• जारी रहे सफ़र

    राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने निर्वाचन आयोग में शिकायत दर्ज करवाई है कि भारत जोड़ो यात्रा में कांग्रेस बच्चों का दुरुपयोग कर रही है और चुनाव प्रचार में इस्तेमाल कर रही है

    - सर्वमित्रा सुरजन

    जहां तक बच्चों के गलत इस्तेमाल का आरोप है, तो बाल मनोविज्ञान यही कहता है कि अगर बच्चों की मर्जी के बिना उनसे कोई काम करवाया जाए, तो वे उदास होते हैं, रोते हैं, हाथ-पैर पटकते हैं। मगर भारत जोड़ो यात्रा की जितनी तस्वीरें सामने आई हैं, सभी में बच्चे राहुल गांधी से मिलकर बेहद खुश दिख रहे हैं। उन्हें अगर जबरदस्ती यात्रा में शामिल किया जाता तो इसकी कोई झलक कहीं दिखती या उनके अभिभावक कोई शिकायत करते।

    राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने निर्वाचन आयोग में शिकायत दर्ज करवाई है कि भारत जोड़ो यात्रा में कांग्रेस बच्चों का दुरुपयोग कर रही है और चुनाव प्रचार में इस्तेमाल कर रही है। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए भारत जोड़ो की तर्ज बनाते हुए कहा कि कांग्रेस का जवाहर बाल मंच बच्चे जोड़ो अभियान चला रहा है। पिछले महीने भी आयोग ने ऐसी ही एक और शिकायत निर्वाचन आयोग से की थी कि कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' में बच्चों का राजनीतिक साधन के रूप में दुरुपयोग किया गया। आयोग ने इसके लिए राहुल गांधी पर कार्रवाई की मांग की थी। यह देखकर अच्छा लगता है कि हमारे देश का बाल अधिकार संरक्षण आयोग बच्चों के हित और हिफाजत के लिए कितना मुस्तैद है कि लगातार दो महीने एक पार्टी के खिलाफ एक जैसी शिकायत दर्ज करवाई जा रही है।

    आयोग की ऐसी ही मुस्तैदी जारी रही तो जल्द ही देश से बाल मजदूरी का नामोनिशान मिट जाएगा। कोई बच्चा पटाखा बनाने वाले कारखानों, ढाबों या ट्रैफिक सिग्नल पर नहीं दिखेगा। बाल विवाह जैसी कुप्रथा इतिहास बन जाएगी। कोई बच्चा भीख मांगने पर मजबूर नहीं होगा, न ही बच्चों की खरीद-फरोख्त कर उनके यौन शोषण का कोई खतरा रहेगा। बड़े शहरों के शापिंग मॉल्स और फास्ट फूड दुकानों के बाहर किसी की जूठन मिल जाने की आस में इधर-उधर भटकते बच्चे भी नहीं दिखेंगे। सभी बच्चे स्कूल जाते दिखेंगे। बच्चों के हाथों में किताबों और खेलने के लिए खिलौने होंगे और मजहबी शिक्षा देकर उन्हें धर्म का गुलाम तो बिल्कुल ही नहीं बनाया जाएगा। ये बच्चे हिंदू और मुसलमान के नाम पर एक-दूसरे को मारने का प्रशिक्षण नहीं लेंगे। कोई बच्चा अपनी जाति के कारण मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का शिकार नहीं होगा। नशे की लत से बच्चे कोसों दूर रहेंगे और हर बच्चे को दूध, दही, अंडे, फल, सब्जियों का पौष्टिक भोजन प्राप्त होगा।

    अभी ये सारी बातें आकाश कुसुम की तरह लग रही हैं, लेकिन राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग अगर बच्चों के लिए फिक्रमंद नजर आ रहा है, तो ये सुखद कल्पनाएं वाकई सच हो जाएंगी। और फिर भारत जोड़ो यात्रा जैसे किसी महाअभियान की जरूरत भी नहीं पड़ेगी, क्योंकि राहुल गांधी नफरत, हिंसा, महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं के खिलाफ ही इस पदयात्रा पर निकले हैं। इन समस्याओं से सबसे अधिक देश के भावी नागरिक ही प्रभावित होंगे, इसलिए अभी से उन्हें दूर करने की कोशिश की जा रही है। बहरहाल, अभी आयोग को शिकायत है कि भारत जोड़ो यात्रा में बच्चों का गलत इस्तेमाल हो रहा है।

    संभवत: आयोग ने पिछले 30-32 दिनों में लगातार वो तस्वीरें और वीडियो देखे होंगे, जिनमें राहुल गांधी से मिलने, बातचीत करने, उनका हाथ पकड़ने और कई बार उनकी गोदी में चढ़ने के लिए बच्चे खुशी-खुशी आगे आ रहे हैं। भारतीय राजनीति का जैसा हाल है, उसमें नेता जनता द्वारा चुने जाने के बावजूद उससे बहुत ऊपर और अलग नजर आते हैं। नेताओं का खौफ जनता पर तारी रहता है। फिल्मों और धारावाहिकों में भी अक्सर नेताओं की छवि भ्रष्ट और चरित्रहीन दिखाई जाती है। इस वजह से नेता नायक की जगह खलनायक जैसे प्रतीत होते हैं और खलनायकों से महिलाओं और बच्चों को हमेशा डर लगता है। जहां तक बच्चों के गलत इस्तेमाल का आरोप है, तो बाल मनोविज्ञान यही कहता है कि अगर बच्चों की मर्जी के बिना उनसे कोई काम करवाया जाए, तो वे उदास होते हैं, रोते हैं, हाथ-पैर पटकते हैं। मगर भारत जोड़ो यात्रा की जितनी तस्वीरें सामने आई हैं, सभी में बच्चे राहुल गांधी से मिलकर बेहद खुश दिख रहे हैं। उन्हें अगर जबरदस्ती यात्रा में शामिल किया जाता तो इसकी कोई झलक कहीं दिखती या उनके अभिभावक कोई शिकायत करते। लेकिन ऐसा भी कुछ नहीं है।

