- डॉ. हनुमन्त यादव
संयुक्त मोर्चा किसान संगठन की 19 जुलाई को 3 कृषि कानूनों की वापसी की मूल मांग के अलावा उनसे संबंधित 7 मांगें ये भी थीं- स्वामीनाथन पेनल रिपोर्ट का लागू किया जाना, खेती कार्य में उपयोग होने वाली डीजल की कीमतों में किसानों के लिए 50 प्रतिशत कटौती, एयर क्वालिटी मैनेजमेंट आयोग में किसानों की सजा को हटाया जाना, पूर्व में पंजाब में धान को जलाए जाने के आरोप में गिरफ्तार किसानों की तुरंत रिहाई, पंजाब विद्युत अध्यादेश की समाप्ति, राज्य के किसानों के मामलों में केन्द्र के हस्तक्षेप की समाप्ति व जिन किसान नेताओं के विरूद्ध प्रकरण चल रहे हैं, उनकी वापसी।
संसद के मानसून सत्र के पहले सप्ताह में लोकसभा और राज्य सभा, दोनों ही सदनों की कार्यवाही तीन नये कृषि कानूनों और पेगासस जासूसी मामला सहित विभिन्न मुद्दों पर विरोधी दलों के सांसदों द्वारा किए गए हंगामे की भेंट चढ़ गई। शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य शंातनु सेन को शेष सत्र के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया। राज्यसभा में मंगलवार को उस समय मात्र चार घंटे कामकाज हो पाया था जब कोविड-19 के कारण देश में उपजे हालात को लेकर सत्ताधारी और विरोधी दलों के बीच सभी सहमति के आधार पर चर्चा की गई थी। लोकसभा में पहले ही दिन विपक्ष के हंगामे के कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नए मंत्रियों का परिचय नहीं करा सके। कांग्रेस ने महंगाई, डीजल पेट्रोल की कीमतों में सरकार द्वारा की जाने वाली वृद्धि तथा अकाली दल-बसपा के सांसदों द्वारा किसानों के मुद्दे पर बेल तक पहुंच कर नारे लगाए गए। तृणमूल कांग्रेस सदस्यों ने सभी का साथ दिया।
दिल्ली पुलिस के साथ कृषि कानूनों का विरोध कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों की बैठक में बनी सहमति के अनुसार प्रतिदिन 200 किसान प्रतिनिधि बस द्वारा जंतर मंतर विरोध प्रदर्शन करने 10 बजे वहां जा रहे हैं तथा संध्या 5 बजे बसों के द्वारा दिल्ली के बाहर अपने अड्डे पर लौट कर आ रहे हैं। हर दिन नया जत्था जा रहा है। विरोधी दलों के सांसद, संसद परिसर में रहकर किसानों का समर्थन कर रहे हैं। 22 जुलाई से जंतर मंतर में किसानों द्वारा बनावटी संसद में कृषि कानूनों पर बहस के बाद सत्ताधारी दल के मंत्री कृषि कानूनों के समर्थन में असफल रहने के कारण पद त्याग करने की घोषणा करते हैं। इस प्रकार 22 व 23 जुलाई को किसानों की बनावटी संसद में बनावटी कृषि मंत्री व अन्य वक्ताओं द्वारा कृषि कानूनों के समर्थन में असफल रहने के कारण उसकी वापसी की घोषणा करते हैं। 26 जुलाई को 200 महिलाओं का जत्था जंतर मंतर बनावटी संसद में कृषि कानूनों का विरोध करने का कार्यक्रम है। पुलिस ने जंतर मंतर पर पब्लिक व पत्रकारों के जाने पर रोक लगा रखी है।
कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और उत्तरी उत्तरप्रदेश के जिलोंं के 40 से अधिक किसान संगठन पिछले नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर प्रमुख मार्गों पर सैकड़ों के समूह बनाकर दिन-रात विरोध, धरना और प्रदर्शन कर रहे हैं। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के निमंत्रण पर किसान मोर्चा के प्रतिनिधि 14 अक्टूबर 2020 से 22 नवंबर 2021 के बीच 11 बार बातचीत कर चुके हैं। किसान नेता की एक ही मांग है कि पहले तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की जाए, जबकि कृषि मंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि सरकार इन कानूनों को निरस्त करने को तैयार नहीं है। इसलिए संयुक्त मोर्चा किसान नेताओं और सरकार के बीच कोई समझौता नहीं हो सका। इसीलिए संयुक्त मोर्चा किसानों का 26 नवंबर 2020 से हजारों की संख्या में दिल्ली जाने वाले सभी मार्गों पर विरोध डेरा कायम है। अंत में संयुक्त किसान मोर्चा ने इन कानूनों के विरोध में संसद सत्र के दौरान जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहा है।
