• छ: गरीबों में पांच निचली जनजातियों या जातियों से

    उपसहारा अफ्रीका में 55 करोड़ 80 लाख और दक्षिण एशिया में 53 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी में जीवन बसर करते हैं

    Share:

    facebook
    twitter
    google plus

    - डॉ. हनुमन्त यादव

    उपसहारा अफ्रीका में 55 करोड़ 80 लाख और दक्षिण एशिया में 53 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी में जीवन बसर करते हैं। इस प्रकार उपसहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में विश्व के 84.3 प्रतिशत लोग बहुआयामी निर्धनता में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। सात देशों में ऐसे लोगों की संख्या 50 करोड़ से अधिक है। इन देशों में भारत 22 करोड़ 70 लाख जनसंख्या के साथ चोटी पर है। दूसरे स्थान पर 7 करोड़ 10 लाख जनसंख्या के साथ पाकिस्तान है।

    गुरूवार 7 अक्टूबर को बहुआयामी गरीबी को लेकर युनाइटेड नेेशंस यूएन की ओर से जारी वैश्विक बहुआयामी गरीबी इंडेक्स 2021 को लेकर जारी नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हर छ: बहुआयामी गरीबों में से पांच निचली जनजातियों या जातियों से होते हैं। बहुआयामी गरीबी पर यह नई रिपोर्ट यूएनडीपी और ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल ने तैयार किया है। भारत में अनुसूचित जनजाति समूह की 12 करोड़ 90 लाख आबादी में से 6.5 करोड़ आबादी,  अनुसूचित जाति के 29.4 करोड़ जनसंख्या में से 9.4 करोड़ अर्थात 33.3 फीसदी  आबादी और अन्य पिछड़ा वर्ग की 58.8 करोड़ में से 16 करोड़ आबादी अर्थात 27.2 प्रतिशत आबादी बहुआयामी गरीबी में जीवन व्यतीत कर रही है। इस प्रकार भारत के इन तीन वर्गों  से कुल 31.9 करोड़ आबादी बहुआयामी गरीबी में जीवन बसर कर रहे हैं।

    वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक एमपीआई प्रणाली 107 विकासशील देशों की बहुआयामी गरीबी नापने की वैश्विक प्रणाली है। इसकी  गणना प्रत्येक सर्वेक्षित घर को 10 मानकों पर आधारित अंक देकर की जाती है।  स्वास्थ्य, शिक्षा, और जीवन स्तर के अंतर्गत बुनियादी जरूरतें आती हैं। इन बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए जो लोग इन भारित संकेतकों में से कम से कम एक तिहाई में अभाव अनुभव करते हैं, वे बहुआयामी गरीबी की श्रेणी में आते हैं। इस भारित सूचकांक में एक तिहाई भार स्वास्थ्य, एक तिहाई शिक्षा तथा एक तिहाई भार जीवन स्तर को दिया जाता है। स्वास्थ्य के अंतर्गत पोषण और  बाल मृत्यु दर, शिक्षा के अंतर्गत स्कूली शिक्षा की अवधि तथा स्कूल में उपस्थिति शामिल किए जाते हंै। जीवन स्तर के अंतर्गत खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास और घरेलू संपत्ति  जैसे मानक शामिल हैं। घरेलू संपत्ति के अंतर्गत फर्नीचर, टेलीफोन, कम्प्यूटर व वाहन आदि को शामिल करते हैं।

    उपसहारा अफ्रीका में 55 करोड़ 80 लाख और दक्षिण एशिया में 53 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी में जीवन बसर करते हैं। इस प्रकार उपसहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में विश्व के 84.3 प्रतिशत लोग बहुआयामी निर्धनता में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। सात देशों में ऐसे लोगों की संख्या 50 करोड़ से अधिक है। इन देशों में भारत 22 करोड़ 70 लाख जनसंख्या के साथ चोटी पर है। दूसरे स्थान पर 7 करोड़ 10 लाख जनसंख्या के साथ पाकिस्तान है। अन्य पांच देश हैं - इथोपिया 5 करोड़ 90 लाख, नाइजीरिया 5 करोड़ 40 लाख, चीन 3 करोड़ 20 लाख, बांग्लादेश 3 करोड़ और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो 2 करोड़ 70 लाख। विश्व स्तर पर 130 करोड़ बहुआयामी गरीब लोगों में से 83 करोड़ 60 लाख अर्थात दो तिहाई लोगों के परिवारों में किसी भी महिला सदस्य ने कम से कम छ: साल की स्कूली शिक्षा पूरी नहीं कर सकी है, इस कारण इसका असर पूरे समाज पर पड़ रहा है।  

