• किसान मोर्चा द्वारा भाजपा को चुनाव में हराने की मुहिम 

    तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश की राजधानी दिल्ली के बॉर्डरों पर चल रहे किसान संयुक्त मोर्चा द्वारा चलाए जा रहे किसान आंदोलन के 26 अगस्त को नौ महीने पूरे हो गए

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     - डॉ. हनुमन्त यादव

    संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 27 सितंबर को भारत बंद का आयोजन किया जा रहा है। बंद को सफल बनाने के लिए 17 सितंबर को राज्यों के सभी जिलों में किसान संगठनों की साझा बैठकें होंगी जिसमें किसान संगठनों के अलावा श्रमिक संघों, युवा संगठनों, परिवहन संगठनों, महिला और नागरिक संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इसकी तैयारी चल रही है। 

    तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश की राजधानी दिल्ली के बॉर्डरों पर चल रहे किसान संयुक्त मोर्चा द्वारा चलाए जा रहे किसान आंदोलन के 26 अगस्त को नौ महीने पूरे हो गए। इसी उपलक्ष्य में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 26 एवं 27 अगस्त को दिल्ली के सिंधुु बार्डर स्थित धरनास्थल पर दो दिवसीय अखिल भारतीय किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया था। गुरुवार 26 अगस्त को तीन सत्र आयोजित किए गए जिसमें उद्घाटन सत्र सहित औद्योगिक श्रमिकों, कृषि श्रमिक, ग्रामीण, गरीब और आदिवासी लोगों पर एक-एक सत्र का आयोजन किया गया था।  शुक्रवार 27 अगस्त के सत्र में श्रमिकों पर थोपे गए 4 लेबर कोड  निरस्त करने एवं अन्य समस्याओं को लेकर देश के अनेक श्रमिक संगठनों के नेताओं ने संबोधित किया। इस सम्मेलन में भारत के 22 राज्यों के 2500 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।  सम्मेलन में 300 से अधिक किसान और श्रमिक संगठनों, 18 अखिल भारतीय ट्रेड यूनियनों, 9 महिला संगठनों और 17 छात्र एवं युवा संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। 

    किसान सम्मेलन का उद्घाटन किसान नेता राकेश टिकैत ने किया। राकेश टिकैत ने बताया कि 27 नवंबर 2020 से दिल्ली की सिंधु बार्डर, टीकरी बार्डर, गाजीपुर बार्डर, और शाहजहांपुर बार्डर पर हजारों किसान धरने पर बैठे हैं। तीनों  कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर केन्द्र सरकार के साथ किसान संगठनों के नेताओं की वार्ता हो चुकी है। लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला है इसलिए किसान धरने पर बैठे हुए हैं। 9 महीने का लंबा समय बीतने के बावजूद कोई नतीजा न निकलते देखकर अब किसान संगठनों ने भाजपा सरकार को उन राज्यों में घेरने की तैयारी शुरू कर दी है, जहां पर 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। पजंाब, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में अगले 6 महीनों में चुनाव प्रस्तावित है। किसान संगठनों को पंजाब में भाजपा के जीतने का कोई डर नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा को उत्तरप्रदेश और उत्तराख्ंाड में भाजपा को हराने की व्यूह रचना तय करनी है। इस पर 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में आयोजित किसान महापंचायत में प्रतिनिधियों के बीच चर्चा की जाएगी। 

    फरवरी 2021 से राकेश टिकैत किसान संघर्ष आन्दोलन के प्रमुख नेता के रूप में उभरे हैं।  राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं। राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता है। जाट नेता के रूप में राकेश टिकैत का पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड़, बागपत, सहारनपुर, मोरादाबाद और शामली इन 10 जिलों के किसानों के बीच बहुत प्रभाव है। उन्होंने अपने गृह जिले मुजफ्फरनगर में संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 5 सितंबर को राष्ट्रीय स्तर पर किसान महापंचायत का सफल आयोजन करवाया था। इस महापंचायत में एक लाख से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इन प्रतिनिधियों के भोजन के लिए 500 लंगर एवं 100 मेडिकल कैम्प लगवाए गए थे। सम्मेलन में 6 माह बाद उत्तरप्रदेश, एवं उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा को पराजित करने के बारे में चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि दिल्ली बार्डर पर जाने वाले महामार्गों के बार्डर पर किसानों का धरना जारी रहेगा। उत्तराखंड के हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और उधमसिंह नगर की कुल 25 ग्रामीण सीटों पर ही किसान आन्दोलन का असर है। इन्हीं जिलों के किसान प्रतिनिधियों ने बताया कि इन्हीं सीटों पर किसान भाजपा के विरोध में मतदान कर वहां पराजित करवाएंगे।