    बल्कि कई जगहों पर ये देखा गया कि मां-बाप खुद अपने बच्चों को राहुल गांधी से मिलवाने ले गए। एक मां का वीडियो सामने आया था, जिनकी किशोर वय की बेटी दौड़ती, भागती, गिरती किसी तरह राहुल गांधी के पास पहुंची और उनसे मिलकर काफी खुश हुई। अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर मां भी खुश थीं। रहा सवाल राजनैतिक फायदे का, तो ये भविष्य के गर्भ में है कि कांग्रेस को इस यात्रा से क्या राजनैतिक लाभ मिलेगा। अभी तो यात्रा जिन राज्यों से होकर गुजरी है, वहां कोई चुनाव भी नहीं थे, न ही राहुल गांधी ने कोई चुनावी भाषण दिया। वे रोज आम लोगों से मिल रहे हैं, उनकी समस्याओं को सुन रहे हैं।

    और ऐसा करना हर जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी और हक है। बाकी सांसद भी चाहें तो इसी तरह सड़कों पर उतरें और लोगों से मिले-जुलें। बच्चों का राजनैतिक इस्तेमाल तो तब होता, जब उन्हें जबरदस्ती किसी रैली या सभा में घंटों बिठाकर रखा जाता, नेता का भाषण सुनने और रटे-रटाए सवाल पूछने कहा जाता। मगर अभी तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक से जो तस्वीरें सामने आई हैं, उनमें बच्चे खुद राहुल गांधी से मिल रहे हैं, कोई उनके साथ फुटबॉल खेल रहा है, कोई कसरती दांव दिखा रहा है, कोई अपना नृत्य दिखा रहा है, कोई मन के सवाल पूछ रहा है, कोई तिरंगा लेकर उनके साथ दौड़ लगा रहा है। इसे किस तरह राजनैतिक इस्तेमाल साबित किया जा सकता है, यह कानून का कोई जानकार ही बता सकता है।

    फिलहाल राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की शिकायत पर राहुल गांधी की वह बात एक बार फिर सच साबित हो रही है, जो उन्होंने यात्रा के एक महीना पूरा होने पर कर्नाटक में कही थीं। राहुल गांधी ने कहा था कि उन्हें झूठा बनाने के लिए और गलत तरीके से दिखाने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। समझने की बात यह है कि मैं हमेशा एक निश्चित विचार के लिए खड़ा रहा हूं, जो भाजपा और आरएसएस को परेशान करता है। हजारों करोड़ मीडिया का पैसा और ऊर्जा मुझे इस तरह से आकार देने के लिए खर्च की गई है जो असत्य और गलत है। राहुल गांधी ने कहा कि मेरी सच्चाई अलग है। यह हमेशा अलग है और जो लोग ध्यान से देखने की परवाह करते हैं वे देखेंगे कि मैं किसके लिए खड़ा हूं और मैं किसके लिए काम करता हूं।

    राहुल गांधी के इस बयान में कोई अतिशयोक्ति नहीं है, क्योंकि इस देश की जनता ने देखा है कि किस तरह मीडिया में उन्हें एक नाकारा और अनुभवहीन नेता के तौर पर स्थापित करने की कोशिशें की गईं। इसमें केवल भाजपा समर्थक पत्रकार और ट्रोल आर्मी के लोग ही नहीं, वे लोग भी शामिल रहे, जो खुद को उदारवादी और क्रांतिकारी साबित करने की कोशिश में लगे रहते हैं। इन तमाम लोगों की लगातार कोशिशों का नतीजा है कि कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई। लेकिन राहुल गांधी की छवि खराब करने की कोशिश अभी पूरी तरह सफल नहीं हुई है, यह जाहिर हो रहा है। राहुल गांधी केवल एक सांसद हैं, किसी पद पर नहीं हैं, न ही कोई फिल्मी या क्रिकेट सितारे हैं। मगर फिर भी लोग उनके साथ आने के लिए उमड़ रहे हैं। आम तौर पर लड़कियां, महिलाएं अपने परिवार से बाहर किसी पुरुष के निकट जाने या हाथ पकड़ने में झिझकती हैं, उन्हें अच्छे और बुरे स्पर्श की पहचान होती है, वे नीयत को समझ लेती हैं।

    लेकिन राहुल गांधी को जिस तरह महिलाओं और लड़कियों का साथ मिल रहा है, उससे समझ आता है कि उन पर कितना गहरा विश्वास है, सुरक्षा की आश्वस्ति है। भारतीय राजनीति में यह दुर्लभ चीज है, और इस मामले में राहुल गांधी एक अपवाद की तरह सामने आए हैं। उनके व्यक्तित्व के साथ इसका श्रेय उनकी परवरिश को भी मिलना चाहिए।
    बहरहाल, यात्रा अभी दक्षिण भारत में है, और राहुल गांधी पर आरोप लगने जारी हैं। जब यात्रा उत्तर भारत तक पहुंचेगी, तब माहौल कैसा होगा और कौन से नए आरोप सूची में जुड़ेंगे, यह देखना होगा। वैसे शायर नूर कुरैशी का यह शेर भारत जोड़ो यात्रियों के लिए कि-
    गो आबले हैं पांव में फिर भी ऐ रहरवो,
    मंजिल की जुस्तजू है तो जारी रहे सफर।।

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