धर्म की असली सीख

राजस्थान का चर्चित पर्यटक स्थल उदयपुर मंगलवार को गलत कारणों से चर्चा में आ गया। रियाज अटारी और गौस मोहम्मद नाम के दो लोगों ने कन्हैयालाल नामक शख्स की दुकान में घुसकर निर्ममता से हत्या कर दी

facebook
twitter
whatsapp
धर्म की असली सीख
File Photo
देशबन्धु
Updated on : 2022-06-30 06:56:59

राजस्थान का चर्चित पर्यटक स्थल उदयपुर मंगलवार को गलत कारणों से चर्चा में आ गया। रियाज अटारी और गौस मोहम्मद नाम के दो लोगों ने कन्हैयालाल नामक शख्स की दुकान में घुसकर निर्ममता से हत्या कर दी। पेशे से दर्जी मृतक कन्हैयालाल ने कुछ दिनों पहले भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की पैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की थी, जिस पर शिकायत दर्ज होने के बाद उदयपुर पुलिस ने कन्हैयालाल को गिरफ्तार कर लिया था।

हालांकि, बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। लेकिन जमानत मिलने के बाद कन्हैया को अलग-अलग नंबरों से फोन और मैसेज के जरिए जान से मारने की धमकी दी जाने लगी। जिस पर 15 जून को कन्हैयालाल ने पुलिस में शिकायत दर्ज कर अपने लिए सुरक्षा की मांग की थी। लेकिन पुलिस ने इस धमकी को गंभीरता से शायद नहीं लिया और कुछ लोगों को थाने में बुलाकर समझा-बुझा कर शांति-मेल मिलाप से रहने का उपदेश देकर घर भेज दिया। उदयपुर पुलिस शायद आज के माहौल और धर्म के नाम पर बढ़ रही हिंसक प्रवृत्ति और कट्टरता के आकलन में चूक गई, नतीजा ये हुआ कि कन्हैयालाल को मिल रही धमकियां हकीकत बना दी गईं। उनकी दुकान में घुसकर पायजामा सिलाने की बात कहकर धारदार हथियार से उनकी हत्या करने वाले दोनों आरोपियों ने इस घटना के बाद एक वीडियो भी पोस्ट किया, जिसमें इस हत्या को नूपुर शर्मा की टिप्पणी का बदला बताया गया। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए भी धमकी दी गई है।

गौरतलब है कि महीने भर पहले नूपुर शर्मा ने पैगंबर साहब पर आपत्तिजनक बयान दिए थे और उस पर अफसोस भी तब जताया था जब कड़ी आपत्ति दर्ज की गई थी। हालांकि भाजपा ने तब कार्रवाई के नाम पर उन्हें प्रवक्कता के पद से हटा कर निलंबित कर दिया था। लेकिन नूपुर शर्मा को अब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है, क्योंकि समाज में आग लगाने वाली बात कहकर वो खुद कहीं फरार हो चुकी हैं। अपनी शरणस्थली से नूपुर शर्मा देख रही होंगी कि धार्मिक कट्टरता की आग जब फैलती है तो किस तरह समाज को हिंसक बना देती है। नूपुर शर्मा ने जो कहा, उससे मुस्लिम समुदाय ही नहीं, दूसरे धर्मों के उदारवादी सोच रखने वाले लोग भी आहत हुए थे।

क्योंकि यह प्रवृत्ति ही गलत है कि अपने धर्म की श्रेष्ठता साबित करने के लिए दूसरे धर्म को नीचा दिखाया जाए, या उसका अपमान किया जाए। और एक बार ये सिलसिला शुरु हो गया, तो इसे थामना बहुत कठिन होता है। तब ये भी तय नहीं किया जा सकता कि इसकी शुरुआत किसने की। भारत जैसे बहुलतावादी और सदियों से कई धर्मों को साथ लेकर चलने वाले समाज में तो यह बिल्कुल ही तय नहीं हो सकता कि पहला पत्थर किसने चलाया। क्योंकि आज की बात निकलते-निकलते इतिहास की गहराइयों में जा पहुंचती है। किसने मंदिरों को लूटा, किसने मस्जिदों को तोड़ा, किस राजा का साथ किस सेनापति ने दिया, किस सुल्तान ने सत्ता के लिए कौन से समझौते किए, इन बातों का हिसाब-किताब आज अगर होने लगे तो सिवाय तबाही के कुछ हाथ नहीं आएगा। लेकिन सत्ता की खातिर इतिहास को कुरेदने वाले और इतिहास को फिर से लिखने की चाह रखने वाले इस खतरे को समझते हुए भी इसे अनदेखा कर रहे हैं।