    हरियाणा के करनाल में धरने पर बैठे  किसानों ने करनाल जिला प्रशासन के साथ वार्ता में हुए समझौते में प्रशासन द्वारा उनकी दो मांगें स्वीकार कर लेने पर 7 सितंबर से चल रहा मिनी सचिवालय का धरना समाप्त कर दिया है। करनाल के बसवाडा टोल प्लाजा पर 28 अगस्त को  हुए आन्दोलन के लाठी चार्ज की न्यायिक जांच सरकार द्वारा हाई कोर्ट के रिटायर्ड  जज से करवाई जाएगी। पुलिस लाठी चार्ज में घायल हुए  किसान सुशील काजल की मौत हो जाने के कारण उसके बेटे को सरकारी नौकरी एक सप्ताह के अन्दर दी जाएगी और परिवार को 25 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दी जाएगी। सभी घायलों को 2.2 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा। लाठी चार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम आयुष सिन्हा को छुट्टी पर भेज दिया गया है। जिला प्रशासन से किसान नेता गुरनामसिंह चढूनी, सुरेश कोथ और रतन मान सहित कुल 13 किसान नेताओं  ने बातचीत की थी। उन्होंने सरकार द्वारा मांगें स्वीकार कर लिए जाने को किसानों की बड़ी जीत बताया।

    अब पंजाब के समान हरियाणा में भी केन्द्रीय कृषि कानूनों के विरोध करने का किसान आन्दोलन बढ़ता जा रहा है। आजकल हरियाणा में जब कोई भी भाजपा नेता का को कोई भी सार्वजनिक कार्यक्रम होता है, वहां के किसान समूह बनाकर उग्र विरोध करने पहुंच जाते हैं।  25 अगस्त को करनाल में बीजेपी संगठन की बैठक में नेताओं को जाने से रोकने के लिए किसानों द्वारा किए गए उग्र प्रयास को रोकने के लिए अधिकारी के  आदेश पर पुलिस द्वारा लाठियां बरसाने पर कुछ किसान घायल हो गए थे। एक घायल किसान की मौत होने पर किसानों ने आन्दोलन प्रारंभ कर दिया था। किसान नेताओं का भाजपा विरोध अब पंजाब के समान हरियाणा में भी प्रबल होता जा रहा है।

    पंजाब में किसान संगठनों ने महापंचायत का आयोजन करके खुले रूप में भाजपा के विरोध का निर्णय ले लिया है। किसान कांग्रेस, अकालीदल, बसपा, आप पार्टी, इन प्रमुख दलों में किसका समर्थन करेंगे, इस बारे में कोई निर्णय नहीं लेंगे। किसान संगठनों ने 12 सितंबर को पंजाब के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक मेंं किसान विरोधी तीन कृषि कानून बनाने वाली भाजपा को आमंत्रित नहीं किया गया था। बैठक में पंजाब के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से अनुरोध किया गया कि वे चुनाव की घोषणा होने तक राजनीतिक रैलियां न करें न ही चुनाव प्रचार करें क्योंकि ऐसा करने से राज्य के किसानों के संघर्ष को नुकसान पहुंच सकता है। बैठक में उपस्थित राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने हामी भर दी थी।

    संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 27 सितंबर को भारत बंद का आयोजन किया जा रहा है। बंद को सफल बनाने के लिए 17 सितंबर को राज्यों के सभी जिलों में किसान संगठनों की साझा बैठकें होंगी जिसमें किसान संगठनों के अलावा श्रमिक संघों, युवा संगठनों, परिवहन संगठनों, महिला और नागरिक संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इसकी तैयारी चल रही है। 

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