- सर्वमित्रा सुरजन
भारत में इस वक्त दिशा रवि की गिरफ्तारी को लेकर एक वर्ग बेचैन है। रोजाना उनकी रिहाई की अपील हो रही है। उनकी गिरफ्तारी में कानून के जिन प्रावधानों की अनदेखी हुई, उनकी ओर ध्यान दिलाया जा रहा है। लेकिन जिन के हाथों में कानून और शासन की ताकत है, वे इस पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। आईटी सेल तो बाकायदा दिशा रवि के चरित्र हनन में भी जुट गया है, ताकि जो सहानुभूति सामान्य समाज से मिल रही है, वो छद्म संस्कारों के बोझ में दब जाए।
ये इंटरनेट है, ये हमारी दुनिया है और तमाशा हो रहा है। पाकिस्तान से फेमस हुई पॉवरी गर्ल दनानीर मुबीन का आभार, कि उन्होंने बात कहने का एक नया अंदाज दुनिया को दिया। कम से कम अभी तो यही अंदाज सोशल मीडिया के जरिए वायरल हो गया है। उत्तरप्रदेश पुलिस ने इसी अंदाज में एक संदेश दिया है 'ये हम हैं और ये हमारी कार है, अगर लेट नाइट पॉवरी आपको डिस्टर्ब कर रही है तो ये हमारा नंबर 112 है।' वाकई इंटरनेट के कारण दुनिया में तमाशों के लिए एक नहीं, कई मंच उपलब्ध हो गए हैं। हर आए दिन कोई अनजाना शख्स किसी अनूठे अंदाज के लिए चर्चा में आ जाता है और उस चर्चा का बुलबुला बहुत जल्द फूट भी जाता है। फिर कोई नया बुलबुला उठ खड़ा होता है। कबीर ने जीवन का जो फलसफा बताया है, वह इंटरनेट की दुनिया पर भी लागू होता है कि पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस की जात। एक दिना छिप जाएगा, ज्यों तारा परभात। वेबसीरीज तांडव में सैफ अली खान ने सही कहा कि फिर कोई लड़की, किसी नये तरीके से आंख मारेगी और इंटरनेट सेंसेशन बन जाएगी। कुछ दिन पहले तक लोग इस बात पर मजे ले रहे थे कि रसोड़े में कौन था, अब इस बात के चर्चे हो रहे हैं कि हमारी पॉवरी हो रही है।
लेकिन रसोड़े से लेकर पॉवरी के बीच कई और तमाशे दुनिया में हो गए, हो रहे हैं और होते ही रहेंगे, जिन पर सतत चर्चाएं होनी चाहिए, लेकिन उन्हें अनचाहे गर्भ की तरह जल्द से जल्द मिटाने की कोशिश हो रही है। भारत में इस वक्त दिशा रवि की गिरफ्तारी को लेकर एक वर्ग बेचैन है। रोजाना उनकी रिहाई की अपील हो रही है। उनकी गिरफ्तारी में कानून के जिन प्रावधानों की अनदेखी हुई, उनकी ओर ध्यान दिलाया जा रहा है। लेकिन जिन के हाथों में कानून और शासन की ताकत है, वे इस पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। आईटी सेल तो बाकायदा दिशा रवि के चरित्र हनन में भी जुट गया है, ताकि जो सहानुभूति सामान्य समाज से मिल रही है, वो छद्म संस्कारों के बोझ में दब जाए। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नया रूप सोशल मीडिया पर देखने मिल रहा है। इस से पहले मजदूर अधिकार संगठन से जुड़ी श्रम अधिकार कार्यकर्ता नवदीप कौर को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। 23 साल की नवदीप पर हत्या का प्रयास, जबरन वसूली जैसे आरोप हैं।
सोनीपत में एक औद्योगिक ईकाई का कथित तौर पर घेराव करने और कंपनी से पैसे की मांग करने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया था। 22-23 साल की ये लड़कियां कितनी खतरनाक हो सकती हैं, ये देश को बताया जा रहा है। वैसे भी कानून की नजर में 22 और 50 साल का कोई फर्क नहीं है। लेकिन शायद सत्ता समर्थकों और सत्ताविरोधियों का फर्क है, तभी तो खुलेआम रिवाल्वर लहराते युवक को पुलिस पीछे खड़े देखती रह जाती है। या नकाब पहनकर छात्र-छात्राओं पर डंडे बरसाने वाले लोग पहचान उजागर होने के बाद भी खुले घूमते रह जाते हैं।
