- डॉ हनुमन्त यादव
भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था तथा भारतीय किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने की घोषणा की थी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत आम बजट से उद्योगपतियों की बहुत अपेक्षाएं थीं, उन सभी अपेक्षाओं को पूरा करना उनके लिए संभव नहीं था, इसलिए उद्योगपतियों के एक वर्ग को बजट से एक प्रकार से निराशा था।
वर्तमान में दुनिया के अधिकांश देशों में उनके राजनीतिक स्वरूप और लोकतांत्रिक प्रणाली में भेद के बावजूद पूंजी बाजार के अंग के रूप में शेयर बाजार कार्यरत हैं। चीन सरीखे एक दलीय वामपंथी शासन प्रणाली के देशों में भी शेयर बाजार सक्रिय हैं, जो उनके सूचकांक से नजर आता है। यह देखा गया है कि बहुदलीय शासन व्यवस्था के देशों में शेयर बाजार का झुकाव उद्योग व्यापार के शुभचिंतक दलों की ओर होता है। वर्तमान में पूरी दुनिया के उद्योग व्यापार जगत में यह माना जाता है कि भारत में अन्य राजनीतिक दलों की तुलना में पूंजी बाजार एवं आर्थिक व्यवस्था का झुकाव नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा की ओर अधिक है । भारत में सेंसैक्स को पूंजी बाजार के प्रमुख अंग शेयर बाजार के चढ़ाव एवं गिरावट का सूचक माना जाता है। भारत में भाजपा की कमान नरेन्द्र मोदी के पास जाते ही उनके लोक सभा चुनाव में जीत की संभावनाओं के साथ ही बम्बई शेयर बाजार के अग्रणी सूचकांक सेंसैक्स में तेजी आने लगी थी। भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को 2014 में जिस समय प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया था उस समय सेंसैक्स 21,000 बिन्दु पर था। नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए प्रचार करने के साथ ही जन समर्थन बढ़ने के साथ ही सेंसैक्स में तेजी प्रारंभ हो गई थी।
मार्च 2014 में सेंसैक्स बढ़कर 22,000, अप्रैल 2014 के अंत में 23,000 व मई 2014 प्रारंभ होते ही 24,000 के बिन्दु पर पहुंच गया था। 16 मई को चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद सेंसैक्स ने 25,000 बिंदु का कीर्तिमान दर्ज किया। यह भारत के शेयर बाजार व सेंसैक्स के इतिहास में पहली बार दर्ज हुआ था। नरेन्द्र मोदी की सरकार के हर एक कदम पर शेयर बाजार में उछाल के कारण सेंसैक्स ने जुलाई में 26,000, सितंबर में 27,000 तथा नवंबर 2015 में 28,000 बिन्दु तक पहुंचने का रिकार्ड दर्ज किया था । इस प्रकार सेंसैक्स ने उस समय एक साल में 7000 बिन्दु पार करने का कीर्तमान बनाया था। नोटबंदी व अन्य घटनाओं के बावजूद सेंसैक्स बढ़ते हुए 23 मई 2019 को भाजपा को 17वीं लोकसभा के अप्रैल-मई 2019 में सम्पन्न होने वाले लोकसभा चुनाव परिणामों के घोषित होने के पूर्व मई 2019 पहले सप्ताह में 39,000 बिन्दु पर पहुंच गया था। 23 मई को दोपहर उद्योग-व्यापार से मित्रवत व्यवहार करने वाले नरेन्द्र मोदी की भाजपा को लोकसभा की 542 सीटों में से 303 सीटें अर्थात 56 प्रतिशत सीटें प्राप्त होने का परिणाम जारी होते ही सेसैंक्स ने 40,000 बिन्दु पर पहुंचने का कीर्तिमान बनाया था। उस समय एनएसई के निफ्टी ने भी 12,000 बिन्दु पार करने का कीर्तिमान दर्ज कराया था।
