चे युद्धग्रस्त क्षेत्र से आए थे, परेशान थे, लेकिन उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करने की जगह उन्हें भाषण दिया जा रहा था। उन्हें जानना था कि वे कब लौट सकते हैं, उनके वापसी की क्या व्यवस्था है, लेकिन इन सवालों के जवाब देने की जगह ये महाशय यानी श्री सिंधिया देर शाम अकड़ते हुए वहां पहुंचे और बच्चों को भाषण देने लगे। जिस पर मैंने उन्हें टोका और याद दिलाया कि क्या होना चाहिए। मिहाई आंगेल की नाराजगी भी बच्चों की फिक्र से ही उपजी थी, जो प्यार का ही एक और रूप है। श्री सिंधिया जैसे लोग जब इस प्यार का मर्म समझने लगेंगे तो दुनिया काफी बदल जाएगी।


    प्यार, फिक्र, मदद, त्याग ऐसे तमाम खूबसूरत एहसासात युद्ध की आग के बीच फूलों की तरह खिलते रहे। एक और सुंदर तस्वीर न्यूजीलैंड से सामने आई। जहां महिला क्रिकेट विश्वकप में पिछले दिनों भारत और पाकिस्तान की टीमों के बीच मुकाबला था। गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट को लेकर जबरन दुश्मनी का माहौल बना दिया गया है। जब भी मैच होता है, वह विश्व कप फाइनल जितनी ही अहमियत रखता है। दोनों देशों के दर्शक अपनी जीत पर केवल उन्मादी नहीं होते, अपनी हार पर पागलपन भी खूब दिखाते हैं। जीतने पर पटाखे जलाना और हारने पर टीवी फोड़ने जैसे काम भी होते हैं। हमें यह याद रखने की जरूरत है कि क्रिकेट केवल एक खेल है, जिसमें कोई भी हार या जीत सकता है। लेकिन खेल भावना और इंसानियत कभी हारने नहीं चाहिए। और इस बार न्यूजीलैंड में भारत-पाक के खिलाड़ियों ने ऐसा ही कुछ किया। ये मुकाबला भारत ने जीत लिया, लेकिन उससे भी बड़ी जीत वात्सल्य की हुई।

    पाकिस्तान की कप्तान बिस्मिल्लाह मारूफ़ की बेटी को लाड़ करते, दुलारते भारतीय खिलाड़ियों का एक वीडियो और कुछ तस्वीरें खूब वायरल हुईं। बिस्मिल्लाह मारूफ़ हाल ही में मां बनी हैं और न्यूजीलैंड में खेले जा रहे विश्वकप में वह अपनी बच्ची के साथ हिस्सा लेने पहुंची हैं। मैच के बाद बिस्मिल्लाह मारूफ़ अपनी बच्ची को गोद में लेकर आईं और उनके चारों ओर भारतीय खिलाड़ी इक_ी हो गईं और उस बच्ची के साथ कुछ सुंदर पल बिताए। इस वीडियो को देखकर कोई भी मुस्कुराए बिना नहीं रह सकता। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के पहले आई ये तस्वीर महिला शक्ति की एक अलग ही कहानी बयां कर रही थी और ये भी याद दिला रही थीं कि आपसी प्यार-मोहब्बत, भाईचारे की इस भावना से ही दुनिया बनी रह सकती है।

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