• रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरें यथावत रखने का निर्णय 

    वर्ष 2016 में राजकोषीय नीति एवं मौद्रिक नीति में उचित तालमेल बनाए रखने के लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मौद्रिक नीति बनाने का कार्य विशेषज्ञों की एक मौद्रिक नीति समिति को सौंपने का साहस दिखाया था

    Share:

    facebook
    twitter
    google plus

    - डॉ. हनुमन्त यादव

    वर्ष 2016 में राजकोषीय नीति एवं मौद्रिक नीति में उचित तालमेल बनाए रखने के लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मौद्रिक नीति बनाने का कार्य विशेषज्ञों की एक मौद्रिक नीति समिति को सौंपने का साहस दिखाया था जिसमें सरकार द्वारा मनोनीत तीन अर्थशास्त्रियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। इसी मौद्रिक नीति समिति के सुझावों पर चर्चा करते हुए 4 जून को रिजर्व बैंक के गर्वनर ने पत्रकार वार्ता में कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहन एवं टीकाकरण से अर्थव्यवस्था में स्थिरता आएगी।

    भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक 4 जून को संपन्न हुई। बैठक के समाप्त होने के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पत्रकार सम्मेलन में बैंक की मौद्रिक नीति समिति द्वारा 2 से 4 जून तक आयोजित महत्वपूर्ण निर्णयों की संक्षिप्त जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय उद्योगपतियों एवं व्यापारियों की अपेक्षाओं को पूरा करते हुए ब्याज दरों  को यथावत रखने का निर्णय लिया गया है। वर्तमान ब्याज दरें 22 मई 2020 से लागू हैं। इस प्रकार मौद्रिक नीति समिति ने कोरोना से पीड़ित भारतीय उद्योग-व्यापार के हित में 22 मई के बाद अपनी बैठक में 6वीं बार ब्याज दरों को यथावत रखने का निर्णय लिया। बैंक की मौद्रिक नीति की वर्तमान बैठक का फोकस कोविड-19 की वर्तमान लहर में चल रही अर्थव्यवस्था को उबारने और विकास दर के सुधार पर था, इसलिए विकास हेतु परियोजनाओं के लिए आबंटित धनराशि की भी घोषणा की गई। मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 4 से 6 अगस्त 2021 तक प्रस्तावित है। 

    भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक हर दो महीने के अंतराल से आयोजित की जाती है अर्थात इसकी बैठक साल में 6 बार होती है। बैठक में अर्थव्यवस्था की सुधार की स्थिति पर चर्चा करने के साथ ही ब्याज दरों पर भी फैसला किया जाता है। तीन दिवसीय बैठक में चर्चा के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर पत्रकार वार्ता में बैठक में लिए गए प्रमुख फैसलों की जानकारी देते हैं। मौद्रिक नीति समिति का वर्तमान ढांचा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह पर वित्तमंत्री अरूण जेटली 2016 में अस्तित्व में लाए थे। वर्तमान में मौद्रिक नीति समिति के 6 सदस्य होते हैं जो इस प्रकार है:- रिजर्व बैंक के 3 सदस्य- गवर्नर एवं समिति के अध्यक्ष डॉ. शक्तिकांत दास,  मौद्रिक नीति के प्रभारी डिप्टी गवर्नर मायकल देवव्रत पात्रा और कार्यपालन संचालक मौद्रिक नीति एम.के. सागर। सरकार द्वारा मनोनीत 3 सदस्य: प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री डॉ. आशिमा गोयल मुम्बई, डॉ. शशिकांत भिड़े दिल्ली  और डॉ. जयंथ वर्मा अहमदाबाद। सरकार द्वारा ये तीनों अर्थशास्त्री अक्टूबर 2020 में 4 साल के लिए मनोनीत किए गए थे।  

    मौद्रिक समिति द्वारा 4 जून को लिए गए निर्णय अनुसार सीमांत स्थायी सुविधा बैंक दरें अपरिवर्तित रहेंगी। नीतिगत रेपो रेट 4.00 प्रतिशत तथा रिवर्स रेपो रेट 3.35 प्रतिशत यथावत बने रहेंगे। सीमांत स्थायी सुविधा एम.एस.एफ. दर 4.25 प्रतिशत, सी.आर.आर. 4 प्रतिशत तथा एस.एल.आर. 18.00 प्रतिशत रहेंगे। रिजर्व बैंक ने वर्ष 2021-22 के लिए देश की जीडीपी के विकास दर के अपने 10.5 प्रतिशत के पूर्वानुमान को घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है। वर्ष 2020-21 में चिंता इस बात की थी कि इस साल सभी तिमाहियों में जीडीपी ऋणात्मक रही थी । इसलिए वर्ष 2020-21 का वार्षिक अनुमान 7.3 प्रतिशत संकुचित हुआ है।  वित्त वर्ष 2021-22 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है अर्थात खुदरा महंगाई दर 5.1 प्रतिशत रह सकती है। इस तीन दिवसीय बैठक में मौद्रिक समिति द्वारा जरूरतमंद उद्योग और व्यापार को सहारा देने के लिए अनेक योजनाओं को मंजूरी दी गई।