    विश्व के 18 साल से कम आयु के बच्चों में 64 करोड़ अर्थात लगभग 50 प्रतिशत  बहुआयामी में रह रहे हैं। बहुआयामी गरीबी में रहने वाले 60 साल से अधिक आयु के व्यक्तियों की संख्या 10 करोड़ 50 लाख है।  10 देशों के 60 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिन्हें डीटीपी.थ्री का टीकाकरण नहीं हुआ है। बहुआयामी गरीबी में रहने वाले 120 करोड़ परिवारों को रसोई में साफ ईंधन नहीं मिल पाता है।  68.7 करोड़ परिवारों को विद्युत उपलब्ध नहीं है, 103 करोड़ लोगों के आवास का सामान मानक से नीचे के हैं, 47 करोड़ परिवारों का एक शिशु  स्कूल नहीं जा रहा है। 36.6 करोड़ परिवारों को स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। उप सहारा अफ्रीका के देशों में स्थिति अधिक खराब है। वहां की 55.8 करोड़ अर्थात 66 प्रतिशत जनसंख्या बहुआयामी गरीब है। वहां 54 करोड़ परिवारों को रसोई में साफ ईंधन नहीं मिल पाता है,  47 करोड़ परिवारों को विद्युत उपलब्ध नहीं है और 36.6 करोड़ परिवारों को स्वच्छ पीने के पानी की अनुपलब्धता है।

    भारत के 84 प्रतिशत बहुआयामी निर्धन परिवार ग्रामीण क्षेत्र में निवास करते हैं। वैश्विक एमपीआई 2020 के अनुसार भारत एमपीआई स्कोर 0.123 के साथ दुनिया के 107 देशों में 62वें स्थान पर है। भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका 0.011 स्कोर के साथ  25वें, बांग्लादेश 0.104 स्कोर के साथ 58वें, नेपाल 0.074 स्कोर के साथ 65वें, भूटान 0.175 स्कोर के साथ 68वें, म्यामार 0.176 स्कोर के साथ 69वें और पाकिस्तान 0.198 स्कोर के साथ 73वें स्थान पर है। चीन 0.016 स्कोर के साथ 30वें स्थान पर है। उपसहारा अफ्रीका का स्कोर  0.286 है।  

    भारत में वैश्विक बहुआयामी सूचकांक एमपीआई की निगरानी नीति आयोग नोडल एजेंसी है। नीति आयोग द्वारा राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की रैंक तैयार करने के लिए एक बहुआयामी गरीबी सूचकांक तैयार किया जा रहा है। एमपीआई में प्रदर्शन की निगरानी के लिए एक एमपीआई पैरामीटर डैशबोर्ड तैयार किया गया है। इसकी निगरानी के लिए गठित समिति में विद्युत, दूरसंचार, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, पेयजल और स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, आवास और शहरी मामले विभागों के सदस्य शामिल किए गए हैं। यूएनडीपी और ऑक्सफोर्ड पावरटी एंड ह्यूमन डेवलेपमेंट इनिशिऐटिव ओपीएचडीआई के प्रतिनिधि भी इस समिति में शामिल किए गए हैं जो तकनीकी सहायता उपलब्ध करा रहे हैं।

    2019-20 के पारिवारिक सर्वेक्षण में स्वच्छता, खाना पकाने का इंर्ंधन, आवास, पीने का पानी और बिजली के पैमानों पर बहुआयामी गरीबी में सुधार देखने को मिला है। कोविड-19 महामारी के कारण इस सर्वेक्षण को रोक दिया गया है। कोविड-19 महामारी प्रारंभ  होने के बाद नगरों के छोटे उद्योगों में काम करने वाले श्रमिक बेरोजगार हुए हैं, गरीब परिवारों की बुनियादी सुविधाएं प्रभावित हुई हैं। बच्चे स्कूल जाने से वंचित हो गए हैं। इस अवधि में बहुआयामी गरीबों की संख्या बढ़ी है।

    भारत में निम्न आमदनी वर्ग में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के आधार पर शामिल किए गए हैं। सरकार द्वारा इन तीन वर्गों को आरक्षण का लाभ देकर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है। भारत में हर छ: बहुआयामी गरीबों में से पांच निचली जनजातियों या जातियों से होते हैं। बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में भारत के लगभग आधे परिवार बहुआयामी गरीब निवास करते हैं।

    Share:

    facebook
    twitter
    google plus

बड़ी ख़बरें

अपनी राय दें