• कोरोना के साए में प्रत्यक्ष विदेशी निवेेश की बढ़ोतरी 

    भारत सरकार के प्रकाशन विभाग जारी 24 मई के समाचार बुलेटिन के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत को कुल 81.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ

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    - डॉ. हनुमन्त यादव 

    कोरोना की लहर धीरे-धीरे घटने की ओर रहेगी। इसलिए उद्यमों में निवेश का बढ़ना स्वाभाविक है। केन्द्र सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए जो स्वागत योग्य नियम बनाकर रखे हैं वे सभी राज्यों के लिए हितकारी है। भारत के लगभग सभी राज्य निवेश आमंत्रित करने की पूरी कोशिश कर रहें हंै, लेकिन गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कुछ राज्य बड़े निवेशकर्ताओं के पसंदीदा राज्य बने रहने की संभावना है।

    भारत सरकार के प्रकाशन विभाग जारी 24 मई के समाचार बुलेटिन के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत को कुल 81.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 की 74.39 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक है। किंतु कोरोना के कारण विषम परिस्थितियां बन जाने के कारण उद्यमों के लिए प्रत्यक्ष निवेश प्राप्ति के कीर्तिमान समाचार को समाचार माध्यमों में उचित स्थान नहीं मिल सका। समाचार माध्यमों में इस समय कोरोना से पीड़ित लोगों की संख्या, संस्थानों में उपचार से स्वस्थ होकर उबरे लोगों की संख्या, कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या, प्रधानमंत्री और अन्य केन्द्रीय मंत्रियों के विभिन्न राज्यों के दौरे, राज्य के मुख्यमंत्री आदि के अपने राज्य में दौरे और उनके द्वारा पीड़ितों की दी जाने वाली मदद आदि समाचार माध्यमों में दिन-रात छाए रहते हैं। समाचार माध्यमों में विशेषज्ञों के बीच प्रतिदिन होने वाली निष्कर्षहीन बहसें भी स्थान घेरती हैं। ऐसे में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की उपलब्धियों के समाचारों को महत्वहीन मानकर सही स्थान नहीं मिल पाता है।

    भारत सरकार द्वारा पिछले कुछ वर्षों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हेतु प्रारंभ की गई योजनाओं एवं उद्यम निवेशकों को बढ़ावा दिए जाने के कारण कोरोना लहर सरीखी विषम परिस्थितियों में भी विदेशी निवेशक भारत में प्रत्यक्ष निवेश जारी रखे हुए हैं।  अब विदेशी निवेशकों के लिए भारत अधिमान सूची में आ गया है । संयुक्त राष्ट्र संघ के अंकटाड संगठन द्वारा जारी विश्व निवेश रिपोर्ट 2020 के अनुसार वर्ष 2019 में सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्तकर्ता देशों में भारत 9वें स्थान पर था।

    प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तीन रूप में होता है, इक्विटी पूंजी निवेश,  पुनर्निवेशित आय एवं इंट्रा-कंपनी कर्ज। इन सबमें सब से अधिक लोकप्रिय देश की कंपनियों के शेयरों में पूंजीगत निवेश होता है। वर्ष 2020-21 में भारत निवेशित 81.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर में से 59.64 बिलियन अमेरिकी डॉलर भारत की कंपनियों की शेयर पूंजी के रूप में निवेश किए गए। यह धनराशि वर्ष 2019-20 की 49.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में कोरोना संक्रमण काल में भी 19 प्रतिशत अधिक रही।

    भारत में विदेशी पूंजी के बड़े निवेशक देशोंं में सिंगापुर चोटी पर है। वर्ष 2020-21 में सिंगापुर का भारत में पूंजी निवेश 20 प्रतिशत बढ़ा है जबकि दूसरे स्थान पर संयुक्त राज्य अमेरिका रहा जिसके पूंजी निवेश में 23 प्रतिशत तथा मॉरिशस द्वारा पूंजी निवेश में 9 र्प्रतिशत की बढ़ोतरी रही। वर्ष 2020-21 में कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर सेक्टर में कुल इक्विटी सेक्टर के पूंजी निवेश 59.64 बिलियन अमेरिकन डॉलर का 44 प्रतिशत प्रत्यक्ष पूंजी निवेश  हुआ। अधोसंरचना विनिर्माण गतिविधियों में 13 प्रतिशत तथा सेवा क्षेत्र में कुल का 8 प्रतिशत  प्रत्यक्ष पूंजी निवेश हुआ। पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 की तुलना में वर्ष 2020-21 में अधोसंरचना विनिर्माण गतिविधियां, कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर एंड हार्डवेयर, रबर गुड्स, रिटेल ट्रेडिंग, ड्रग एंड फार्मास्यूटीकल्स तथा विद्युत साज-सामान के प्रत्यक्ष पूंजी निवेश में 100 प्रतिशत का उछाल आया है।

