भारत ऊंची उड़ान कैसे भरेगा

दो साल के अंतराल के बाद बेंगलुरु के येलहन्का में एयर शो एयरो इंडिया का शानदार आयोजन हुआ

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भारत ऊंची उड़ान कैसे भरेगा
File photo
देशबन्धु
Updated on : 2023-02-14 03:33:08

दो साल के अंतराल के बाद बेंगलुरु के येलहन्का में एयर शो एयरो इंडिया का शानदार आयोजन हुआ। इस बार शो का विषय 'द रनवे टू ए बिलियन अपॉर्चुनिटीज' रखा गया है। जिसका भावार्थ है कि करोड़ों अवसरों की उड़ान के लिए पथ इस आयोजन से तैयार होगा। एशिया के सबसे बड़े एयर शो में 98 देशों की लगभग 809 कंपनियों ने इस बार हिस्सा लिया है। इस वैश्विक विमानन व्यापार मेले का आयोजन रक्षा मंत्रालय, डीआरडीओ, इसरो और भारतीय वायु सेना सभी मिलकर करते हैं। 1996 में इस महत्वाकांक्षी प्रदर्शनी की शुरुआत की गई थी, तब से हर दो साल में यह आयोजन किया जाता है।

सोमवार को एयरो इंडिया शो का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बेंगलुरु का आसमान आज इस बात की गवाही दे रहा है कि नई ऊंचाई नए भारत की सच्चाई है। मेरी कामना है आत्मनिर्भर भारत ऐसे ही बढ़ता रहे। मोदीजी की तरह हर देशवासी की कामना यही है कि भारत आत्मनिर्भर हो और हमेशा तरक्की करे। भला अपने घर, अपने देश के विकास पर कौन खुश नहीं होगा।

लेकिन यह विकास किस तरह होगा, क्या इसकी पहुंच सब तक होगी, क्या भारत के आगे बढ़ने का मतलब सभी 140 करोड़ लोगों के आगे बढ़ने से है, या फिर दो-चार प्रतिशत लोगों की तरक्की पर ही देश को संतुष्ट हो जाना चाहिए, ये कुछ सवाल हैं, जिन पर लगातार मंथन की जरूरत है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस महती आयोजन के बारे में ये भी कहा कि, एक समय था, जब इसे एक विंडो भर माना जाता था। बीते सालों में सोच बदली है। आज ये सि$र्फ शो नहीं, बल्कि भारत की ताक़त भी है। आज ये भारत के आत्मश्विास पर भी ध्यान देता है। उन्होंने कहा कि अमृतकाल का भारत एक फाइटर प्लेन की तरह आगे बढ़ रहा है। भारत की रफ्तार जितनी तेज़ हो या कितनी ऊंचाई पर हो... वो हमेशा जड़ों से जुड़ा रहेगा।

श्री मोदी की इन बातों को सुनकर समझा जा सकता है कि मौका कोई भी हो, वे उसे अपनी तारीफ से जोड़ने और बात को राष्ट्रवाद की ओर मोड़ने से नहीं चूकते। फिर कर्नाटक में तो यह चुनावी साल है, तो वहां की जनता, खासकर युवाओं को लुभाने का कोई मौका प्रधानमंत्री शायद नहीं छोड़ना चाहते। वैसे एयरो इंडिया के आयोजन का संबंध कर्नाटक विधानसभा चुनाव से नहीं है।

लेकिन इस तथ्य को नजरंदाज नहीं किया जा सकता कि राज्य में चुनाव चार महीने के अंदर होने वाले हैं। और जिस तरह श्री मोदी ने कर्नाटक के युवाओं का आह्वान किया, उसमें चुनावी पुट साफ नजर आ रहा था। अपने भाषण में उन्होंने भारत की ताकत और आत्मविश्वास की बात कही, साथ ही पिछले आयोजनों को कमतर बताने की कोशिश की।

