• वैश्विक महामारी कोरोना से अर्थव्यवस्था को दुहरे झटके

    7.7 फीसदी ऋणात्मक से जीडीपी ग्रोथ रेट धनात्मक 11.0 प्रतिशत किस प्रकार संभव है क्योंकि बहुत अच्छे दिनों में भी विकास दर 9 प्रतिशत से अधिक नहीं रही

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    - डॉ. हनुमन्त यादव

    7.7 फीसदी ऋणात्मक से जीडीपी ग्रोथ रेट धनात्मक 11.0 प्रतिशत किस प्रकार संभव है क्योंकि बहुत अच्छे दिनों में भी विकास दर 9 प्रतिशत से अधिक नहीं रही।  इसके दो स्पष्टीकरण हैं, पहला ग्रोथ रेट की पुन:प्राप्ति वीट आकार की होगी अर्थात जिस तेजी से यह गिरी है उतनी ही तेजी से इसमें बढ़ोतरी होगी। दूसरा, 11 प्रतिशत वृद्धि दर 2020-21 की तुलना में है जो कि एक असामान्य वर्ष रही है।

    वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 29 जनवरी को संसद में पेश किए गए वर्ष 2020-21 के आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 के अनुसार वैश्विक महामारी कोविड-19 द्वारा विश्व की सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को मांग पक्ष और आपूर्ति पक्ष दोनों ही ओर से झटके मिले हैं, इस कारण धनात्मक रहने वाली विकास दर ऋणात्मक हो गई हैं।  कोरोना के संक्रमण से नागरिकों के जीवन के बचाव हेतु सरकार द्वारा एहतियाती कदम के रूप में मार्च माह में लॉकडाउन और सामाजिक दूरी लागू की, जिससे उद्योग धंधे लगभग 4 माह पूरी तरह बंद रहे, जिससे उत्पादन प्रभावित होने के कारण वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई और सदैव धनात्मक रहने वाली जीडीपी दर शून्य से भी नीचे गिरकर ऋ णात्मक हो गई। दूसरी ओर उद्योग धंध्ंो बंद होने से उनकी आजीविका का माध्यम जाता रहा। इससे आम नागरिकों की क्रयशक्ति में गिरावट आई इस प्रकार अर्थव्यवस्था का मांगपक्ष प्रभावित हुआ। देश की रोजगार दर में भारी गिरावट आई।

    संसद में वित्तमंत्री द्वारा आम बजट पेश करने के एक या दो दिन पहले पिछले साल का आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण को वित्तमंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार के निर्देशन में अधिकारियों और विशेषज्ञों की टीम तैयार करती है। वर्तमान में के.वी. सुब्रमण्यिन मुख्य आर्थिक सलाहकार हैं। संसद में बजट प्रस्तुत होने के बाद के.वी. सुब्रमण्यिन वे पत्रकारों के सवालों के जवाब  दिए। उनकी हिन्दी शब्दों के उच्चारण और बोलचाल के लहजे को सुनकर कोई आभास भी नहीं लगा सकता कि वे दक्षिण भारतीय हैं। के.वी. सुब्रमण्यिन के अनुसार, भारत सरकार के समक्ष नागरिकों के स्वास्थ्य के बाद उन गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों की आजीविका व भोजन की चिंता थी। इसलिए सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत लगभग 80 करोड़ नागरिकों को 6 माह मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध  करवाया था।  इसको विश्व का सबसे बड़ा नागरिक पोषण कार्यक्रम कहा जा सकता है।

    भारत में कोरोना कोविड-19 के कुल 1.06 करोड़ प्रकरण प्रकाश में आए, जिनमें से अधिकांश उपचार बाद स्वस्थ हो गए। कुल मौतों की संख्या 1.48 लाख थी, जिसमें से पश्चिम और दक्षिण भारत में 50 प्रतिशत मौतें हुईं। कोरोना प्रकरणों एवं मौतों की संख्या में महाराष्ट्र राज्य पहले स्थान पर रहा। दुनिया में हुई कुल कोरोना मौतों में 11 प्रतिशत भारत में हुई। भारत ने कोरोना संक्रमण से अपने नागरिकों की प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के लिए वैक्सीन विकसित कर ली है। पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन दी जा रही है। वर्ष 2018 के बाद दुनिया के अधिकांश देश आर्थिक धीमापन से ग्रस्त होकर आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रहे थे। आर्थिक मंदी रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे थे कि कोविड-19 महामारी ने दुनिया के अधिकांश देशों में गंभीर मांग और आपूर्ति में विच्छेद पैदा करके मंदी को और बढ़ा दिया है। इससे इन सभी देशों की वर्ष 2020 में विकास  दर शून्य से नीचे गिरकर ऋ णात्मक हो गई है। वर्ष 2020-21 में भारत की विकास दर 7.7 प्रतिशत ऋ णात्मक रहने का अनुमान है।

