• प्रशांत किशोर की अगली चुनावी रणनीति

    प्रशांत किशोर वर्ष 2015 से 2019 चार साल तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के  नजदीकी बन जाने के कारण अपने चुनावी संगठनों की सत्ताधारी राजनीति में व्यस्त रहे

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    - डॉ. हनुमन्त यादव

    प्रशांत किशोर वर्ष 2015 से 2019 चार साल तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के  नजदीकी बन जाने के कारण अपने चुनावी संगठनों की सत्ताधारी राजनीति में व्यस्त रहे। उन्होंने 2015 के चुनावों में नीतीश कुमार के जेडीयू तथा राष्ट्रीय जनता दल के गठबंधन की जीत के लिए व्यूहरचना तैयार की थी। उन्होंने 2015 के चुनाव में नीतीश के निश्चय, विकास की गारंटी नारा  डिजाइन किया था।

    बिहार के बक्सर जिले में जन्मे 43 वर्षीय चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पांडेय को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के अवसर पर टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी ने वर्ष 2020 में अपने चुनावी रणनीतिकार दल में शामिल कर लिया था। चुनाव के लिए प्रशांत किशोर ने ममता बनर्जी के समर्थन में चुनावी नारे बनाकर उन्हें मतदाताओं के बीच लोकप्रिय बनाया। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं अमित शाह, पश्चिम बंगाल में लगातार रैलियां करके मतदाताओं को प्रभावित कर रहे थे। राष्ट्रीय एवं स्थानीय समाचार माध्यमों में उक्त रैलियों के माध्यम से यह वातावरण बनाया जा रहा था कि विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का बड़ा वर्ग भाजपा का समर्थन करने जा रहा है।

    उक्त अवसर पर प्रशांत किशोर ने अपने सर्वेक्षण संस्थान भारतीय राजनीतिक कार्यवाही समिति द्वारा किए गए सर्वेक्षण के आधार पर मार्च 2021 में पत्रकार वार्ता दावा किया कि भाजपा को विधानसभा चुनाव में 100 सीटों से अधिक पर जीत की संभावना नहीं है।  2 मई को विधानसभा चुनाव के परिणाम जब घोषित किए जा रहे थे। दोपहर को टीएमसी 200 सीटों पर आगे चल रही थी। उसी समय प्रशांत किशोर ने एक वार्ता में राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा करके सब को अचंभे में डाल दिया।

    प्रशांत कुमार के पिता बिहार के बक्सर जिले के सरकारी चिकित्सालय में चिकित्सक थे। उन्होंने अपने पुत्र को चिकित्सा क्षेत्र की उच्च शिक्षा दिलाने हेतु दिल्ली व  हैदराबाद भेजा था। प्रशांत ने हैदराबाद में चिकित्सा पूरी होते ही संयुक्त राष्ट्रसंघ की एक संस्था में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के रूप में कार्य करना प्रारंभ किया। वर्ष 2011 में वे अफ्रीका में कार्य कर रहे थे, उस समय उन्होंने संयुक्त राष्ट्रसंघ को छोड़कर भारत आने का फैसला किया। उन्होंनेे वर्ष 2011 में गुजरात आकर भाजपा में शामिल होकर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनावी अभियान में हिस्सा लिया। वर्ष 2012 में नरेन्द्र मोदी के तीसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री बनने में भी प्रशंात कुमार ने कार्य किया। भाजपा से जुड़े रहते हुए वर्ष 2013 में प्रशांत कुमार ने एक स्वतंत्र मीडिया प्रचार संस्था सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गर्वनेंस -कैग-  की स्थापना की जिसको भारत की पहली राजनीतिक रणनीति संस्था कहा जा सकता है। कैग ने वर्ष 2014 में भाजपा के चुनावी अभियान में भाजपा को राजनीतिक रणनीति की तैयारी में महत्वपूर्ण सेवा प्रदान की थी। 