    भारत में होने वाले कुल इक्विटी शेयरों में विदेशी प्रत्यक्ष पूंजी निवेश का सबसे अधिक 37 प्रतिशत गुजरात में हुआ है। इस क्रम में दूसरे स्थान पर 27 प्रतिशत पूंजी निवेश के  साथ महाराष्ट्र दूसरे तथा 13 प्रतिशत पूंजी निवेश के साथ कर्नाटक तीसरे स्थान पर था। कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर एंड हार्डवेयर सेक्टर के कुल इक्विटी सेक्टर के पूंजी निवेश का 78 प्रतिशत गुजरात, 9 प्रतिशत  कर्नाटक व 5 प्रतिशत दिल्ली में हुआ है। गुजरात के संबंध में रोचक बात यह है कि वहां कुल आबंटित धनराशि का 94 प्रतिशत पूंजी निवेश कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर एंड हार्डवेयर में निवेश होता है।

    वर्ष 2020-21 में पहली बार भारत की विकास दर ऋणात्मक 8 प्रतिशत होने के बावजूद भारत की निवेश दर में धनात्मक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। भारत की विकास दर सभी तिमाहियों में ऋणात्मक रही है, यद्यपि हर एक आने वाली तिमाही में ऋणात्मक मात्रा कम होती जा रही है। दूसरी ओर भारत में प्रतिभूतियों में प्रत्यक्ष पूंजी निवेश एवं शेयरों में बाजार पूंजी निवेश की मात्रा बढ़ती जा रही है। मुंबई शेयर बाजार में निवेश बढ़ने के कारण सेंसैक्स 51,000 बिंदु तथा राष्ट्रीय शेयर बाजार का निफ्टी 15,000 बिंदु पार कर चुके हैं। जहां तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सवाल है, वर्ष 2020-21 में दूसरे देशों द्वारा भारत को पूंजी निवेश हेतु निर्यात कई गुना बढ़ा है।

    10 बड़े चोटी के विदेशी प्रत्यक्ष निवेशकर्ता देशों में सउदी अरब की भारत में वर्ष 2020-21 में निर्यात में सबसे अधिक बढ़ोतरी हुई है। सउदी अरब द्वारा पिछले साल के 89.93 मिलियन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले चालू वित्तीय वर्ष में 2816.08 मिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष निवेश हुआ है। संयुक्त राज्य अमेरिका के पूंजी प्रवाह में 227 प्रतिशत तथा ब्रिटेन के भारत में पूंजी प्रवाह में 44 प्रतिशत की वद्धि हुई है।  

    उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ सीआईआई ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की स्थिति की सराहना करते हुए वक्तव्य दिया है कि वर्ष 2020-21 बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है विषम परिस्थितियों के बावजूद एफ डीआई प्रवाह का मजबूत प्रदर्शन वैश्विक निवेशकों के बीच एक पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में भारत की स्थिति की पुष्टि करता है। उद्योग मंडल ने आगे कहा कि पिछले साल कई और क्षेत्रों में मानकों को उदार बनाने, व्यवसाय करने में आसानी और नीतिगत उपायों के माध्यमों पर जोर देने से निवेशकों को विश्वास मजबूत हुआ है। 

    वर्तमान की सम्पूर्ण स्थितियों के अध्ययन के बाद यह कहा जा सकता है कि अगले वित्तीय वर्ष 2021-22 में भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की स्थितियां विदेशी निवेशकर्ताओं के लिए अधिक अनुकूल रहेंगी, इसलिए निवेशकर्ताओं और भारत दोनों के लिए स्वागत बनी रहेंगी। लेखनीय है कि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश अगले वर्ष डबल डिजिट रहने की सभवना है, उसके 10 प्रतिशत पार करके 15 प्रतिशत अर्थात कुल 90 बिलियन अमेरिकी डॉलर से तक रहने की संभावना है। कोरोना की लहर धीरे-धीरे घटने की ओर रहेगी। इसलिए उद्यमों में निवेश का बढ़ना स्वाभाविक है। केन्द्र सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए जो स्वागत योग्य नियम बनाकर रखे हैं वे सभी राज्यों के लिए हितकारी है। भारत के लगभग सभी राज्य निवेश आमंत्रित करने की पूरी कोशिश कर रहें हंै, लेकिन गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कुछ राज्य बड़े निवेशकर्ताओं के पसंदीदा राज्य बने रहने की संभावना है।

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