    एक अभूतपूर्व संकटकाल की पृष्ठभूमि में, वर्ष 2020-21 राजकोषीय मोर्चे पर सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण वर्ष रहा। आर्थिक गतिविधियों  में रुकावट के कारण राजस्व संग्रह में कमी, कमजोर लोगों, छोटे व्यवसायों, और सामान्य रूप से अर्थव्यवस्था पर महामारी के नतीजों को कम करने के लिए अतिरिक्त व्यय आवश्यकताओं ने उपलब्ध सीमित राजकोषीय संसाधनों पर अत्यधिक दबाव बनाया। संसाधनों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए केंद्र सरकार के बाजार से सकल कर्ज के  लक्ष्य को 7.8 लाख करोड़ रुपये के बजट आकलन से संशोधित करके 12 लाख करोड़ कर दिया गया। लॉक डाउन का असर धीरे-धीरे कम होने के कारण अक्टूबर से जीएसटी के संकलन में बढ़ेातरी हुई है फि र भी पिछले साल की तुलना में चालू साल में कुल जीएसटी राजस्व में वृद्धि की संभावना कम है। प्रत्यक्ष करों एवं खासकर आयकर में पिछले साल की तुलना में कमी का अनुमान है।

    सरकार द्वारा कोरोना से प्रभावित उद्योगों कीे गति देने के लिए अक्टूबर और नवंबर 2020 में राजकोषीय पैकेज का ऐलान किया गया था। उसके सकारात्मक  परिणाम भी प्राप्त हुए।  सरकार ने अनेक आयकर सुधार लागू किए। कोरोना संकट के बावजूद वर्ष 2020-21 में कुछ क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन शानदार रहा है। चालू वर्ष में निर्यात में वृद्धि होने के कारण व्यापार घाटा हुआ। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में निरंतर वृद्धि हो रही है। भुगतान संतुलन धनात्मक रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार में निरंतर वृद्धि ने कीर्तिमान स्थापित किया।  22 जनवरी को बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सेंसैक्स न बढ़ते हुए पहली बार 50,000 का अंाकड़ा प्राप्त किया है। शेयर बाजार के पंडितों को निवेशकों के लिए इस बजट से उम्मीद बहुत कम है, इसलिए पिछले सप्ताह बिकवाली जोर के कारण सेंसैक्स में भारी गिरावट आई है। सरकार की कमजोर राजकोषीय स्थिति के बावजूद जनता के सभी वर्गों को 1 फ रवरी को संसद में पेश किए जाने वाले बजट से काफी अपेक्षाएं हैं। 

    आर्थिक सर्वेक्षण से न केवल अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी मिलती है, बल्कि पिछले दशकों में विकास,  रोजगार, लोक वित्त, विदेशी व्यापार की दिशा व प्रवृत्ति के बारे में भी जानकारी मिलती है। केन्द्रीय बजट कैसा होगा इसका भी आभास आर्थिक सर्वेक्षण करवाता है।  उदाहरण के लिए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वर्ष 2021-22 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 11 प्रतिशत रहेगी। वित्तमंत्री इस 11 प्रतिशत विकास दर को ध्यान में रखकर बजट प्रावधान करेंगी। यही बात रोजगार के अवसरों के सृजन के बारे में लागू होती है। जैसा कि प्रारंभ में कहा गया था कि अर्थव्यवस्था को मांग पक्ष और आपूर्ति पक्ष दोनों ही ओर से झटके लगे हैं, इन्हीं कारणों से वर्ष 2020-21 में जीडीपी ग्रोथ ऋणात्मक 7.7 प्रतिशत थी। अब वित्तमंत्री  मांग और आपूर्ति बढ़ाकर संतुलन कायम करने के लिए बजट प्रावधान करेंगी। 

    सवाल उठता है कि 7.7 प्रतिशत ऋ णात्मक से जीडीपी ग्रोथ रेट धनात्मक 11.0 प्रतिशत किस प्रकार संभव है क्योंकि बहुत अच्छे दिनों में भी विकास दर 9 प्रतिशत से अधिक नहीं रही।  इसके दो स्पष्टीकरण हैं, पहला ग्रोथ रेट की पुन:प्राप्ति वीट आकार की होगी अर्थात जिस तेजी से यह गिरी है उतनी ही तेजी से इसमें बढ़ोतरी होगी। दूसरा, 11 प्रतिशत वृद्धि दर 2020-21 की तुलना में है जो कि एक असामान्य वर्ष रही है।  किंतु यदि वर्ष 2019-20 की जीडीपी से तुलना करें तो 2021-22 की जीडीपी वृद्धि दर 6 प्रतिशत से अधिक दिखाई नहीं देगी।

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