    वर्ष 2014 में भाजपा द्वारा नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का सुयोग्य उम्मीदवार निरूपित करते हुए चुनाव अभियान चलाया गया जिसने शिक्षित युवाओं को बहुत आकर्षित किया था। इस अभियान में प्रशांत कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका थी। प्रशांत कुमार ने नरेन्द्र मोदी के लिए जो मार्केटिंग और विज्ञापन अभियान चलाया था उसमें चाय पे चर्चा, मंथन, 3-डी रैलियां, रन फॅार यूनिटी और सोशल मीडिया कार्यक्रम शामिल थे। प्रशांत किशोर ने नरेन्द्र मोदी से जुड़ने के बाद कैग को एक विशेषज्ञ रणनीति संगठन- राजनीतिक कार्यवाही समिति- आईपीएसी में परिवर्तित। उन्होंने  युवाओं और पेशेवरों के लिए देश के राजनीतिक और प्रशासनिक मामलों में अपना सार्थक योगदान देने के लिए इसको विशेष मंच बनाया। उन्होंने इसमें देश के विभिन्न आईआईएम और आईआईटी सरीखे शैक्षणिक और व्यवसायिक योग्यता के युवाओं को एक साथ लाने का प्रयास किया। प्रशांत किशोर ने 2014 के बाद भाजपा से दूरी बताते हुए बिहार, पंजाब, उत्तरप्रदेश, आंध्र प्रदेश, दिल्ली के विधानसभा चुनावों में आईपीएसी का रचनात्मक उपयोग करते हुए महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

    प्रशांत किशोर वर्ष 2015 से 2019 चार साल तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के  नजदीकी बन जाने के कारण अपने चुनावी संगठनों की सत्ताधारी राजनीति में व्यस्त रहे। उन्होंने 2015 के चुनावों में नीतीश कुमार के जेडीयू तथा राष्ट्रीय जनता दल के गठबंधन की जीत के लिए व्यूहरचना तैयार की थी। उन्होंने 2015 के चुनाव में नीतीश के निश्चय, विकास की गारंटी नारा  डिजाइन किया था। नीतीश कुमार का राजद से नाता तोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने पर प्रशंत किशोार नीतीश कुमार के साथ रहे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की सलाह पर नीतीश कुमार ने प्रशंात किशोर को अपने मंत्रिमंडल में शामिल करते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का दर्जा देकर गौरवान्वित किया था। यह एक अलग बात है कि प्रशांत ने संसद द्वारा पारित दो कानूनों पर सार्वजनिक राय व्यक्त करके नीतीश कुमार से जनवरी 2020 में संबंध विच्छेद का मार्ग चुन लिया था।

    प्रशांत कुमार ने 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह की मदद की थी। इसी साल उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की मदद के बावजूद कांग्रेस व समाजवादी दल की भाजपा के हाथों करारी हार हुई। मई 2017 में आंध्रप्रदेश के वाय.एस.आर. कांग्रेस के जगनमोहन रेड्डी ने उन्हें अपना राजनीतिक सलाहकार चुना। प्रशांत किशोर के जमीनी नारों को गढ़कर लोकप्रिय बनाने के प्रयास एवं राजनीतिक व्यूहरचना से पार्टी को 175 में से 151 सीटों पर विजय प्राप्त हुई थी। प्रशांत किशोर 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के चुनावी रणनीतिकार थे, यह सर्वविदित है कि पार्टी को चुनाव में भारी सफलता मिली थी। डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन ने 2021 तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए प्रशांत किशोर को अपना रणनीतिकार चुना था, चुनाव में डीएमके की विजय हुई।

    इस प्रकार प्रशांत किशोर पंजाब से बंगाल होते हुए तमिलनाडु तक की राजनीति में अपना स्थान बना चुके हैं। राजनीतिक दलों की चुनावी व्यूहरचना के सलाहकार के रूप प्रशांत किशोर के  प्रचार अंग्रेजी व हिन्दी में पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी है। उनके साक्षात्कार क्षेत्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।

    प्रशांत किशेार ने कहा है कि वे अब चुनावी व्यूह रचना से रिटायरमेंट लेकर आराम एवं पुस्तकों के पाठन में अपना समय देंगे। यह घोषणा किए हुए मात्र 3 सप्ताह हुए हैं  और अभी कोई विधानसभा चुनाव के इस वर्ष होने की संभावना नहीं है। किंतु उनके नजदीकी लोगों का मानना है कि रिटायरमेंट संभव नहीं है। प्रशांत के द्वारा स्थापित आईपीएसी के सदस्य और कर्मचारी अभी भी इससे जुड़े हुए    हैं। भाजपा द्वारा कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर ने इसलिए ममता बनर्जी का साथ छोड़ने का त्वरित निर्णय लिया है क्योंकि फरवरी 2022 में पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने प्रशांत किशोर का चयन सलाहकार के रूप में करके सार्वजनिक भी कर दिया है। उत्तर प्रदेश में भी चुनाव होने हैं। इस प्रकार प्रशांत किशोर कुछ सप्ताह आराम करके पहले पंजाब एवं बाद में उत्तर प्रदेश को  किसी न किसी रूप में समय देना प्रारंभ कर सकते हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि पंजाब जाने के पूर्व प्रशांत किशोर अभी अल्पकालीन अवकाश पर आराम कर रहे हैं।

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