प्रधानमंत्री को यह समझने की जरूरत है कि ताकत और आत्मविश्वास चंद बरसों में हासिल नहीं होते। ये एक सतत प्रक्रिया है। डीआरडीओ, इसरो जैसी संस्थाओं की स्थापना आजादी के फौरन बाद कांग्रेस सरकार ने की। इसके बाद रक्षा क्षेत्र में तरक्की निरंतर होती रही और इस दौरान जितनी भी सरकारें आईं, सभी का इसमें योगदान रहा। इसलिए किसी एक व्यक्ति या दल को इसका श्रेय देना सही नहीं होगा। इसमें वाहवाही करने की भी कोई बात नहीं है, क्योंकि सरकार का कर्तव्य ही है कि वह देश के विकास और रक्षा के लिए कार्य करे।

श्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि 21वीं सदी का भारत कोई मौका नहीं खोएगा। हम कमर कस चुके हैं। हम हर क्षेत्र में बदलाव ला रहे हैं। इन बातों में आत्ममुग्धता ही नजर आ रही है, क्योंकि बदलाव केवल इस युग में नहीं हुआ है, हर दौर में हुआ है। अमृतकाल में भारत को फाइटर प्लेन की तरह उड़ाने की उपमा अच्छी तो है, लेकिन विचारणीय बात ये है कि यह लड़ाकू विमान क्या रिमोट से उड़ेगा, क्या इसमें पायलटों की जरूरत भी होगी। क्योंकि देश को अगर हवाई उड़ान देना है, तो फिर इसे युवाओं की ऊर्जा की जरूरत होगी। अभी हालात ये हैं कि देश के युवा नौकरी के लिए भटक रहे हैं।

बेरोजगारी के खिलाफ आवाज़ उठाने पर लाठी खा रहे हैं। सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षाओं में धांधली से त्रस्त हो रहे हैं। अभी पिछले हफ्ते ही उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक और अन्य गड़बड़ियों के खिलाफ बेरोजगार संघ के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया तो पुलिस ने उन पर लाठियां चलाईं। कई लहूलुहान युवाओं की तस्वीरें देश में प्रसारित हुईं।

श्री मोदी तक ये तस्वीरें पहुंची या नहीं, पता नहीं। लेकिन प्रधानमंत्री के संज्ञान में यह होना चाहिए कि युवाओं के बीच किस तरह असुरक्षा और असंतोष की भावना बढ़ रही है। इस लाठी प्रहार के बाद एक और गंभीर प्रहार एक सबसे तेज समाचार चैनल की ओर से उन युवाओं पर हुआ, जो सरकारी नौकरियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस चैनल के एक एंकर ने कहा कि हमारे देश में ऐसे युवा बेहद कम हैं जो स्किल्ड (कुशल और प्रशिक्षित) हैं और यही वजह है कि ऐसी सरकारी नौकरी के लिए लंबी लाइन लगती है, जिसमें खास कौशल की जरूरत नहीं होती है। सबसे ज्यादा युवा इन्हीं नौकरियों को पाना चाहते हैं, ऐसी नौकरियों में पैसा अच्छा होता है।

एंकर ने तंज भरे लहजे में कहा कि, सोचिये आपके पास कोई स्किल नहीं है, कोई टैलेंट नहीं है लेकिन सैलरी शानदार है। इस बात से देश के उन लाखों युवाओं का अपमान किया गया है, जो सरकारी नौकरी की तैयारी में लगे हैं। लिखित परीक्षा, साक्षात्कार आदि के बाद कठिनाई से सरकारी नौकरी मिलती है। अगर इस प्रक्रिया में कोई कमी है, तो उसे सुधारना सरकार का काम है, लेकिन यहां नौकरी चाहने वाले युवाओं की क्षमता पर सवाल उठाया गया है। सरकारी नौकरी में भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है, लेकिन यह बाकी क्षेत्रों में भी है।

भारत फाइटर प्लेन की तरह ऊंचाइयों पर उड़ान तभी भरेगा, जब अपनी जिम्मेदारी सरकार निभाएगी और दूसरों को दोषी ठहराना छोड़ेगी।