आम चुनावों के लिए दो चरणों के मतदान हो चुके हैं और अब 7 मई को होने वाले तीसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है। इस बीच एक चौंकाने वाली खबर कर्नाटक से आई है। यहां की हासन सीट से मौजूदा सांसद और एनडीए उम्मीदवार प्रज्ज्वल रेवन्ना 26 अप्रैल को हुए मतदान के बाद अगले दिन तड़के ही जर्मनी चला गया है। जर्मनी जाने का असली मकसद चुनाव की थकान उतारना है या कोई और वजह है, यह तो अभी सामने नहीं आया है। लेकिन खास बात यह है कि रेवन्ना के खिलाफ यौन शोषण की शिकायतों के बाद सिद्धारमैया सरकार ने विशेष जांच दल गठित किया है और अब एसआईटी रेवन्ना की तलाश कर रही है। गौरतलब है कि रेवन्ना पर सैकड़ों महिलाओं के यौन शोषण का गंभीर आरोप लगा है और इसके कई सौ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किए जा रहे हैं।
रेवन्ना के खिलाफ राज्य महिला आयोग में कर्नाटक महिला दौर्जन्या विरोधी वेदिके संगठन ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया कि प्रभावशाली राजनेताओं द्वारा महिलाओं का यौन शोषण करने और उन्हें यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने के दृश्य पूरे हासन जिले में पेन ड्राइव के माध्यम से फैलाए जा रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी प्रसारित किए जा रहे हैं। वीडियो में कथित तौर पर प्रज्जवल रेवन्ना को कई महिलाओं के साथ दिखाया गया है। वेदिके ने महिला आयोग को अपनी शिकायत में कहा है- इस घटना ने कई महिलाओं के जीवन को खतरे में डाल दिया है और उनकी गरिमा को नुकसान पहुंचाया है। इस शिकायत के बाद राज्य महिला आयोग ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक को खत लिखा और उसके बाद एसआईटी गठित की गई। हालांकि इससे पहले ही रेवन्ना के जर्मनी जाने की खबरें आ गई थीं।
प्रज्ज्वल रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा का पोता और हासन की होलेनारसीपुर से विधायक एच डी रेवन्ना का बेटा है। रेवन्ना की पार्टी जेडीएस, एनडीए में भाजपा की सहयोगी है। इस लिहाज से अब भाजपा पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर महिलाओं के यौन शोषण के इस गंभीर मुद्दे पर उसकी राय क्या है। क्या रेवन्ना को एनडीए का उम्मीदवार इसलिए बनाया गया, क्योंकि वह राजनीति में रसूखदार परिवार से आता है। क्या रेवन्ना को टिकट देना परिवारवाद का उदाहरण नहीं है। लेकिन हैरत की बात यह है कि भाजपा ने इस समूचे विवाद से खुद को किनारे कर लिया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता एस प्रकाश का कहना है कि, 'हमारा, एक पार्टी के तौर पर इस वीडियो से कोई लेना-देना नहीं है। न ही हमने इस मामले में राज्य सरकार द्वारा विशेष जांच दल गठित करने के फैसले पर कोई टिप्पणी की है।'
भाजपा की यह प्रतिक्रिया अप्रत्याशित नहीं है। हाल के कुछ उदाहरण यही बताते हैं कि जहां भाजपा को राजनैतिक फायदा दिखता है, वहां यौन शोषण जैसे गंभीर मामलों में उसका लेना-देना बनता है, अन्यथा नहीं बनता। मणिपुर में जब दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सरेराह घुमाने का भयावह वीडियो सामने आया, और इस पर भाजपा चौतरफा घिर गई, तब जाकर प्रधानमंत्री मोदी ने दो-तीन पंक्तियों का वक्तव्य दिया। इस बीच महिला पहलवानों ने भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाए, लेकिन श्री मोदी ने उन्हें संसद या पार्टी से बाहर करने की कोई पहल नहीं की। बल्कि महिला पहलवानों को न्याय के लिए संघर्ष करते रोने पर मजबूर कर दिया। लेकिन प.बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं के यौन शोषण के मामले में जब वहां सत्ता पर बैठी तृणमूल कांग्रेस को घेरने का मौका श्री मोदी को नजर आया, तो इस मौके को उन्होंने नहीं गंवाया। संदेशखाली की महिलाओं से मुलाकात कर वहां एक भाषण में श्री मोदी ने उन्हें इंसाफ दिलाने की बात कही। अब यौन शोषण का एक गंभीर मामला कर्नाटक से सामने आया है, जिसमें संयोग से भाजपा के सहयोगी दल का नेता शामिल है, तो भाजपा ने फिर से मणिपुर वाली चुप्पी साध ली है।
प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी के शक्ति वाले बयान को हिंदू धर्म की शक्ति पूजा से जोड़ते हुए कहा था कि राहुल गांधी ने शक्तिका अपमान किया और साथ ही दावा किया था कि वे शक्ति स्वरूपा माताओं-बहनों की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा देंगे। मणिपुर से लेकर महिला पहलवानों के मुद्दे तक तो प्रधानमंत्री मोदी से निराशा ही हाथ लगी है, अब देखना होगा कि प्रज्ज्वल रेवन्ना पर कथित तौर पर यौन शोषण के आरोप जिस तरह से लगे हैं, उसमें पीड़ित महिलाओं की रक्षा करने के लिए श्री मोदी क्या कदम उठाते हैं। बताया जा रहा है कि पीड़ित महिलाओं में कई पिछड़े समुदायों से हैं, यानी यहां अपराध की प्रकृति और गंभीर हो गई है।
फिलहाल चुनाव के दौरान कर्नाटक के इस यौन शोषण मामले के सामने आने से भाजपा और जेडीएस के लिए मुसीबतें बढ़ गई हैं, क्योंकि अभी आगे के पांच चरणों में कई सीटों पर मतदान बाकी है। प्रज्ज्वल रेवन्ना का विरोध राज्य में कई जगहों पर हो रहा है और हासन के सांसद के पुतले जलाए जा रहे हैं। लोग प्रधानमंत्री मोदी से मांग कर रहे हैं कि वे इस बारे में कोई वक्तव्य दें। इस प्रकरण से भाजपा को बड़ा झटका इसलिए लग सकता है क्योंकि दक्षिण भारत में यही एक राज्य था, जहां भाजपा का थोड़ा-बहुत आधार बचा था। लेकिन अब वो भी खत्म हो सकता है।
हालांकि रेवन्ना और यौन शोषण प्रकरण को केवल सियासी लाभ-हानि के सीमित दायरे में नहीं देखा जाना चाहिए। यह एक बेहद गंभीर मामला है, जहां सत्ता की ताकत का इस्तेमाल करके हजारों महिलाओं के कथित यौन शोषण के आरोप लगाए गए हैं। और उससे भी गंभीर बात यह है कि एसआईटी का गठन होने से पहले ही आरोपी देश से बाहर जा चुका है। रेवन्ना को वापस लाए बिना इस मामले की पूरी जांच नहीं हो सकती। और अगर रेवन्ना वापस नहीं आया तो फिर पीड़ित महिलाओं के साथ एक बड़ी नाइंसाफी होगी, साथ ही हासन की जनता के साथ भी अन्याय होगा। महिलाओं और पिछड़ों के साथ खड़े होने का दावा करने वाले श्री मोदी इस मामले में क्या कोई सख्ती दिखाएंगे, ये देखना होगा।