    रिजर्व बैंक द्वारा बाजार को सहारा देने के लिए जुलाई-सितंबर 2021 तिमाही में 1.2 लाख करोड़  रुपये मूल्य के जी-सैप लिए जाएंगे। रिजर्व बैंक लघु और मझौले उद्योगों को 16,000 करोड़ रुपए की खास नकदी सुविधा देगा। लघु और मझौले उद्योगों को 25 करोड़  रुपये की सुविधा को बढ़ाकर 50 करोड़ रुपया कर दिया गया है। टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को कोरोना वायरस महामारी से उबारने के लिए बैंकों के माध्यम से विशेष सुविधा देने का निर्णय लिया गया है।  इसके लिए 15,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था बैंकों को दी जाएगी, जिससे वे बैंक होटल, टूर ऑपरेटर, प्राइवेट बस ऑपरेटर आदि को किफायती कर्ज दे सकेंगें। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने बताया कि रिजर्व बैंक ने 31 मई 2021 तक नियमित रूप से ओएमओ का कारोबार किया है और 31 मई 2021 तक 36,545 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी बाजार में डाली है। यह  राशि जी-सैप-1.0  के तहत उपलब्ध कराई गई  60,000 करोड़ रुपये की राशि से अतिरिक्त है।

    रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने जानकारी दी कि मौद्रिक नीति समिति द्वारा वर्तमान स्थिति में सभी बातों को ध्यान में रखते हुए यह तय किया गया है कि रिजर्व बैंक द्वारा जी-सैप 1.0 के तहत 17 जून, 2021 को 40,000 करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद का कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसमें 10,000 करोड़ रुपये में राज्य विकास ऋण एसडीएल की खरीद होगी। मौद्रिक समिति ने सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल को सुव्यवस्थित बनाए रखने के लिए यह भी निर्णय लिया कि जुलाई-सितंबर 2021 की तिमाही में द्वितीयक बाजार से सरकारी प्रतिभूतियों के खरीद कार्यक्रम जी-सैप 2.0 के तहत 1.20 लाख करोड़ रुपये की प्रतिभूतियों की खरीद करेगा। एक निर्णय यह भी लिया गया कि नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस की सेवाएं प्रतिदिन उपलब्ध रहेंगी। यह भी याद रखना चाहिए कि रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में सक्रियता से हिस्सा ले रहा है, यही कारण है कि भारत का विदेशी विनिमय रिजर्व भंडार 600 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो कि भारत के लिए कीर्तिमान उपलब्धि है।

    वर्तमान में भारत की मौद्रिक नीति बनाने एवं उसको क्रियान्वयन में लाने का कार्य एक मात्र रिजर्व बैंक के अंतर्गत गठित मौद्रिक नीति समिति करती है। इसलिए मौद्रिक नीति समिति अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण हो गई। भारतीय रिजर्व बैंक के इतिहास में पहली बार वर्ष 2016 में देश की मौद्रिक नीति बनाने और उसके क्रिन्यावयन के लिए एक स्वतंत्र अभिकरण मौद्रिक नीति समिति का गठन किया गया। देश केे आर्थिक विकास के लिए राजकोषीय नीति एवं मौद्रिक नीति में तालमेल होना चाहिए।

    किंतु हम सबने देखा है कि 2008 के बाद जब वी. सुब्बाराव रिजर्व बैक के गवर्नर थे, उस समय केन्द्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और पी. चिदम्बरम  जो निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ आर्थिक विकास के लिए ब्याज दरें नीची चाहते थे, किंतु उस समय इन मंत्रियों की सलाह को नकारते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर वी. सुब्बाराव रेपो रेट एवं अन्य आदि ब्याज दरें बढ़ाते चले गए थे। वर्ष 2016 में राजकोषीय नीति एवं मौद्रिक नीति में उचित तालमेल बनाए रखने के लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मौद्रिक नीति बनाने का कार्य विशेषज्ञों की एक मौद्रिक नीति समिति को सौंपने का साहस दिखाया था जिसमें सरकार द्वारा मनोनीत तीन अर्थशास्त्रियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। इसी मौद्रिक नीति समिति के सुझावों पर चर्चा करते हुए 4 जून को रिजर्व बैंक के गर्वनर ने पत्रकार वार्ता में कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहन एवं टीकाकरण से अर्थव्यवस्था में स्थिरता आएगी।      

    Share:

    facebook
    twitter
    google plus

बड़ी ख़बरें

अपनी राय दें