एलोवेरा मात्र एक पौधा नहीं है, मानो कुदरत ने मानव शरीर के कल्याण के लिए विशेष तौर पर इसे धरती पर लाया हो । जितने गुण एलो वेरा में है ,शायद ही किसी और जड़ी-बूटी में एक साथ पाए जाते है । इसलिए इसे औषधियों का महाराजा माना गया है । कई नाम से इसे लोग पुकारते है , कुछ लोग इसे संजीवनी बूटी तो कुछ लोग इसे साइलेंट हीलर, चमत्कारी औषधि आदि भी कहते हैं ।
एलोवेरा का 5000 साल पुराना इतिहास है । पुराने समय में लोग इससे औषधि के रूप में इस्तेमाल करते आ रहे है ं। पवित्र ग्रन्थ रामायण, बाइबल और वेदों में भी इस पौधे की उपयोगिता के बारे में चर्चा की गई है । मिस्त्र की महारानी क्लीवपेट्रा से लेकर महात्मा गाँधी तक इसका इस्तेमाल करके फायदा उठा चुके है । वर्तमान में एलोवेरा का उपयोग अनेक प्रकार के आयुर्वेदिक औषधीय में बहुतायत से हो रहा है । कोई भी वैद्य,चिकित्सक, व हाकिम इनके गुणों को नकार नहीं सकता । इसे कई नाम से जाना जाता है , जैसे हिंदी में ग्वारपाठा, क्वारगंदल,घृतकुमारी, कुमारी या फिर घी-ग्वार भी कहते हैं । वर्षों के शोध के बाद पता चला की एलोवेरा के 300 प्रकार के होते है । इसमें 284 किस्म के एलो वेरा में 0 से 15 प्रतिशत औषधि गुण होते है । 11 प्रकार के पौधे जहरीले होते है बाकि बचे 5 विशेष प्रकार में से एक पौधा है जिसका नाम एलो बारबाडेन्सिस मिलर है जिसमें 100 प्रतिशत औषधि व दवाई दोनों के गुण पाए गए हैं । एलोवेरा की खास बात यह है कि यह अपना आहार वातावरण से लेता है । आज के वातावरण में प्रदूषण यादा है, और एलोवेरा के पत्ते उसे अपने अन्दर सोंख लेता है । पहले के एलोवेरा कुछ हद तक ठीक था क्योंकि पहले हमारे आसपास इतना प्रदूषण नहीं होता था। आसपास इतना प्रदूषण है कि हमारे यहाँ के एलोवेरा जेल को पीना स्वस्थ्य के दृष्टिकोण से ठीक नहीं हो सकता है । इस पौधे की विशेषता यह है कि पत्ते को तोड़ने के ठीक तीन घंटे के अन्दर उपयोग कर लेना चाहिए नहीं तो उनमे विद्यमान औषधि + पौष्टिकता के गुण धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं । वैज्ञानिकों की शोध करके इस पौधे के जूस को कुछ जड़ी-बूटी की मदद से इसके जीवन को दो- तिन घंटे से बढ़ाकर चार साल के लिए सुरक्षित कर दिया है । आप हैरान होंगे की एक एलोवेरा से करीब 220 प्रकार के बीमारियाँ कैसे ठीक हो जाती है ? इससे पहले हम यह जान लें कि हमें बीमारियाँ होती क्यों है ? दरअसल हमें जीवित रहने के लिए हवा, पानी और भोजन की आवश्यकत होती है, पहले के समय इसी के सहारे लोग सैकड़ों वर्षों तक जीवित रहता था क्योंकि पहले वातावरण स्वच्छ था लेकिन आज के वातावरण को देखे तो यह तीनो ही चीजें हमें अशुध्द मिल रही है । दूसरा आज का खान-पान,हमारी जीवन शैली ,आधुनिकता की दौड़ में इतनी बदल चुकी है कि हमें अपने लिए ही वक्त नहीं होता। आज समोसा, पिजा ,बर्गर,पेप्सी,चाउमीन मतलब फास्ट फ़ूड हमारे आहार में शामिल हो चूका है तथा नियमित व्यायाम करने का समय भी नहीं बचा है तो यही सब कारण मिलकर मनुष्य को अस्वस्थता की ओर ले जाते है। चूंकि हमारी 90 प्रतिशत बीमारियाँ पेट से उत्पन्न होती है और इन सब बिमारियों का कारण है - हमारी आंते साफ़ ना होना और एलोवेरा में मौजूद सापोनिन और लिग्निन ऑंतों में जमे मैल को साफ़ करके इनको पौष्टिकता प्रदान करता है । शरीर में किसी भी प्रकार के रोग का होना अन्दुरुनी सिस्टम में गड़बड़ियाँ को दर्शाती है । एलो मानव शरीर में डोमेक्स का काम करता है । एलो मानव शरीर के अन्दर जाते है आंतो को साफ़ करने का काम शुरू कर देता है । और जैसे जैसे हमारी आंते साफ़ होती है वैसे -वैसे हमें आराम मिलना शुरू हो जाता है । जैसे सूर्य के तेज को हम नाकर नहीं सकते उसी तरह एलो जूस मानव शरीर के अन्दर जाते ही उसे आराम मिले बिना नहीं रह सकता । इसके नियमित सेवन से ऑंखों की रौशनी बढ़ती है घुटनों के दर्द , खून साफ़ करने में हकलाने में , दांतों की बिमारियों में पेट की सभी बिमारियों में बालों के झरने में , याददाश्त बढ़ाने में वजन कम करने में या बढ़ाने में बहुत फायदा देता है । इसे किसी भी दावा के साथ लिया जा सकता है । इसका किसी भी प्रकार कोई दुष्प्रभाव नहीं है । बच्चे, जवान, बुजुर्ग ( स्त्री-पुरुष) सभी ले सकते है । अत: एलोवेरा हमें नियमित लेना चाहिए । यह हमारे घर के वैद्य है । अगर कोई बीमार पिएगा तो उसे स्वस्थ्य होने में मदद मिलेगा और कोई स्वस्थ्य व्यक्ति पिएगा तो बीमार ही नहीं होगा ।