मई 2014 से 2019 तक के पांच साल में किए गए आर्थिक विकास एवं कमजोर वर्ग के कल्याण के लिए किए गए प्रभावित होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2025 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था तथा भारतीय किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने की घोषणा की थी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत आम बजट से उद्योगपतियों की बहुत अपेक्षाएं थीं, उन सभी अपेक्षाओं को पूरा करना उनके लिए संभव नहीं था, इसलिए उद्योगपतियों के एक वर्ग को बजट से एक प्रकार से निराशा था। जून 2019 के प्रथम सप्ताह में सेंसैक्स 40,000 बिन्दु पर था वह 6 माह बाद जनवरी 2020 में 42,000 बिन्दु पर पहुंच गया था। मार्च 2020 से मई 2021 तक भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना ग्रसित लॉक डाउन से प्रभावित रही। इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था मई 2019 से मई 2021 के 24 महीनों में से 16 महीने कोरोना महामारी के प्रथम चरण एवं द्वितीय चरण के कुल मिलाकर 16 महीने कोरोना संकटग्रस्त रही। सवाल उठता है कि पिछले 2 साल में शेयर बाजार के कार्य निष्पादन की स्थिति कैसी रही तथा बाजार की वर्तमान स्थिति कैसी है।
मार्च 2020 से पूरे भारतवर्ष में पहले कोरोना-1 तथा बाद में कोरोना-2 से बचाव एवं छुटकारे हेतु लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है। सरकार द्वारा वस्तु बाजार और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के बंद किए जाने के निर्देशों के बावजूद बंबई शेयर बाजार और राष्ट्रीय शेयर बाजार विश्व स्तर पर अपनी पूरी गति से कार्य कर रहे हैं। शेयर बाजार में पसंदीदा शेयरों के व्यवसायिक सौदे बराबर होते रहे हैं। इसका नतीजा यह हुआ है कि सेंसैक्स ने 4 दिसंबर 2020 को 45,000 बिंदु तथा 9 दिसंबर 2020 को 46,000 बिन्दु पार कर लिया। दिसंबर 2020 तथा जनवरी 2021 में बाजार में सौदों की इतनी अधिक भरमार रही कि सेंसैक्स उड़कर 47,000, 48,000 और 49,000 बिंदु सरलता से पार करते हुए 21 जनवरी 2021 को 50,000 बिंदु तक पहुंच गया। यद्यपि बाजार में बिक्री की भरमार होने के कारण सेंसैक्स 50,000 बिंदु तक लंबे समय तक नहीं टिक पाया किंतु बाजार में सेंसैक्स 46,000 से 49,000 बिंदु तक घूमता रहा। मई 2021 के तीसरे सप्ताह में बीएसई सेंसैक्स 50,000 बिंदु के आसपास बना रहा तथा 21 मई 2021 को समाप्त हुए सप्ताह में शेयरों की जोरदार लिवाली के कारण सेंसैक्स 3 प्रतिशत बढ़त के साथ 50,540 के स्तर पर बंद हुआ।
एनएसई का 50 प्रतिभूतियों का निफ्टी भी सेंसैक्स के समान 21 मई 2021 को जोरदार बढ़त के साथ 15,175 अंक पर बंद हुआ। मई माह के 3 सप्ताह में निफ्टी बैंक के शेयरों में 3 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। मई माह के तीसरे सप्ताह तक बंबई शेयर बाजार के सभी सेक्टोरल सूचकांकों में तेजी रही। बीएसई मिडकैप तथा बीएसई स्मॉलकैप में 3 प्रतिशत की उछाल नोट करने लायक रही। लार्जकैप सूचकांक में 3.2 प्रतिशत से अधिक तेजी दर्ज की गई। नरेन्द्र मोदी के पिछले 7 साल के शासनकाल में गुजरात का गौतम अडानी उद्योग समूह में उभरता नजर आया जिसका मुख्यालय मुंबई में है। निफ्टी के उद्योग वर्ग में 4 प्रतिशत से अधिक तेजी देखी गई। भारतीय स्टेट बैंक के शेयरों में तेजी के कारण लगभग सभी बैंकों और वित्तीय कंपनियों के शेयरों की मांग रही। बैंकों के शेयरों में तेजी का कारण उस नियम का लागू होना है जिसके अंतर्गत अब बैंक कर्ज की पर्सनल गारंटी देने वाले से कर्ज वसूली हेतु उसकी परिसंपत्तियां बेच सकते हैं। शेयरों भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मई माह में अपनी सालभर की बचत भारत सरकार को भेंट किए जाने का शेयर बाजार में अच्छा असर देखा गया।
कोविड-19 के सभी कोरोना चक्र का काला और सफेद फंगस आदि में गिरावट के चलते भारत के सभी राज्यों में लॉकडाउन हटने पर बाजार और तथा कारोबार की स्थिति सामान्य होने पर शेयर बाजार में भी अधिक तेजी सक्रियता आएगी। आशा की जाती है कि अगले दो साल में सेंसैक्स के 50,000 से 55,000 बिन्दु तथा निफ्टी के 17,000 बिंदु तक बने रहने की पूरी संभावना है।'