बहरहाल, दिशा या नवदीप अभी जिस दौर से गुजर रही हैं, एक वक्त था मलाला भी शायद ऐसा ही कुछ भुगतती, लेकिन तालिबानियों ने उन पर कानून के इस्तेमाल की जगह सीधे गोली का इस्तेमाल किया। मलाला बच गईं, इलाज के लिए ब्रिटेन पहुंच गईं। उन्हें नोबेल पुरस्कार भी मिला और अब भी वे लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठा रही हैं। ग्रेटा थनबर्ग तो यूरोप से लेकर अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र के मंच तक खुलकर अपनी आवाज उठा सकीं। मगर हर कोई मलाला या ग्रेटा जैसा माहौल नहीं पा सकता। सऊदी अरब में लुजैन अल हथलौल ने कोशिश की कि महिलाओं की बेड़ियों को तोड़कर उनके जीवन को रफ्तार दे सकें। उन्होंने महिलाओं के गाड़ी चलाने के अधिकार को लेकर आवाज उठाई, तो उन्हें 2018 में हिरासत में ले लिया गया। हालांकि 2018 में ही सऊदी अरब में शासक क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने सुधारों को तरजीह देते हुए महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार दिया है। लेकिन लुजैन को पांच साल आठ महीने की जेल भुगतनी होगी, क्योंकि आतंकवाद के मामलों की सुनवाई के लिए बनाए गए सऊदी अरब के विशेष आपराधिक न्यायालय ने हथलौल को राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने और विदेशी एजेंडे को आगे बढ़ाने समेत कई अन्य आरोपों का दोषी बताया है। जब कोई महिला आधी आबादी, कमजोरों, असहायों के लिए आवाज उठाती है, तो सत्ता का उससे आतंकित होना स्वाभाविक है। इसलिए उन पर आतंकवाद, देशद्रोह जैसे इल्जाम लगना भी स्वाभाविक है।
ऐसा नहीं है कि सामान्य वर्ग की महिलाएं ही सत्ताशक्ति-संपन्न लोगों की ज्यादतियों का शिकार होती हैं। दुबई में तो प्रिंसेस लतीफा अल मकतूम ने अपने पिता दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम के बंधनों से आजादी पाने के लिए 2018 में भागने की नाकाम कोशिश की थी। दरअसल नाव में भागकर अपने पिता की पहुंच से दूर होने की कोशिश लतीफा ने की थी, लेकिन आठ दिन बाद भारत के नजदीक कमांडो दस्ते ने उन्हें पकड़ लिया और दुबई के हवाले कर दिया गया। भारत सरकार की इसमें क्या भूमिका है, इसकी कोई पुष्टि अब तक नहीं हुई है। जहां भी वे बंधक हैं, वहां के बाथरूम से उन्होंने एक वीडियो किसी तरह बनाया. क्योंकि यही एक जगह थी, जहां दरवाजा बंद करने की अनुमति उन्हें थी। वीडियो में लतीफा ने बताया कि कैसे नाव में बंधक बनने से पहले सुरक्षाबलों से उनकी हाथापाई हुई, कैसे उन्हें बिजली का झटका देकर बेहोश किया गया और उन्हें कोई स्वास्थ्य या कानूनी सहायता दिए बगैर अकेले घर में रखा गया, जहां बाहर पुलिस का पहरा था। लतीफा ने अपनी जान को खतरा बताया था, और अब उनका कोई संदेश भी नहीं मिल रहा है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी सुरक्षा और रिहाई के लिए आवाज उठ रही है।
पता नहीं तमाशों की चकाचौंध में गुम दुनिया किसी भी वजह से पीड़ित, प्रताड़ित लोगों की सुध लेगी या नहीं। म्यामांर में भी लोकतंत्र की लड़ाई लड़ने वाली आंग सान सू ची तख्तापलट के बाद से नए आरोपों का सामना कर रही हैं। वहां की जनता सेना की ज्यादतियों के बावजूद सड़कों पर उतर रही है, इंटरनेट वहां बंद है, लेकिन लोकतंत्र के लिए उठती आवाजों को अभी बंद नहीं किया जा सका है। उधर रूस में शासक ब्लादिमीर पुतिन के खिलाफ आवाज उठाने वाले अलेक्सी नवेलनी की गिरफ्तारी के बाद से उनके समर्थन में विरोध प्रदर्शन जारी है। नवेलनी की पत्नी समेत कई समर्थक भी पुलिस की गिरफ्त में हैं। जिनके लिए वैलेन्टाइन्स डे पर मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में महिलाश्रृंखला बनाई गई। अब इसमें शामिल महिलाओं को सोशल मीडिया पर बलात्कार और हत्या की भयावह धमकियां मिल रही हैं।
पूरब से पश्चिम तक दुनिया में महिलाओं से डरे और उस डर के कारण उन्हें धमकाने वाले लोग कितने एक जैसे हैं। सोशल मीडिया की दनानीरों अब इस बात को कुछ नए अंदाज में पेश करो, ताकि तमाशों में गुम दुनिया को फिर कुछ नया सुनने-देखने मिले। मिर्जा गालिब ने कहा है-
बाजीचा-ए-अतफाल है दुनिया मिरे आगे,
होता है शब-ओ-रोज तमाशा मिरे आगे।
इक खेल है औरंग-ए-सुलैमां मिरे नजदीक,
इक बात है एजाज-ए-मसीहा मिरे आगे।।