दिल्ली की सीमाओं पर लगभग 50 हजार आन्दोलनकारी किसान प्रतिदिन धरने पर बैठे रहते हैं । जब किसान संयुक्त मोर्चा किसान संगठन द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर हड़ताल बुलाई जाती है तो लगभग 3 से अधिक लाख किसान व कृषि श्रमिक व उनके समर्थक हिस्सा लेते हैं । पंजाब, हरियाणा व उत्तरी उत्तरप्रदेश के धरने पर बैठे किसानों के समर्थन में दूसरे प्रान्तों से हिस्सा लेने वाले अधिकांश किसान व श्रमिक वामपंथी संगठनों से जुड़े हुए हैं। संयुक्त मोर्चा किसान संगठन की 19 जुलाई को 3 कृषि कानूनों की वापसी की मूल मांग के अलावा उनसे संबंधित 7 मांगें ये भी थीं- स्वामीनाथन पेनल रिपोर्ट का लागू किया जाना, खेती कार्य में उपयोग होने वाली डीजल की कीमतों में किसानों के लिए 50 प्रतिशत कटौती, एयर क्वालिटी मैनेजमेंट आयोग में किसानों की सजा को हटाया जाना, पूर्व में पंजाब में धान को जलाए जाने के आरोप में गिरफ्तार किसानों की तुरंत रिहाई, पंजाब विद्युत अध्यादेश की समाप्ति, राज्य के किसानों के मामलों में केन्द्र के हस्तक्षेप की समाप्ति व जिन किसान नेताओं के विरूद्ध प्रकरण चल रहे हैं, उनकी वापसी।
तीन कृषि कानूनों के विरोध में आन्दोलन प्रारंभ करने का श्रेय पंजाब के 6 वामपंथी किसान संगठनों व 12 स्वतंत्र किसान संगठनों को जाता है जिनके द्वारा आंदोलन प्रारंभ करने पर पंजाब के दो अकाली दल के किसान संगठनों का भी समर्थन मिला। जब किसान संगठनों ने दिल्ली की सीमाओं पर धरना की शुरूआत की तो उसमें हरियाणा और उत्तरी उत्तर प्रदेश के दो दर्जन संगठनों का भी समर्थन मिला। इसलिए इन हड़ताली संगठनों के लिए संयुक्त मोर्चा नाम दिया गया। आन्दोलन की पहल करने वाले किसान नेताओं में वामपंथी क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब के दर्शनपाल का नाम सबसे महत्वपूर्ण है, जिन्होंने इस आन्दोलन से 31 संगठनों को जोड़ने का काम किया। पंजाब के वामपंथी किसान नेताओं में पश्चिम बंगाल के पूर्व मार्क्सवादी सांसद हन्नान मोल्लाह भी महत्वपूर्ण हैं जो वर्तमान में अखिल भारतीय कृषि मजदूर संघ के महासचिव है। अन्य महत्वपूर्ण किसान नेताओं में जोगिंदर सिंह उग्रहा, सुरजीतसिंह फूल, बूटासिंह बुर्जगिल, निर्भयसिंह दूधीके, सतनामसिंह अजनाला, बलदेवसिंह निहंग, रूलदूंिसह मनसा, योगेन्द्र यादव, राकेश टिकैत, अजमेरसिंह लखीवाल, जगजीतसिंह दलेवाल, मनजीतसिंह राय, हरजिंदरसिंह टांडा, शिवकुमार शर्मा कक्काजी, जोगिंदर सिंह उग्रहन, बलबीरसिंह राजेवाल आदि।
26 जनवरी 2021 से पहले संयुक्त किसान मोर्चा जब भी पत्रकार वार्ता आयोजित करता था तो उसमें आयोजन समिति के दर्जन भर वरिष्ठ सदस्य उपस्थिति रहते थे, जिनमें दो तिहाई वामपंथी विचारधारा के थे। 26 जनवरी के बाद पत्रकारों को गाजीपुर सीमा पर राकेश टिकैत के कैंप में अच्छी जानकारी मिलने लगी। धीरे-धीरे राकेश टिकैेत अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से हरियाणा, राजस्थान और उत्तरप्रदेश के नगरों के साथ-साथ बड़े राज्यों के नगरों में भी जाने लगे। इससे किसानों और जन सामान्य में यह धारणा बनने लगी थी कि राकेश टिकैत संयुक्त किसान संगठन के प्रवक्ता व कार्यक्रम संयोजक नेता हंै। किंतु 19 जुलाई से संसद सत्र आयोजन के साथ ही जंतर मंतर पर कार्यक्रम के आयोजन के बारे में दिल्ली पुलिस आयुक्त से वार्ता, प्रतिदिन संसद सत्र के दौरान बस यात्रा हेतु 200 व्यक्तियों का चयन, कार्यक्रम का आयोजन दर्शनपाल, हन्नान मोल्लाह, जगतसिंह, सुरजीतसिंह व उनके दर्जन भर साथियों की आयोजन समिति कर रही है जिनमें से अधिकांश सदस्य वामपंथी विचारधारा के हैं । यह आयोजन समिति अपने लक्ष्य में कितनी सफल हो पाएगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा।