• ललित सुरजन की कलम से- चीन, ओबोर और भारत

    'लगभग चार साल पूर्व चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वाणिज्यिक महत्व के दो प्रकल्प घोषित किए- सिल्क रोड इकानॉमिक बेल्ट तथा ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी मेरीटाइम सिल्क रोड (इक्कीसवीं सदी सामुद्रिक रेशम मार्ग)

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    'लगभग चार साल पूर्व चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वाणिज्यिक महत्व के दो प्रकल्प घोषित किए- सिल्क रोड इकानॉमिक बेल्ट तथा ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी मेरीटाइम सिल्क रोड (इक्कीसवीं सदी सामुद्रिक रेशम मार्ग)। इन दोनों को संयुक्त रूप से वन बेल्ट वन रोड याने ओबोर के नाम से अब जाना जाता है।

    चीन के ही कुछ अर्थशास्त्रियों की राय है कि विगत वर्षों में चीन ने अपनी औद्योगिक उत्पादन क्षमता जिस गति से बढ़ाई है, उसमें उसे नए बाज़ार ढूंढने की आवश्यकता महसूस हो रही है, जहां वह अपने यहां उत्पादित सामग्रियां खपा सके।

    बाज़ार में माल खपेगा तो आर्थिक शक्ति बढ़ेगी जिससे विश्व में खासकर एशिया में चीन का दबदबा बढ़ेगा। इस महत्वाकांक्षी योजना को दुनिया के सामने औपचारिक रूप से रखने के लिए उसने गत 14-15 मई को बीजिंग में बेल्ट रोड इनीशिएटिव या बीआरआई शीर्षक से एक अंतरराष्ट्रीय शीर्ष सम्मेलन का आयोजन किया।

    29 देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने इसमें शिरकत की, 30-35 अन्य देशों ने उच्चस्तरीय शिष्ट मंडल भेजे, 130 वैश्विक संगठनों ने भी भागीदारी निभाई, किंतु भारत ने ज़ाहिर तौर पर महत्वपूर्ण इस आयोजन में अनुपस्थित रहना बेहतर समझा।


    (देशबंधु में 25 मई 2017 को प्रकाशित)

    https://lalitsurjan.blogspot.com/2017/05/blog-post_26.html

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