कोयले की पूर्ति में कमी से बिजली संकट का खतरा

केंद्र सरकार द्वारा बिजली उत्पादन में वृद्धि के लिए सभी प्रयासों के साथ ही उम्मीद जताई गई है कि सभी राज्य शीघ्र ही बकाया राशि का भुगतान कोल इंडिया को कर देंगे

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डॉ. हनुमंत यादव
Updated on : 2021-10-19 06:11:03

- डॉ. हनुमन्त यादव

केंद्र सरकार द्वारा बिजली उत्पादन में वृद्धि के लिए सभी प्रयासों के साथ ही उम्मीद जताई गई है कि सभी राज्य शीघ्र ही बकाया राशि का भुगतान कोल इंडिया को कर देंगे। केंद्र सरकार द्वारा किए गए सारे प्रयासों के बावजूद कई राज्य बिजली के संकट से अभी भी उबर नहीं पाए हैं। पंजाब, बिहार, आंध्रप्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश में समस्या कायम है। बिजली की सबसे विकट स्थिति पंजाब में अभी भी बनी हुई है।'

अमेरिका, रूस, चीन, आस्ट्रेलिया और भारत कोयले के बड़े भंडारवाले 5 देश हैं । पहले बिजली उत्पादन के लिए कोयला प्रमुख स्रोत था, किंतु विज्ञान की तरक्की के साथ इन देशों में अन्य साधनों का भी उपयोग होने लगा है। वर्तमान में भारत में बिजली उत्पादन के 70 प्रतिशत कोयला तथा चीन में 60 प्रतिशत कोयला का उपयोग होने लगा है। दुनिया के कुछ देश बिजली उत्पादन के लिए लगभग 90 प्रतिशत से अधिक कोयला का उपयोग करते हैं। ये देश हैं: दक्षिण अफ्रीकी देश बोत्सवाना 100 प्रतिशत, बाल्कन रिपब्लिक देश कोसावा 95 प्रतिशत, एवं मंगोलिया 92 प्रतिशत। दक्षिण अफ्रीका 85 प्रतिशत कोयला का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए करता है। कोयला उत्पादक दो बड़े देश भारत और चीन पिछले कुछ समय से कोयला की आपूर्ति के कारण बिजली के संकट से जूझ रहे हैं।

भारत में पिछला पखवाड़ा कोयले की पूर्ति में कमी और बिजली संकट के समाचारों के नाम रहा। सेंट्रल इलेक्ट्रिीसिटी अथारिटी की 7 अक्टूबर की रिपोर्ट के अनुसार, देश के 135 में से 110 विद्युत संयंत्र कोयले के संकट का सामना करते हुए संकटपूर्ण स्थिति में पहुंच गए हैं। 16 संयंत्रों के पास एक दिन का भी कोयला स्टॉक में नहीं है, इन संयंत्रों में से हरियाणा के 2 और महाराप्ट्र का एक संयंत्र है। 10 संयंत्रों के पास एक दिन का कोयला स्टॉक में बचा है, इनमें पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक व छत्तीसगढ़ का एक-एक संयंत्र शामिल है। 18 संयंत्रों के पास 2 दिन का कोयला बचा हुआ है, इनमें पश्चिम बंगाल के भी 2 संयंत्र शामिल है। कुल मिलाकर स्थिति गंभीर है। 8 अक्टूबर बाद कुछ राज्यों के समाचार पत्रों ने वहां के संभावित बिजली संकट के बारे में समाचार प्रकाशित किए।

समाचार पत्रों के अनुसार, कुछ राज्य मांग को पूरा करने के लिए बिजली एक्सचेंज से महंगी बिजली खरीदने को मजबूर हो रहे हैं। उत्तरप्रदेश में विद्युत पूर्ति जारी रखने के लिए 17 रुपया प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदनी पड़ रही है। भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई भी बिजली संकट के मुहाने पर खड़ी है। राज्य के बिजली विभाग का कहना है कि वहां बिजली की आपूर्ति जारी रखने के लिए तुरंत 730 अरबरुपयों की जरूरत है। पंजाब, आंध्रप्रदेश, दिल्ली व अन्य कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केन्द्र सरकार को बिजली की कमी की समस्या से अवगत करवाने हेतु पत्र लिखे थे। 9 अक्टूबर को उत्तर भारत के समाचार पत्रों द्वारा बिजली संकट का समाचार प्रकाशित होने पर 10 अक्टूबर को बिजली मंत्री आरके सिंह ने बयान दिया कि बिजली की कोई कमी नहीं है तथा इसकी कमी का भ्रम जानबूझ कर फैलाया जा रहा है।