नूपुर शर्मा का बयान नैतिकता और कानून दोनों लिहाज से गलत है और उदयपुर की घटना को अंजाम देने वालों का काम भी न नैतिक तौर पर, न कानूनी तौर पर स्वीकार्य है। आंख के बदले आंख वाला कानून पूरी दुनिया को अंधा बनाकर छोड़ेगा, ये बात सबको याद रखना चाहिए। खासकर उन राजनैतिक दलों और नेताओं को जो धर्म को सत्ता की सीढ़ी की तरह इस्तेमाल करते हैं। उदयपुर की घटना में तसल्ली की बात ये है कि आरोपियों को जानबूझकर भागने का मौका नहीं दिया गया, बल्कि पुलिस ने अपनी ताकत का सही इस्तेमाल करते हुए दोनों को धर दबोचा। बताया जा रहा है कि दोनों आरोपियों ने खुलासा किया है कि वे सुन्नी इस्लाम के सूफी बरेलवी पंथ से जुड़े हुए हैं। इस हत्याकांड का पाकिस्तान लिंक भी जोड़ा जा रहा है। क्योंकि दोनों आरोपियों ने कराची के संगठन दावत-ए-इस्लामी से संबंध भी स्वीकार किया है।

इस संगठन का लक्ष्य कुरान और सुन्नाह का प्रचार प्रसार है। यह संगठन इस्लाम की शिक्षा के नाम पर लोगों को कट्टर बनाता है और दुनिय भर में शरिया लागू करने की वकालत करता है और इस्लामिक देशों में ईशनिंदा कानून लागू कराने के लिए काम करता है। पाकिस्तान धर्म के आधार पर बना एक कट्टर और पिछड़ी सोच वाला देश है, जहां इस तरह के संगठनों का बनना और पनपना नयी बात नहीं है। लेकिन अफसोस की बात ये है कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में हिंदुत्व के नाम पर इसी तरह की कट्टरता और पोंगापंथी सोच को बढ़ावा देने वाले कई संगठन खड़े हो चुके हैं। और ऐसी घटनाओं के बाद ये संगठन जहर फैलाने का काम और तेजी से करते हैं। इस समय भाजपा के कुछ नेता भी इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने के लिए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं, जिससे माहौल बिगड़ सकता है। भाजपा को ये समझना होगा कि सत्ता रहे न न रहे, लेकिन देश की आत्मा को चोट पहुंचेगी, तो कुछ भी बाकी नहीं रहेगा।

उदयपुर की घटना पर कांग्रेस समेत बहुत से राजनैतिक दलों और मुस्लिम संगठनों ने चिंता जतलाई है। अजमेर दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन अली खान और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने भी इस घटना की कड़ी भर्त्सना करते हुए इसे अस्वीकार्य बताया है। कोई भी सच्चा धर्म बदला लेना या नफरत करना नहीं सिखाया। याद कीजिए 2017 में राजस्थान में ही राजसमंद में शंभुलाल रैगर ने मोहम्मद अफराजुल की बेरहमी से हत्या कर दी थी। तब अफराजुल के परिजनों ने दोषी के लिए फांसी की मांग तो की थी, लेकिन ये भी कहा था कि हत्यारे ने जो किया, हम उससे उस तरीके का बदला लेने की सोच नहीं सकते। हम उसे मार या जला नहीं सकते। धर्म की रक्षा के लिए फिक्रमंद लोगों को ऐसे उदाहरणों से सीख लेनी चाहिए।

संबंधित समाचार :