रविवार 10 अक्टूबर को ही कोयला मंत्रालय ने कहा, कि बिजली संयंत्रों के पास 72 लाख टन कोयला है जो चार दिन के लिए पर्याप्त है। 11 अक्टूबर को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यों में बिजली की कमी व कोयले की आपूर्ति पर मुख्यमंत्रियों के पत्रों के सन्दर्भ में अपने कार्यालय में बिजली मंत्री आरके सिंह और कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी से चर्चा की। 12 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ राज्यों में बिजली संकट और कोयले की कमी पर समीक्षा बैठक की जिसमें राज्यों के मुख्यमंत्रीगण एवं केन्द्रीय बिजली मंत्री और कोयला मंत्री अपने अधिकारियों के साथ बैठक में शामिल हुए। बैठक में यह बात भी निकलकर आई कि देश में कोयले की कमी नहीं है। मुख्य समस्या यह है कि राज्यों द्वारा उन पर कोल इंडिया की बकाया राशि 21 हजार करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया जा रहा है। कुछ राज्य अपने हिस्से के कोयले को भी नहीं उठा रहे हैं।

इस साल सितंबर-अक्टूबर में कोयले की आपूर्ति में विलम्ब के प्रमुख कारण बारिश के दिनों में कुछ राज्यों में जबरदस्त बारिश तथा बाढ़ कोयले की ढुलाई में आई रुकावट थे। कोयला मंत्रालय ने रेलवे से बिजली घरों तक कोयले की ढुलाई के लिए समय पर रैक उपलब्ध कराने के लिए कहा है। कोयला मंत्रालय के अनुसार, राज्यों के पास कोल इंडिया का लगभग 20 हजार करोड़ रुपया बकाया है। महाराप्ट्र, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु व मध्यप्रदेश कोल इंडिया के बड़े डिफाल्टर राज्य हंै। इन राज्यों पर चालू साल में भुगतान के लिए बकाया राशि इस प्रकार है- महाराप्ट्र 3,176.1 करोड़ रुपये, उत्तरप्रदेश 2743.1 करोड़ रुपये, पश्चिम बंगाल 1958.6 करोड़ रुपये, तमिलनाडु, 1281.7 करोड़ रुपये, मध्यप्रदेश 1,000 करोड़ रुपये, राजस्थान 774 करोड़ रुपये तथा कर्नाटक 23 करोड़ रुपये।

कोयले से बिजली उत्पादन में भारत दुनिया का छठा बड़ा देश है। वर्तमान में देश में कोयले से 70 प्रतिशत बिजली उत्पादन हो रहा है। जलविद्युत, गैस आदि बिजली उत्पादन के अन्य स्रोत हैं। पहले निजी क्षेत्र व कोल इंडिया आयातित कोयले से भी बिजली उत्पादन करते थे। किंतु आयातित कोयले के महंगा होने के कारण भी कोयला संकट निर्मित हुआ है। मार्च 2021 में आयातित कोयले की कीमत 4,200 रुपये टन थी जो सितंबर में बढ़कर 11,520 रुपया प्रति टन हो गई। एक समस्या यह भी है कि देश में कोयला खनन की तकनीक पुरानी हो चुकी है। एक अन्य समस्या यह है कि कोयला का भंडारण एक स्थान पर इसलिए अधिक नहीं कर सकते क्योंकि इससे आग लगने का खतरा बना रहता है।

13 अक्टूबर को प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बिजली संयंत्रों को कोयला की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्लान तैयार किया गया तथा संबंधित मंत्रालयों एवं सरकारी संगठनों को शीघ्र अमल करने के निर्देश जारी कर दिए गए। समाचार पत्रों में कोयले की आपूर्ति और बिजली संकट के समाचार 14 अक्टूबर तक प्रकाशित होते रहे। कोल इंडिया का दावा है कि 18 अक्टूबर से उसके द्वारा कोयले का उत्पादन 19.50 लाख टन प्रति दिन से बढ़ाकर 20 लाख टन प्रतिदिन कर दिया जाएगा। पश्चिम बंगाल, झारखंड एव राजस्थान राज्य प्रयास करके कोयला का उत्पादन बढ़ा सकते हैं।

केंद्र सरकार द्वारा बिजली उत्पादन में वृद्धि के लिए सभी प्रयासों के साथ ही उम्मीद जताई गई है कि सभी राज्य शीघ्र ही बकाया राशि का भुगतान कोल इंडिया को कर देंगे। केंद्र सरकार द्वारा किए गए सारे प्रयासों के बावजूद कई राज्य बिजली के संकट से अभी भी उबर नहीं पाए हैं। पंजाब, बिहार, आंध्रप्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश में समस्या कायम है। बिजली की सबसे विकट स्थिति पंजाब में अभी भी बनी हुई है। बिहार, उत्तराखंड व मध्यप्रदेश के शहरी क्षेत्रों में स्थिति सुधार पर है। छत्तीसगढ़, हरियाणा, दिल्ली व हिमाचल प्रदेश बिजली की कमी समस्या से मुक्त हो गए हैं। भारत सरकार को पूरा यकीन है कि दीपावली त्योहार के पूर्व ही सभी राज्य बिजली संकट से मुक्त हो जाएंगे।

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